22 जनवरी, 2017

मार्टिन कार्टर की कविताएँ 

मार्टिन कार्टर की कविताएँ                           
मेरी प्रियतमा का दमकता सौंदर्य 
मार्टिन कार्टर 

अनुवाद - सरिता शर्मा

अगर मैं चाहता
रात के चित्र बना सकता था मैं
विपुल जलराशि के ऊपर सितारों और
सितारों के नीचे फैली हुई जलराशि का नक्शा
मेरी प्रियतमा की सुंदरता
अँधेरे में सुबह की किरण लाने वाले पुष्प सा।
हाँ, अगर मैं चाहता
मैं अभी बंद कर लेता अपनी आँखें
और ले आता इन चीजों को दिमाग में जिंदगी की तरह।
मगर समय बदल गया है.
और जिस ओर भी मुड़ कर देखता हूँ मैं
प्रचंड विद्रोह चला जाता है मेरे साथ
एक चुंबन की तरह -
मलाया
और वियतनाम का विद्रोह -
भारत का विद्रोह
और अफ्रीका का -
संरक्षक की तरह।
मेरी सरपरस्त बन गई है
आजादी की लड़ाई -
और गुलाम बनाने वालों से मुक्ति के लिए
नृत्य करती हुई पूरी दुनिया की तरह
मेरी प्रियतमा का सौंदर्य दमकता है
उसकी हँसती हुई आँखों में।

यह अंधियारा समय है प्रिय 
मार्टिन कार्टर 

अनुवाद - सरिता शर्मा

यह अंधियारा समय है प्रिय
हर जगह धरती पर रेंगते हैं भूरे झींगुर
चमकता सूरज छुप गया है आकाश में कहीं
सूर्ख फूल दुख के बोझ से झुक गए हैं
यह अंधियारा समय है प्रिय
यह उत्पीड़न, डार्क मेटल के संगीत और आँसुओं का मौसम है।
बंदूकों का त्योहार है, मुसीबतों का उत्सव है
लोगों के चेहरे हैरान और परेशान हैं चहुँ ओर
कौन टहलता आता है रात के घुप्प अँधेरे में?
किसके स्टील के बूट रौंद देते हैं नर्म घास को
यह मौत का आदमी है प्रिय, अपरिचित घुसपैठिया
देख रहा है तुम्हें सोते हुए और निशाना साध रहा है तुम्हारे सपने पर।

 

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