16 सितंबर, 2024

विनोद शाही की कविता


बच्चा किसी से नहीं डरता


▪︎ विनोद शाही


बच्चे की

खिलौनों की टोकरी में

जंगल के पशु हैं


न तो वे ही डरते हैं एक दूसरे से

न बच्चा ही किसी से डरता है

 

एक-एक करके तमाम पशुओं को बच्चा

अपनी टोकरी से निकाल कर 

फिर से ज़मीन पर उतारता है



चित्र से फेसबुक साभार 







गाय ऊंट जिराफ हाथी घोड़े कुत्ते और बिल्ली जैसे

कितने प्यारे पशु हैं उसके पास

शेर, चीते, मगरमच्छ, छिपकली, सांप और बिच्छु जैसे

उतने ही खतरनाक भी

मगर कोई किसी को डराता नहीं

हमला तो बिल्कुल नहीं करता


ज़मीन पर आते ही पशु

उछलने लगते हैं

लोटपोट होते, लुढ़कते और पलट जाते हैं

हैरत अंगेज़ कलाबाजियां करते

करतब दिखाते है

खुश है बच्चा

हंसती है मां 

गुरूर से ऐंठते पशु 

गर्दन उठा कर थोड़ा उचक जाते हैं


खतरनाक जीव अचानक 

मुंह खोलते हैं

दांत दिखाते हैं

पंजों से उनके

तीखे नख-सूल बाहर निकल आते हैं

खाने को दौड़ते हैं शेर, चीते, मगरमच्छ

डंसना और डंक मारना चाहते हैं बिच्छु और सांप

सांस रोक कर मां 

डरने का अभिनय करती है 

बच्चा और ज़ोर  से हंसता है


जब देखो ऐसे ही झूठमूठ डरती रहती है मां 

बहादुर बच्चा कहता है मां से

देखो मैं किसी से नहीं डरता 


पशु पहचान लेते हैं अपनी औकात

लोगों को डराने के लिये

बाहर सड़कों पर निकल जाते हैं


लौटते हैं 

बख्तरबंद गाड़ियों, तोपों और टैंकों की तरह

बुला लेते हैं टिड्डी, भिड़ों, उल्लुओं और बाजों को

मिज़ाइल, ड्रोन, हेलिकॉप्टर, हवाई जहाज बना कर

समुद्र में युद्ध-पोत, पनडुब्बी और मोटर बोट बन जाते हैं

तमाम मगरमच्छ, ब्हेलें और शार्क


डरने का अभिनय करती करती मां 

सचमुच डरी हुई लगने लगती है


बच्चा किसी पशु से अब भी नहीं डरता

फिर भी जाने क्यों उसे  

मां के डरने से डर लगता है


▪︎ संपर्क: 9814658098

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