tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post3842243607417007122..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-2089414933634408052018-05-26T12:08:37.158+05:302018-05-26T12:08:37.158+05:30गांव की मिट्टी से सरोबार पथिक जी का सम्पूर्ण कथा स...गांव की मिट्टी से सरोबार पथिक जी का सम्पूर्ण कथा साहित्य हमें गांव की उन ऊबड खाबड पंगडंडियों , खेत खलिहानों और कच्चे पक्के घरों की पीडा, घुटन , खुशी , उल्लास , तीज त्यौहार . इनकी मान्यताएं और इन सबमें छिपा गांव का जीवन दर्शन से रुबरु कराता है । पथिक जी मेरे पुराने मित्र है और करीब इनका सारी कहानियों के आर पार हुआ हूं मै...दुख तब होता है जब धरती के ऐसे सच्चे कथाकार को समीक्षकों, संपादकों और साहित्य के कथित पुराधाओ ने अब तक नजर अन्दाज ्किया है । कथा साहित्य में इन्हे जो मुकाम मिलना चाहिए था या जिसके ये हकदार है उनसे भाई पथिक जो अभी बहुत दूर है जिसे एक तरह से साहित्यिक अनदेखी भी कह सकते है । धन्यवाद अनिमेष भाई कि आपने उनकी कहानियों की गहराई से पडताल की ।vijaysingmeenahttps://www.blogger.com/profile/10886044470014830822noreply@blogger.com