tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post8978636005970944746..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-35794015996821928432019-02-21T09:00:27.951+05:302019-02-21T09:00:27.951+05:30श्रुति जी अच्छी कविताओं के लिए बधाई।
स्त्रीविहीन क...श्रुति जी अच्छी कविताओं के लिए बधाई।<br />स्त्रीविहीन कविता अलग है। इसे यदि फिर से लिखें तो इसकी मारक क्षमता और बढ़ सकती है। यह अपने आप में मुकम्मल है पर मुझे लग रहा है कि जो आप इसमें कहना चाह रहीं थीं वह पूरी शिद्दत से नहीं आ पाया। थोड़ी मेहनत इस पर करें और पूरी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में स्त्री की कोई जगह नहीं है, यहां तक इसका विस्तार करें तो एक दूसरी और ताकतवर कविता बन सकती है।संजीव जैनhttps://www.blogger.com/profile/14714062154925010187noreply@blogger.com