26 मई, 2018

आजाद भारत में कब तक होते रहेंगे जलियावाला बाग कांड ?

कब लगेगा पुलिस गोली चालन पर कानूनी प्रतिबंध ?

डॉ सुनीलम

किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर  कहा है  कि 6 जून 2018 को मंदसौर पुलिस गोली चालन की बरसी है, जिसमें 6 किसान शहीद हुए थे। राहुल गांधी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों बरसी के अवसर पर पहुंच रहे हैं। तुत्तुकुडी पुलिस गोलीचालन में 13 आंदोलनकारी शहीद हुए हैं जिनमें 2 महिलायें भी शामिल हैं। बेहतर होता कि सम्पूर्ण विपक्ष और प्रधानमंत्री तुत्तुकुडी पहुंच कर जनआंदोलनों पर हो रहे पुलिस गोलीचालन पर कानूनी प्रतिबंध की घोषणा करते।

डॉ सुनीलम


उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के तुत्तुकुडी स्थित स्टरलाईट कॉपर प्लांट के खिलाफ जनसंगठनो द्वारा किये जा रहे आंदोलन के 100वें दिन 22 मई को पुलिस गोली चालन में 13 से अधिक आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है । पुलिस चालन का मुददा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी पहुुच चुका है। मुख्य विपक्षी दल डी एम के द्वारा राज्यव्यापी बंद किया जा चुका है लेकिन देश के प्रधानमंत्री स्टरलाइट कम्पनी के खिलाफ एक भी शब्द बोलने को तैयार नहीं हैं। जिससे साफ होता है कि वे वेदांता समूह के साथ खड़े हैं।
तुत्तुकुडी में 13 लोगो की मौत की केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश से न्यायिक जांच कराना तो दूर सी बी आई तक से जांच कराने की  घोषणा तक  नहीं की है ।तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बेशर्मी पूर्वक बयान दे रहे हैं कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलीचालन किया था। गोलीबारी पहले से तय नहीं थी। जैसा आरोप लग रहा है। उन्होंने कहा कुछ विपक्षी दलों और असामाजिक तत्वों के भडकाने से ही प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया।
जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ने  तुत्तुकुडी पुलिस गोली चालन को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराने (जबकि अभी उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश से जांच कराने की घोषणा की गई है), स्टरलाईट कॉपर शेल्टर संयत्र को स्थायी रूप से बंद करने, शहीद परिवारों को 1 करोड़ मुआवजा देने तथा दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने और नागरिकों पर लादे गए फर्जी मुकदमे वापस लेने की मांग की है। डॉ सुनीलम ने कहा कि जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक का तबादला किया गया है जबकि उनपर 302 का मुकदमा चलाकर गिरफ्तार और बर्खास्त  किया जाना चाहिए था।
डॉ सुनीलम ने वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के  विदेशी साजिश संबंधी बयान को  चुनौती देते हुए कहा कि वे साबित करें कि कौन सी विदेशी ताकतें आंदोलन में सक्रिय थी उन्होंने कहा कि कुडंकुलंम में भी विदेशी ताकतों का हाथ बताया गया था जो अब तक भारत सरकार साबित नहीं कर सकी है ।
उन्होंने कहा कि तमिनाडु प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड के आदेश के बाद वेदांता, स्टरलाईट फैक्ट्री बंद कर दी गई है यदि पहले ही बंद कर दी जाती तो 13 नागरिकों की जान बचाई जा सकती थी ,60 को गंभीर रूप से घायल होने से बचाया जा सकता था ।
डॉ सुनीलम ने बताया कि  1996 में प्लांट शुरू हुआ था, सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण कानून तोडने के कारण 2013 में 125 करोड़ का जुर्माना लगाया था। असल में कम्पनी सालाना 4 लाख टन की क्षमता को बढाकर 8 लाख टन करना चाहती है, जबकि तमिलनाडु प्रदुषण बोर्ड ने इस वर्ष के अंत तक खत्म हो रहे पर्यावरण सर्टिफिकेट को रिन्यु करने से इन्कार कर दिया है। दुनिया भर में वेदांता के 28 प्लांट हैं तथा सालाना रेवेन्यु 78 हजार करोड है।
नागरिकों द्वारा स्टरलाईट कम्पनी से पर्यावरण संबधी कानूनों को लागू करने की मांग की जा रही थी? क्योंकि वहां के नागरिकों की प्रदुषित पानी एवं वायु के चलते लगातार मौतें हो रहीं थीं। 2 माह पूर्व 24 मार्च को भी यहां बडा प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद तमिलनाडु प्रदुषण बोर्ड को 15 स्थानों पर पानी की जांच करने के लिये मजबूर होना पडा था। पानी की जांच से पता चला था कि वहां पीने का पानी 55 गुना तक प्रदुषित हो चुका है। कम्पनी के लगने के बाद से कार्य स्थल की बदतर स्थिति के चलते 15 कामगारों की मौत भी हो चुकी थी।
डॉ सुनीलम ने कहा कि जनांदोलनो के साथी हर जगह संघर्ष कर रहे हैं।  वेदांता द्वारा लांझीगढ़ ,ओडिसा में एल्युमीनियम प्लांट स्थापित किया गया है जिसे अत्यधिक प्रदुषण फैलाने के कारण बंद कराने की मांग  को लेकर नियामगिरि सुरक्षा समिति द्वारा लिंगराज आजाद, लड सिकाका और गोल्ड मैन पुरस्कार प्राप्त प्रफुल्ल सामंतरा द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा है। नियामगिरि सुरक्षा समिति ने नियामगिरि में लंबा संघर्ष चलाकर सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से ग्राम सभाओं के विरोध के आधार पर नये प्लांट को स्थापित होने से नियमगिरि में  रोकने में सफलता हासिल की है। इसी तरह के आंदोलन गोवा में भी चल रहें हैं।
