tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post6811278277000468728..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-82839806906170978132018-08-13T09:38:35.124+05:302018-08-13T09:38:35.124+05:30Vah!Vah!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06742554462607398456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-32797539954871067082018-08-13T09:37:23.804+05:302018-08-13T09:37:23.804+05:30Pathaniya, VicharniyaPathaniya, VicharniyaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/06742554462607398456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-77172181740949585682018-06-18T21:28:25.603+05:302018-06-18T21:28:25.603+05:30किसी कवि की सम्पूर्ण साहित्य सम्पदा में से चलताऊ ढ...किसी कवि की सम्पूर्ण साहित्य सम्पदा में से चलताऊ ढंग से पच्चीस तीस पंक्तियाँ चुन कर फ़ैसला सुना देना तर्कसंगत और उचित नहीं है...मुझे लगता है यह मूल्यांकन करने का सही तरीका नहीं है।इसपर एकबार फिर से सोचना चाहिए गनी जी को।<br /> -- यादवेन्द्रbatkahihttps://www.blogger.com/profile/15244102765482104668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-48268004542680917852018-06-17T20:19:36.997+05:302018-06-17T20:19:36.997+05:30शुक्रिया मित्रों
शुक्रिया मित्रों<br />सत्यनारायण पटेल, कहानीकार, उपन्यासकार, इन्दौरhttps://www.blogger.com/profile/11051949687014113807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-30086302074958458522018-06-17T17:32:14.983+05:302018-06-17T17:32:14.983+05:30दिनों के बाद हिंदी कविता और कवियों पर बेबाक टिप्पण...दिनों के बाद हिंदी कविता और कवियों पर बेबाक टिप्पणी गणेश गनी की।अच्छा है कि उदाहरण सहित उन्होंने अनिल जनविजय की कविताओं पर अपनी बात कही।उदाहरण स्वरूप कविताओं को पढ़ने से भी गणेश गनी की बात पुष्ट होती है।rajkishor rajanhttps://www.blogger.com/profile/17452107810318083196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-69017229629582739742018-06-17T17:31:45.136+05:302018-06-17T17:31:45.136+05:30दिनों के बाद हिंदी कविता और कवियों पर बेबाक टिप्पण...दिनों के बाद हिंदी कविता और कवियों पर बेबाक टिप्पणी गणेश गनी की।अच्छा है कि उदाहरण सहित उन्होंने अनिल जनविजय की कविताओं पर अपनी बात कही।उदाहरण स्वरूप कविताओं को पढ़ने से भी गणेश गनी की बात पुष्ट होती है।rajkishor rajanhttps://www.blogger.com/profile/17452107810318083196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-21514640016439578092018-06-17T17:09:00.276+05:302018-06-17T17:09:00.276+05:30परख 4 के अंतर्गत ली गई अनिल जनविजय की इन कविताओं म...परख 4 के अंतर्गत ली गई अनिल जनविजय की इन कविताओं में सचमुच कविता के ऐसे कोई तत्व सघन रूप में मौजूद नहीं हैं कि लगे कि कोई कविता हमसे पढ़ी जा रही है । परख की इन टिप्पणियों पर भले कोई प्रतिक्रिया न आए पर पढ़ इसे बहुत लोग रहे हैं । कारण आज के कवि /रचनाकार चालाक हैं , सेफ जोन में रहकर परिस्थितियों को भांपते रहना उन्हें अधिक पसंद है । <br />रमेश शर्माhttps://www.blogger.com/profile/10075506893239216934noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-74933606918583740262018-06-17T15:09:03.649+05:302018-06-17T15:09:03.649+05:30सटीक लिखते है आप गणेश गनी जी ,मुझे आपकी लिखी '...सटीक लिखते है आप गणेश गनी जी ,मुझे आपकी लिखी 'परख' श्रृंखला खूब भा रही है ।<br /><br />आभार <br /><br />रचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.com