कभी-कभार: आठ
हार्लेम पुनर्जागरण के इतिहास का एक महत्वपूर्ण नाम : ग्वेन्डोलिन बी. बेनेट
विपिन चौधरी
ग्वेन्डोलिन बी. बेनेट (1902-1981) एक बहुश्रुत कवि, लघु कथाकार, दृश्य कलाकार, और अमेरिकन पत्रकार थी. उनके लेखन में अफ्रीकी विरासत की प्रेरणा और अफ्रीकी नृत्य और संगीत के प्रभाव दिखाई देता है। 1920 के दशक के मध्य में, 'द क्राइसिस', ‘एनएएसीपी’ की पत्रिका, ‘ओपरचुनिटी’ पत्रिका और एलेन लॉक द्वारा संपादित 'न्यू नीग्रो' में उनकी कविताएं प्रकाशित हुई.
बेनेट का एक भी कविता संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ मगर उनकी कविताओं में सम्माहित नस्लीय गौरव और अफ्रीकी संस्कृति की जानकारी और अपनी रोमांटिक लेखन शैली से अपने अश्वेत समुदाय को उत्साहित करने के कारण वह हार्लेम पुनर्जागरण आंदोलन की एक मजबूत कड़ी मानी गयी ।
हार्लेम नवजारगण के दौरान और उस दौर के बाद में भी विभिन्न समूहों के बीच सामुदायिक एकता को लेकर उनकी दृष्टि और हार्लेम समुदाय को लेकर जागरुक्ता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के कारण ग्वेन्डोलिन बी. बेनेट भावी पीढ़ी के लेखकों और कलाकारों के लिए एक प्रेरक हस्ती बनी।
रेल में एकरसता
वर्तमान के मेरे दिन और अतीत के दिवस
हैं इन बेरंग विस्तार वाले मैदानों से
कुछ घरेलू चीज़ें
घर या पेड़
या छोटी आड़ी-तिरछी से राहें
जहां कुचल दिए गए थे
सीसे के बने हुए पाँव
कस्बों या शहरों की
कीलों के बीच तना हुआ
कैनवास का नीरस फैलाव
ऐसे दिन मेरे
थोड़े आनंद या उदासी के
टीलों के मध्य बंजर पटरियों से
00
रात का दृश्य
गर्मी के दिनों के बीच
अजीब सी है यह सर्द रात
दूर चंद्रमा की पीली रोशनी में
पकड़ा गया है पाला
और ध्वनियाँ हैं दूर की हँसी
स्फटिक आंसुओं को करती सर्द
00
श्याम रंग की एक लड़की के लिए
मैं करती हूँ प्रेम तुम्हें
तुम्हारे भूरेपन के चलते
और तुम्हारे सीने के गोल अंधियारों को
तुम्हारी आवाज़ में टूटी उदासी
और उन प्रतिबिंबों को कहाँ तुम्हारी मनमौजी पलकें करती हैं आराम
कुछ भूली हुई वृद्ध बेगमें
दुबकती हैं जो अपने चाल की फुर्तीली
लापरवाही की आज़ादी में
और कभी गुलाम बना हुआ दास
सिसकता तुम्हारी चाल की लय पर
ओह, छोटी सांवली लड़की
अपने जिसने जन्म लिया दुख के बगल में
आप सभी को सम्राज्ञी सदृशता बनाये रखें,
और जाने दो तुम्हारे भरे-पूरे होंठों को हंसने को अपना भाग्य
000
कभी-कभार की पिछली कड़ी नीचे लिंक पर पढ़िए
https://bizooka2009.blogspot.com/2019/03/1875-1935.html?m=1
हार्लेम पुनर्जागरण के इतिहास का एक महत्वपूर्ण नाम : ग्वेन्डोलिन बी. बेनेट
विपिन चौधरी
ग्वेन्डोलिन बी. बेनेट (1902-1981) एक बहुश्रुत कवि, लघु कथाकार, दृश्य कलाकार, और अमेरिकन पत्रकार थी. उनके लेखन में अफ्रीकी विरासत की प्रेरणा और अफ्रीकी नृत्य और संगीत के प्रभाव दिखाई देता है। 1920 के दशक के मध्य में, 'द क्राइसिस', ‘एनएएसीपी’ की पत्रिका, ‘ओपरचुनिटी’ पत्रिका और एलेन लॉक द्वारा संपादित 'न्यू नीग्रो' में उनकी कविताएं प्रकाशित हुई.
ग्वेन्डोलिन बी बेनेट |
बेनेट का एक भी कविता संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ मगर उनकी कविताओं में सम्माहित नस्लीय गौरव और अफ्रीकी संस्कृति की जानकारी और अपनी रोमांटिक लेखन शैली से अपने अश्वेत समुदाय को उत्साहित करने के कारण वह हार्लेम पुनर्जागरण आंदोलन की एक मजबूत कड़ी मानी गयी ।
हार्लेम नवजारगण के दौरान और उस दौर के बाद में भी विभिन्न समूहों के बीच सामुदायिक एकता को लेकर उनकी दृष्टि और हार्लेम समुदाय को लेकर जागरुक्ता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के कारण ग्वेन्डोलिन बी. बेनेट भावी पीढ़ी के लेखकों और कलाकारों के लिए एक प्रेरक हस्ती बनी।
रेल में एकरसता
वर्तमान के मेरे दिन और अतीत के दिवस
हैं इन बेरंग विस्तार वाले मैदानों से
कुछ घरेलू चीज़ें
घर या पेड़
या छोटी आड़ी-तिरछी से राहें
जहां कुचल दिए गए थे
सीसे के बने हुए पाँव
कस्बों या शहरों की
कीलों के बीच तना हुआ
कैनवास का नीरस फैलाव
ऐसे दिन मेरे
थोड़े आनंद या उदासी के
टीलों के मध्य बंजर पटरियों से
00
रात का दृश्य
गर्मी के दिनों के बीच
अजीब सी है यह सर्द रात
दूर चंद्रमा की पीली रोशनी में
पकड़ा गया है पाला
और ध्वनियाँ हैं दूर की हँसी
स्फटिक आंसुओं को करती सर्द
00
श्याम रंग की एक लड़की के लिए
मैं करती हूँ प्रेम तुम्हें
तुम्हारे भूरेपन के चलते
और तुम्हारे सीने के गोल अंधियारों को
तुम्हारी आवाज़ में टूटी उदासी
और उन प्रतिबिंबों को कहाँ तुम्हारी मनमौजी पलकें करती हैं आराम
कुछ भूली हुई वृद्ध बेगमें
दुबकती हैं जो अपने चाल की फुर्तीली
लापरवाही की आज़ादी में
और कभी गुलाम बना हुआ दास
सिसकता तुम्हारी चाल की लय पर
ओह, छोटी सांवली लड़की
अपने जिसने जन्म लिया दुख के बगल में
आप सभी को सम्राज्ञी सदृशता बनाये रखें,
और जाने दो तुम्हारे भरे-पूरे होंठों को हंसने को अपना भाग्य
000
विपिन चौधरी |
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