उन्होंने कहा कि देश भर में अब तक हुए गोली चालनों में 85 हजार निर्दोष, निहत्थे नागरिकों की मौत हो चुकी है। डॉ सुनीलम ने कहा कि अपने अनुभव के आधार पर वे यह कह सकते है कि  हर गोली चालन के बाद सत्तारूढ़ दल और सरकार गोली चालन को जायज ठहरा रहे हैं, विपक्ष पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया जाता है। एस पी, कलेक्टर को निलंबित कर दिया जाता है। बाद में बहाली हो जाती है। हर गोलीचालन के बाद एक जांच आयोग गठित किया जाता है। जांच आयोग का कार्यकाल लगातार बढाया जाता है। जांच आयोग आंदोलनकारियों के खिलाफ रपट देता है और गोलीचालन को जायज ठहराया जाता है। जांच आयोग की रपटों पर विधानसभाओं तथा लोकसभा में कभी चर्चा नहीं होती। सरकार द्वारा आंदोलनकारियों पर सैंकडों मुकदमें दर्ज कर दिये जाते हैं, फिर दसियों वर्ष तक मुकदमें चलते रहते हैं। कभी-कभी आंदोलनकारियों को सजा भी हो जाती है लेकिन पुलिस गोलीचालन के दोषी अधिकारियों पर कभी हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता, उलटा सरकार उन्हें आउट ऑफ टर्न पदोन्नती देती चली जाती है।
तुत्तुकुडी पुलिस फायरिंग पर किसान नेता  ने कहा है कि यह जानते हुए भी तुत्तुकुडी शहर ही नहीं पूरा जिला स्टर लाईट प्लांट को बंद करने की मांग कर रहा है। प्रबंधको ने हजारों नागरिकों के प्रतिधियों से बात करने की आवश्यकता भी नहीं समझी। जिलाधीश कार्यालय तक आंदोलनकारियों को बिना रोक टोक के पहुंचने दिया गया तथा बिना किसी पूर्व चेतावनी के लाठीचार्ज व गोलीचान शुरू कर दिया गया। नियमनुसार पहले धारा 144 लागू करनी चाहिये फिर आंसू गैस का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। लाठीचार्ज से  भी अगर भीड तितर-बितर नहीं होती है, तब लाठीचार्ज के बाद हवाई फायर किया जाना चाहिये। यदि पुलिस गोलीचालन की स्थ्तिि बनती है तब भी गोली घुटने के नीचे चलाई जानी चाहिये। लेकिन गोलीचालन के दौरान अंग्रेजों के जमाने के पुलिस मैन्युअल का भी पालन नहीं किया गया। तमिलनाडु पुलिस ने शार्प शूटर्स का इस्तेमाल कर चुन-चुन कर लोगों की हत्या की। 50 राउंड पुलिस फायरिंग की गई।
ए आई ए डी एम की सरकार ने पहले भी यही किया है। जलीकट्टू को लेकर जनवरी 2016 में या मिथेन के खनन के खिलाफ नेडूवसल और काडीरा मंगलम् आंदोलनो में भी पुलिस ने यही रणनीति अपनायी थीै पहले लोगोे को इकठ्ठा होने दिया, फिर बिना चेतावनी के कार्यवाही की। मामला यहीं रूका नही। 23 मई को जब आंदोलन में शहीद हुए परिवारों के लोग शव लेने सरकारी अस्पताल पहुंचे तब भी वहां फायरिंग की गई। गोलीचालन घुटनों के उपर किया गया।
डॉ सुनीलम ने कहा  कि वेदांता कम्पनी द्वारा सभी बडी पार्टियों को चंदा दिया जाता है, जिसके चलते पार्टियां कम्पनी के खिलाफ एक सीमा से बढकर कुछ भी करने को तैयार नहीं होतीं। मसला किसी एक फायरिंग का नहीं है देश में लगातार फायरिंग होती रहती है। लेकिन कभी भी राजनैतिक दलों ने पुलिस फायरिंग बंद करने को लेकर विचार नहीं किया।
डॉ सुनीलम ने कहा कि समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया  देश के एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होने अपनी ही सरकार द्वारा केरल में किये गये पुलिस गोलीचालन को गंभीरता से लेते हुए अपने ही मुख्यमंत्री पट्टुम थानू पिल्लई से इस्तीफे की मांग की थी। आजकल विपक्ष इस्तीफा मांगता है। सत्तापक्ष गोलीचालन को सदन के अंदर और बाहर जायज ठहराता है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया के जन्म शताब्दी अवसर पर मैने युसुफ मेहरअली सेन्टर, राष्ट्र सेवा दल के 30 युवाओं के साथ मिलकर 30 राज्यों की सड़क मार्ग से डॉ. लोहिया समता विचार यात्रा की थी। तब पुलिस गोलीचालन पर कानूनी प्रतिबंध को प्रमुख मुद्दा बनाया था। इसके बावजूद भी पार्टियों ने सामूहिक तौर पर पुलिस गोलीचालन पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं समझी। मुलताई में 12 जनवरी 1998 को पुलिस गोलीचालन में 24 किसान शहीद हुए थे। दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। मेरे सहित 200 किसानों पर मुकदमें चले। मुझे तथा तीन साथियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई। तब से यह मामला लगातार उठता रहा लेकिन अभी तक बात नहीं बनी।
डॉ सुनीलम ने कहा कि बेहतर होता कि बेंगलुरू में जब समपूर्ण विपक्ष के नेता कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में एकत्रित हुए थे तब वह देश की जनता को आश्वस्त करते कि वे जनआंदोलनो पर गोलीचालन पर कानूनी प्रतिबंध लगायेंगे, ताकि राज्य द्वारा अपने नागरिकों को सुरक्षा की जो गांरटी संवैधानिक अधिकार के तौर पर दी जाती है, उसका पालन हो सके।


