08 अगस्त, 2019

कभी-कभार नौ       


और मैं प्रेम की एकदम नई विद्यार्थी

विपिन चौधरी

 

कवयित्री सोनिया सांचेज का जन्म विलसोनिया बनिता  ड्राइवर  में 9 सितंबर, 1934 को हुआ.  सोनिया, ऐसी विलक्षण अफ्रीकी-अमेरिकी कवि हैं जिन्हें अक्सर  अश्वेत कला आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी को लेकर याद किया जाता है. उनके खाते में कविता की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें,  लघु कथाएँ,  कई महत्वपूर्ण निबंध और बच्चों की किताबें शामिल हैं. googleआज सोनिया सांचेज़ की उम्र लगभग 84 वर्ष की है और वे अपने युवा दिनों वाले पुराने तेवर के साथ साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक vक्षेत्रों में लगातार सक्रिय हैं.


सोनिया सांचेज़



1 प्रेम गीत
( स्पेनिश के लिए )

मेरी हंसी के लिए
माफ़ी
प्रेम पर है तुम्हें अगाध विश्वास
इतनी युवा तुम
और मैं प्रेम की एकदम नई विद्यार्थी

हवा में फट पड़ती यह बारिश
प्रेम है
घास अपनी हरी मोम उलीच रही है
वही प्रेम है
और पत्थर
प्रेम के लौट गए क़दमों की याद में है
यही है प्रेम
मगर तुम
काफी युवा हो प्रेम के लिए
और मैं काफी बुजुर्ग

एक बार
क्या फर्क पड़ता है
कब और कौन
जाना था मैंने प्रेम को
मैंने अपनी देह की किया ठीक
उसके अनुसार
और चली गई
सोने प्रेम में
मिटा दिए गए मेरे सभी निशान

मुझे माफ़ कर दो अगर मैं मुस्कुराऊ
अनावृत सपनों की युवा उताराधारिणीं
तुम हो इतनी जवान
और मैं प्रेम की सीख के लिए बहुत वृद्ध


2 स्टर्लिंग ब्राउन के लिए लिखी एक कविता

  ( न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख को पढ़ने के बाद, जिसमें
               एक ममी को  300 साल तक  संरक्षित रखने के बारे में लिखा गया था)

मुझे तुम्हारे प्रेम के  कुछ mummmmmiममी टेप मिले हैं
3000 साल या उससे भी jajayjaydjaydaजायदा समय तक
उनकी रक्षा करने वाली हूँ mamaimain मैं
दुनिया को बताने वाली हूँ mamaimainमैं कि देखो तुम dudunsusunसुन rarahraheरहे hoहो प्रेम का ब्लू शैल डांस सुन रहे हो
मैं तुम्हारे प्रेम में  कुलदेवता के खंबे पर जीन के कसे घोड़े पर सवारी करने वाली हूँ
पर्वतों पर तुम्हारी छवि को sasamsambsambhsambhasambhalsambhaltsambhalteसँभालते हुए
समुंदर की नींद को मोड़ते हुए
प्राचीन युग के इंद्रधनुष के तार से तुम्हारी आह को कसते हुए 
mamasmamarmarumarusmarushmarushtmarushtamarushtmarushmarusmarustmarustamarustalmarustalimarustaliymarustalimarustalmarustamarustmarusthmarusthamarusthalmarusthalimarusthaliyमरुस्थलीय लोगों और समय के मध्य
उड़ने koको huhunहूँ tataytayatayaatayaarतैयार mamaimainमैं
lalanlanglanghlanghtlanghteलांघते huhuyhuyeहुए तुम्हारी लाल/ उकाब/ हँसी ke



3 कविता
    1
तुम कहते रहो तुम हमेशा से  थे
करते हुए मेरे मिलन का इंतज़ार
कहा था तुमने
पीली हरी तितली पर सवार हो
तुमने पार की थी सैन फ्रांसिस्को की पहाड़ियां
और छुआ था मेरे बालों को जैसे हूँ मैं एक  योद्धा-बच्चा
तुम कहते रहे
हमेशा वहीँ थे तुम
थामे हुए मेरे नन्हें हाथ
जैसे बिना झुके
चल रही हूँ मैं इंडिआना की गलियों में
अपने अगल-बगल कुछ न देखते हुए
और तुम उग रहे थे काले पहाड़ के मोड़ में से
और मैं घूमी और दुबारा हुई मृदुल
तुम हमेशा कहते रहे तुम सदा से थे वहां
दोहराते मेरा नाम मधुरता के साथ
जैसे सो रही हूँ मैं धीमें पिट्सबर्ग  संगीत में और
तुमने मुझे मीठी रात का सपना बनाया
नाचता रहा जो सुबह की बारिश के लाल अवसाद में
तुम कहते रहे तुम हमेशा वहाँ थे
कहते रहे तुम तुम सदा थे वहां
प्रेम क्या तुम ठहरे हो  वहीँ
अब जब मैं हूँ यहाँ ????

   2

बटोर लेती हूँ मैं
सभी आवाज़ें
तुम्हारी छोड़ी हुयी
और उन्हें फैला देती हूँ तुम्हारे बिस्तर पर
हर बार
मैं तुम्हारी सांस लेती हूँ
और  हो जाती हूँ
मदहोश
००

विपिन चौधरी



कभी-कभार आठ नीचे लिंक पर पढ़िए

https://bizooka2009.blogspot.com/2019/06/blog-post.html?m=1













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