tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post6898436308857505457..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-83596631672644104432018-07-04T00:03:25.428+05:302018-07-04T00:03:25.428+05:30बहुत सुन्दर, भावपूर्ण कहानी है सपना !
अापकी इस क...बहुत सुन्दर, भावपूर्ण कहानी है सपना ! <br /><br />अापकी इस कहानी ने सीधे दिल को छुअा है । हमारे जमाने में मम्मियाँ ऐसी ही तो होती थीं, और सच यही है कि परिवार में सब उन्हे प्यार करते हुए भी उनके प्रति अनजाने ही कितने असंवेदनशील बने रहते थे । और वो तो बस मानो सबके लिए ही जीती थीं<br /><br />"खुद रिटायर हो गये पर मम्मी को सोलह साल की ही समझते। दिनभर मम्मी दौड़ती कभी पानी लाओ कभी चाय दो। दवा दो और फिर ढेरों काम। खुद उठकर कुछ न करते। सिगरेट खत्म हो तो भरी दोपहर में नुक्कड़ की दुकान तक भी मम्मी ही जायें। मम्मी की भी उम्र हो गई है, पहले जैसा जांगर कहां से लाये? पर इस तरह से कोई सोचता ही नहीं था।"<br /><br />घर घर की यही कहानी .... अापकी कहानी पंक्ति दर पंक्ति अपने साथ साथ हमे हमारे अतीत मे घुमा लाई, अब तो मम्मी नहीं है, लेकिन जब तक रहीं ऐसी ही थीं। <br /><br />एक बेहद सशक्त कहानी के लिए बहुत बहुत बधाई<br /><br /> Manju Mishrahttp://www.manukavya.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-41346743412829957362018-06-29T19:38:06.671+05:302018-06-29T19:38:06.671+05:30बेहद मार्मिक कहानी अंत में आंखों में आंसू निकल आए ...बेहद मार्मिक कहानी अंत में आंखों में आंसू निकल आए जैसे लगा बच्चन जी की आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं या शिवानी जी का कथा साहित्य पढ़ रहा हूं वाकई बहुत ही भावभीनी कहानी लेखिका सपना सिंह जी को बहुत-बहुत बधाई शुभकामना एक अच्छी नवोदित कथाकार जिसमें किस्सागो और भाषा का प्रवाह मन को बांध लेता हैडॉ रवींद्र कुमार त्रिपाठीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-5115371477117407402018-06-28T16:37:58.101+05:302018-06-28T16:37:58.101+05:30कहानी जैसे हम सबकी कहानी जैसे हम सबकी nirdesh nidhihttps://www.blogger.com/profile/12047741345596413281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-22432495477950494212018-06-28T16:13:11.949+05:302018-06-28T16:13:11.949+05:30मम्मी के बहाने पापा की कितनी सारी बातें बता गयी आप...मम्मी के बहाने पापा की कितनी सारी बातें बता गयी आप सपना जी ! मां कभी बीमार नहीं होती ! थोड़ा कुछ होता भी होगा तो जिम्मेदारियां उसे बीमार होने का अवकाश नहीं देती हैं। और पापा !!! वो तो लगता है हर घर मे प्रिंट कॉपी की तरह होते हैं। <br />कथानक का बहुत सुंदर निर्वाह हुआ है। अच्छी कहानी वही है जो पाठक को साथ ले कर चले, जैसे बच्चा उंगली पकड़ कर चलता है माँ के साथ। <br />बधाई आपको । Jawahar choudhary https://www.blogger.com/profile/17378541906452685183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-19310926611579664302018-06-28T10:17:12.056+05:302018-06-28T10:17:12.056+05:30हमारे समय में मम्मी पापा ऐसे ही होते थे।मेरे भी।
स...हमारे समय में मम्मी पापा ऐसे ही होते थे।मेरे भी।<br />सपना तुमने उनके जीवन का गतिशील दृश्य उपस्थित कर दिया।Mamta Kaliahttps://www.blogger.com/profile/10653659684786748745noreply@blogger.com