डॉ सुनीलम ने बताया कि पुलिस गोली चालन में मारे गये लोगों का मुद्दा कई बार उच्च न्यायालय में भी पहुंचा है। हर गोलीचालन के बाद मारे गये व्यक्ति को लेकर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिये। एफ आई आर दर्ज होनी चाहिये तथा पुलिस को यह साबित करना चाहिये कि उसने वास्तव में आत्मरक्षा में गोली चलाई थी। आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय की फुल बेंच ने यह फैसला दे भी दिया था लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने स्टे कर दिया। लगातार पुलिस गोलीचालनों के साथ-साथ लगातार बढते चले जा रहे एनकांउटर पर भी सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट करने में अब तक कामयाब नहीं हुए हैं। होना तो यह चाहिये था कि सर्वोच्च न्यायालय स्वयं संज्ञान लेकर आज तक विभिन्न गोलीचालनों में मारे गये सभी नागरिकों की एफ आई आर दर्ज कराकर विशेष अदालतें गठित कर मुकदमें चलाने का आदेश देती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
किसान संघर्ष समिति ने कहा कि गांधी जी के नेतृत्व में चले आजादी के आंदोलन के दौरान देश के नागरिकों ने अहिंसात्मक सत्याग्रह प्रर्दशन का प्रशिक्षण प्राप्त किया है जिसका प्रयोग आजादी के बाद लगभग हर रोज सैंकडो संगठनो तथा लाखो नागरिकों द्वारा अपनी समस्याओं की ओर प्रशासन और सरकारों का ध्यान आकृष्ट करने के लिये लगातार किया जाता है।
डॉ सुनीलम ने कहा है यदि जनता की अहिंसक कार्यवाही का जवाब सरकारें हिसंक तरीके से देती रहेंगीं, तो आने वाले समय में हिंसक ताकतें अवश्य मजबूत होंगीं, जिसकी पूरी जिम्मेदारी हिंसक सरकारों की ही होगी।
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डॉ सुनीलम
09425109770

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