tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post9102495434234986755..comments2024-03-01T14:11:09.785+05:30Comments on बिजूका: बिजूका http://www.blogger.com/profile/10014371426239901036noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-5005254811551571582018-09-21T13:20:53.738+05:302018-09-21T13:20:53.738+05:30अमिता जी
यदि संभव हो तो अपनी इस उलझन को लिख दीजिए।...अमिता जी<br />यदि संभव हो तो अपनी इस उलझन को लिख दीजिए। बिजूका के साथी समृद्ध होंगे।सत्यनारायण पटेल, कहानीकार, उपन्यासकार, इन्दौरhttps://www.blogger.com/profile/11051949687014113807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-33647337099774163592018-09-21T12:30:56.931+05:302018-09-21T12:30:56.931+05:30सर
प्रशाशनिक अधिकारी के रूप में अपने जिम्मेदारियो...सर <br />प्रशाशनिक अधिकारी के रूप में अपने जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हुए ,भूलन कांदा जैसी कालजयी रचना कर आपने आदिवासी अंचल के भोले भाले ग्रामीणों का अमर चित्रण किया है. आगामी कालजयी रचना का इंतजार रहेगा. <br />शुभकामनाये <br />अरुण कुमार मरकामAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11376367999505896577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-34250401936977522712018-09-21T12:07:08.902+05:302018-09-21T12:07:08.902+05:30हर चीज लाभ और हानि के तराजू में नहीं तोली जा सकती,...हर चीज लाभ और हानि के तराजू में नहीं तोली जा सकती, विशेषकर लिखना। रचनात्मक लेखन खुद को अभिव्यक्ति का आत्म संतोष देने के लिए होता है। जब तक लिखना व्यर्थ लगे सचमुच मत लिखिए। जिस लेखन से सार्थकता महसूस होती हो उसे अपनाने की जरूरत है।<br />ashokhttps://www.blogger.com/profile/10465838332680786424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-893491094560764032018-09-21T08:59:46.983+05:302018-09-21T08:59:46.983+05:30बहुत खूबसूरत सर। कई बार सवाल ये भी उठता है कि आखिर...बहुत खूबसूरत सर। कई बार सवाल ये भी उठता है कि आखिर मुझे क्यों लिखना चाहिए!!! मेरे लिखने का मेरे अलावा और किसको लाभ है। कभी कभी इतना उलझ जाती हूँ कि लगता है सारा लिखना व्यर्थ है। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05392030919758226718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-68495994224713945962018-09-20T21:01:24.686+05:302018-09-20T21:01:24.686+05:30सादर नमन।।।प्रकृति जैसे बस्तर पर मेहरबान हो, मैं आ...सादर नमन।।।प्रकृति जैसे बस्तर पर मेहरबान हो, मैं आनन्द उठा रहा हु।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12520504003544025679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-1117794032292437412018-09-20T20:07:11.432+05:302018-09-20T20:07:11.432+05:30Sir पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। हृदय को छू गया ।बड़ी ही स...Sir पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। हृदय को छू गया ।बड़ी ही सरलता से आपने भावनाएं व्यक्त की जो आपके सरल व्यक्तित्व को दर्शाती है। कभी कभी शायद हर लेखक के मन मे यही सवाल उठता है कि हम लिखते क्यों है सबके कारण अलग होते है जो भी वजह हो पर लिखना भगवान का आशीर्वाद माँ सरस्वती की पूजा जैसा है और एक बार जब कलम पकड़ ली जाए तो चाहे भी तो कभी छूटती नही। आप सदैव अपनी कलम से रौशनी बिखेरते रहे भगवान से यही प्रार्थना है।शुभकामनायें।pooja agrawalhttps://www.blogger.com/profile/11443377003594496365noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-48378153475570251772018-09-20T19:16:27.927+05:302018-09-20T19:16:27.927+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.pooja agrawalhttps://www.blogger.com/profile/11443377003594496365noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9176111020869779708.post-13147022639182823622018-09-20T19:09:50.691+05:302018-09-20T19:09:50.691+05:30जैसे सरल तरल हृदय बक्षी जी हैं उनका लेखन भी वैसा ह...जैसे सरल तरल हृदय बक्षी जी हैं उनका लेखन भी वैसा ही है ।सबसे बड़ी बात यह के जैसा दिखे वैसे ही लिखने का दुराग्रह उन्होंने कभी नहीं पाला, क्योंकि यदि वह ऐसाही करते तो शायद आजीवन रिपोर्टर बने रहते।जह<br />जो शुभ है, सुंदर है ,सार्थक और सटीक सा है उन्होंने पूरी रचनात्मकता के साथ उसे लिखा। लगभग डेढ़ दशक से उनके साथ जुड़े रहकर मैंने मैंने उनकी प्रेरक शक्ति का प्रत्यक्ष अनुभव किया है। जिस आत्मीयता के साथ उन्होंने मित्रता निभाई है वही आत्मीयता , पाठक के प्रति उनके लेखन में पूरी तरह झलकती है।ashokhttps://www.blogger.com/profile/10465838332680786424noreply@blogger.com