tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post6674579042215352956..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-68148759690844776972018-11-18T18:40:04.919+05:302018-11-18T18:40:04.919+05:30सर बेहद आभार .मेरी कविताओं पर इतनी विस्तृत टिप्पणी...सर बेहद आभार .मेरी कविताओं पर इतनी विस्तृत टिप्पणी के लिए.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01956755070527210458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-49165807218579597142018-01-05T15:00:54.562+05:302018-01-05T15:00:54.562+05:30बहुत ख़ूबसूरत कविताएँ। मुझे अच्छी लगीं। इनमें नारी-...बहुत ख़ूबसूरत कविताएँ। मुझे अच्छी लगीं। इनमें नारी-मन धड़कता है, लेकिन समाज को भी भूली नहीं हैं दमयन्ति - "खेलता है अपना अंक / अधर्म ... / धर्म के वस्त्र पहनकर / और होता है वध .... / मनुष्य ... / मनुष्यता ... / और / उसके प्रतिबिम्ब का ...।" ये कविताएँ पढ़कर यह भी मालूम होता है कि कवि बहुत भावुक है और अपनी उस भावुकता को अभिव्यक्त करना जानती है। चाँद को सम्बोधित छठी कविता मुझे प्रिय लगीम जहाँ कवि कहती है - "चंदू जी ! मेरे मन का गुलाबी मौसम लाना ना भूलना।" दमयन्ति को हार्दिक शुभकामनाएँ। ऐसे ही लिखती रहें।अनिल जनविजयhttps://www.blogger.com/profile/02273530034339823747noreply@blogger.com