25 सितंबर, 2010

अपना नाम कल विएतनाम…. आज कश्मीर

वरवर राव हमारे समय की राजनीति को आइना दिखाने वाले अत्यंत महत्त्वपूर्ण कवि है। उनकी कविताएँ लिजलिजी भावना से ऊपर उठकर जनपक्षीय राजनीति के पक्ष में दबंगता से खड़ी होने वाली होती है। वरवर राव शौकिया कवि नहीं है… उनकी कविताओं का मक़सद एक ख़ास तरह की चेतना का प्रसार होता है। वरवर राव मूलतः तेलुगु में लिखते हैं.. अब तक दुनिया भर की भाषाओं में उनकी कविताएँ तेलुगु से अनुवादित होकर ही पाठकों तक पहुँचती रही है। इन दिनों वे हिन्दी में कविताएँ लिख रहे हैं। यहाँ हम वरवर राव की कविताओं के पाठकों के लिए उनके द्वारा हिन्दी में लिखी कविता प्रकाशित कर रहे हैं…उम्मीद आपको पसंद आयेगी..।


अब तक यही समझते आए थे
ईंट का जवाब पत्थर होता है
आज हमारे बच्चे सिखा रहे हैं
फौज़ का जवाब भी पत्थर हो सकता है
खुले मैदान में क़दम रखने वाली महिलाएँ
दे सकती है कर्फ़्यू का जवाब…..

दिया जा सकता है
गोली का जवाब घाटी से..
दमन का जवाब आज़ादी की माँग से
आपने देखा होगा..
हमारा देश, हमारे लोग,
झील, नदी, घाटी, पहाड़
वन और सुन्दर जीवन एक तरफ़
साठ साल क़ानून और सेना के कब्ज़े में पड़ी
सत्ता एक तरफ़
अपना नाम कल विएतनाम था
और आज कश्मीर है
आज भी हमारा मुक्ति का नारा है
नक्सलबाड़ी के साथ………

वरवर राव

1 टिप्पणी:

  1. उनकी कविताएँ लिजलिजी भावना से ऊपर उठकर जनपक्षीय राजनीति के पक्ष में दबंगता से खड़ी होने वाली होती है। wakayee.

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