अनुवाद: सरिता शर्मा
24 दिसंबर, 1881 को पैदा हुए स्पेनिश कवि खुआन रामोन खिमेनेज का सबसे महत्वपूर्ण योगदान आधुनिक कविता में ‘शुद्ध
कविता’ का विचार था। विशाल साहित्य रचने वाले खुआन रामोन खिमेनेज को 1956 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी बेहतरीन रचनाएँ हैं-- स्पिरिचुअल सोनेट्स; पिएद्रा य सिलो; पोएजिया ओं प्रोजा य वर्सो; वोसेज द मी कोपल और आनिमाल द फोंदो। 29 मई, 1958 को उनकी मृत्यु हो गई थी।कविताऍं
किसको पता है क्या हो रहा है
किसको पता है क्या हो रहा है हर घंटे के उस ओर
कितनी बार सूरज उगा
वहां, पहाड़ के पीछे!
कितनी ही बार दूर उमड़ता चमकता बादल
बन गया सुनहरा गर्जन!
यह गुलाब विष था।
उस तलवार ने जन्म दिया।
मैंने फूलों के मैदान की कल्पना की थी
एक सड़क के खत्म होने पर,
और खुद को दलदल में धंसा पाया।
मैं मानव की महानता के बारे में सोच रहा था,
और मैंने खुद को परमात्मा पाया।
०००
मैं मैं नहीं हूँ
मैं मैं नहीं हूँ
मैं वह हूँ जो
मेरे साथ चल रहा है, जिसे मैं नहीं देख सकता हूँ।
और यदा कदा जिसके यहां मैं जाता हूँ,
और जिसे कभी- कभी मैं भूल जाता हूँ ;
मैं बात करता हूँ, तो चुप रहता है वह,
मैं नफरत करता हूँ तब क्षमाशील और प्यारा बना जाता है,
मैं घर के अंदर हूँ तो वह बाहर चल देता है,
मैं मर जाऊॅंगा तो खड़ा रहेगा वह,
०००
कविता
उस व्याकुल बालक सी मैं
हाथ पकड़ कर घसीटते हैं वे जिसे
दुनिया के त्यौहार से।
अफसोस कि मेरी आँखें लगी रहती हैं
चीजों पर...
और कितने दुख की बात है वे उनसे दूर ले जाते हैं।
०००
मोगुए
मोगुए, माँ और भाइयो।
साफ सुथरा और गर्म, घर।
आहा क्या धूप है कितना आराम
दूधिया होते कब्रिस्तान में!
पल भर में, प्यार अकेला पड़ जाता है ।
समुद्र का अस्तित्व नहीं रहता; अंगूर के
खेत, लालिमायुक्त और समतल,
शून्य पर चमकती तेज रोशनी सी है दुनिया
और सारहीन शून्य पर चमकती रोशनी ।
यहां बहुत छला गया हूँ मैं!
सबसे बढ़िया बात यहां मर जाना है,
बस वही छुटकारा है, जो मैं शिद्दत से चाहता हूँ,
जो सूर्यास्त में मिल जाता है।
०००
जीवन
जिसे मैं सोचता था मुझ पर यश का द्वार बंद होना,
दरअसल इस स्पष्टता की ओर
खुलता हुआ दरवाजा था:
अनाम देश:
कोई भी नष्ट नहीं कर सकता, एक के बाद एक
सदा सत्य की ओर,
खुलते जाने वाले दरवाजों वाले इस रास्ते को:
अनुमान से परे जीवन!
०००
मैं वापस नहीं आऊंगा
मैं वापस नहीं आऊंगा। और शांत और खामोश गुनगुनी सी रात दुनिया को लोरी सुनायेगी अपने अकेले चाँद की चाँदनी में।
मेरा शरीर नहीं होगा, और चौपट खुली खिड़की से, एक ताज़ा झोंका आ कर मेरी आत्मा के बारे में पूछेगा।
मैं नहीं जानता किसी को मेरी दोहरी अनुपस्थिति का इंतजार है या नहीं, या दुलारते बिलखते लोगों में से कौन मेरी स्मृति को चूमेगा।
फिर भी, तारे और फूल रहेंगे, आहें और उम्मीदें होंगी, पेड़ों की छाया तले रास्तों में प्रेम पनपता रहेगा।
और वह पियानो इस शान्त रात की तरह बजता रहेगा, और मेरी खिड़की के चौखटे में, उसे ध्यान मगन हो सुनने वाला कोई न होगा।
०००
सूर्यास्त
आह, सोने के जाने की अद्भुत ध्वनि,
सोने का अब अनंत काल में जाना;
कितना दुखद है हमारे लिए सुनना
सोने का अनंत काल में जाना,
यह ख़ामोशी बनी रहेगी
उसके सोने के बिना
जो अनंत काल के लिए प्रस्थान कर रहा है!
०००
अनूवादिका का परिचय
सरिता शर्मा (जन्म- 1964) ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर तथा अनुवाद, पत्रकारिता, फ्रेंच, क्रिएटिव राइटिंग और फिक्शन राइटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। पांच वर्ष तक
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया में सम्पादकीय सहायक के पद पर कार्य किया। बीस वर्ष तक राज्य सभा सचिवालय में कार्य करने के बाद नवम्बर 2014 में सहायक निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति। कविता संकलन ‘सूनेपन से संघर्ष, कहानी संकलन ‘वैक्यूम’, आत्मकथात्मक उपन्यास ‘जीने के लिए’ और पिताजी की जीवनी 'जीवन जो जिया' प्रकाशित। रस्किन बांड की दो पुस्तकों ‘स्ट्रेंज पीपल, स्ट्रेंज प्लेसिज’ और ‘क्राइम स्टोरीज’, 'लिटल प्रिंस', 'विश्व की श्रेष्ठ कविताएं', ‘महान लेखकों के दुर्लभ विचार’ और ‘विश्वविख्यात लेखकों की 11 कहानियां’ का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, समीक्षाएं, यात्रा वृत्तान्त और विश्व साहित्य से कहानियों, कविताओं और साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। कहानी ‘वैक्यूम’ पर रेडियो नाटक प्रसारित किया गया और एफ. एम. गोल्ड के ‘तस्वीर’ कार्यक्रम के लिए दस स्क्रिप्ट्स तैयार की।संपर्क: मकान नंबर 137, सेक्टर- 1, आई एम टी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा- 122051. मोबाइल-9871948430.
ईमेल: sarita12aug@hotmail.com
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