02 नवंबर, 2010
हौंसलो की उड़ान
रोली
तुम कितनी ही कोशिश कर लो
तोड़ न पाओगे इस बार
मेरे हौंसलो की उड़ान
खोने न दूंगी खुद को
अपने काम को नया काम नया आयाम दूंगी
और दूंगी एक नई पहचान
अपनी आत्मा को जो
मुझसे शुरू होकर
ख़त्म होगी मुझी में
2 टिप्पणियां:
yamini
03 नवंबर, 2010 10:29
badhiya he.......
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Bahadur Patel
04 नवंबर, 2010 00:08
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badhiya he.......
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