tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post4036823144258014546..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-45200807287945958292018-03-20T11:56:50.819+05:302018-03-20T11:56:50.819+05:30जय श्री राय की थोड़ी जमीं थोड़ा आसमां पढ़ी थी|एक अद्भ...जय श्री राय की थोड़ी जमीं थोड़ा आसमां पढ़ी थी|एक अद्भुत कहानी विचारोतेजक कहानी थी जिसमें उस विषय को उठाया था जिसे अक्सर लेखक छोड़ देते है अल्पसंख्यक और विस्थापन पर जब भी लिखा गया तो कश्मीरी,यहूदी और तिब्बती हमेशा उपेक्षित रहे या फिर जिन्होंने भी अपने लेखन में इनकी आवाज उठाई तो उन्हें शक और संदेह से देखा गया <br />खैर <br />जब बिजूका पर इनकी निर्वाण कहानी देखी तो पढ़ने से लोभ संवरण नहीं कर पाया <br />कहानी को पढ़ते हुए लग रहा था कि अब आयेगी अब आएगी मगर कहानी के फोर्मेट में बिल्कुल नहीं दिखी <br />ऐसा लग रहा था कि आप थाई संस्कृति पर अच्छा सा यात्रा वृतांत पढ़ रहे हो पहली बार बेंकाक और पटाया से बाहर निकल थाईलेंड के गाँवो को समझने में मदद मिली <br />फिर जैसे ही निर्वाण की बात आई तो उसमें में भी बौध धर्म और अध्यात्म आया उसे भी ठीक तरीके से क्लियर नहीं कर पाई <br />और जो बड़ा सस्पेंस था वो आजकल बेंकाक के देह व्यापार में आम हो गया वहां गे और हिंजड़े स्त्री रूप में मेक अप किये हुए मिल जायेगे इसलिए इसने भी ज्यादा चौकाया नहीं <br />लब्बोलुआब यह रहा कि कहानी में कहानीपन अंत तक नजर नहीं आया लेकिन थाईलेंड के आंतरिक हिस्सों और बौध दर्शन और वहां के हालतों के जिक्र ने पाठक की समझ को विकसित किया <br />पर आप जब किसी लेखक के प्यार में हो तो उनसे बेहतर की उम्मीद करते हो <br />तो उम्मीद करते है कि अगली कहानी में वो उम्मीद बनी रहेगी <br />और हाँ बिजूका का शुक्रिया <br />जिसके मंच से हरबार कुछ न कुछ नया पढने को मिलता है जो पाठकीय मन की क्षुधा को तरावट देता है |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01552362392621128150noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-65762286867302643702018-03-16T06:34:30.706+05:302018-03-16T06:34:30.706+05:30कभी पहेली कभी सांप-सीढ़ी के खेल सी लगती अद्भुत कहा...कभी पहेली कभी सांप-सीढ़ी के खेल सी लगती अद्भुत कहानीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01735182130585238698noreply@blogger.com