tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post5889978974344368407..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-4936429641696845902018-05-12T10:52:29.216+05:302018-05-12T10:52:29.216+05:30जी बिल्कुल। यह पहली-पहली कविताएं ही है। वंदना ने श...जी बिल्कुल। यह पहली-पहली कविताएं ही है। वंदना ने शुरुआत ही की है। कविताएं पढ़कर लगता है कि वंदना भविष्य बहुत बेहतरीन कविताएं रचेगी।सत्यनारायण पटेल, कहानीकार, उपन्यासकार, इन्दौरhttps://www.blogger.com/profile/11051949687014113807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-37619844016170300582018-05-12T08:37:51.584+05:302018-05-12T08:37:51.584+05:30वंदना भगत की ये कविताएँ यूं तो बहुत प्रारंभिक दौर ...वंदना भगत की ये कविताएँ यूं तो बहुत प्रारंभिक दौर की कविताएँ हैं जिनमें उनकी निजी भावनाओं का संसार थोड़ी रोमानियत के साथ दृश्यमान हुआ है । बावजूद इसके उनकी 'इमारतें'जैसी कविता व्यवस्था से मिले कड़वे अनुभव को गहनता से प्रस्तुत करती है जो उनकी कविताओं को ठोस धरातल देने की शुरुआत कही जा सकती है ।रमेश शर्माhttps://www.blogger.com/profile/10075506893239216934noreply@blogger.com