09 सितंबर, 2024

मौत उनके लिए नहीं, फ़िलिस्तीनी कविताएं -चार

  

कमाल नासिर की कविता 


आखिरी बात


प्रिय,


अपने पहले बच्चे को 

गोद में खिलाते हुए 

अगर खबर सुनना यह, 

मेरा इन्तजार करते हुए, 

मत रोना 

क्योंकि लौटना नहीं होगा मेरा फिर से 

जीना तकलीफ़ और मुसीबतों के बीच 

कुछ भी नहीं 

अगर पुकारता हो अपना वतन












प्रिय, 

पढ़ो ये खबर, अगर 

मेरे साथियों की दहशत भरी आँखों में 

खुदा के लिए 

उन्हें देना तसल्ली 

अपनी दिलकश मुस्कराहट से 

गोकि तब्दील हो गयी हैं 

मेरी बहारें सर्द जाड़ों में 

ताकि बरक़रार रहे तुम्हारी बहारें 

उन्हीं बहारों के नाम 

लिख देता हूँ 

साथियों के सपनों को


नहीं छोड़ जाऊँगा उसके लिए कुछ भी 

सिवा अपने गीतों के एक टुकड़े के 

और अपनी बाँसुरी 

अगर मातम करे कभी वह 

भरे दिल से मेरी क़ब्र पर 

कहना उससे 

शायद लौटूं एक दिन 

एक पके फल की तलाश में



०००


कवि का परिचय 


कमल नासिर - कवि और फ़ौजी। 1923 में बिर जैत में जन्म।1973 में जिओनिस्ट कमाण्डो द्वारा बेरुत में ' ऑपरेशन वरदूत' के तहत हत्या 

०००



अनुवादक

राधारमण अग्रवाल 

1947 में इलाहाबाद में जन्मे राधारमण अग्रवाल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम कॉम तक पढ़ाई की , उनकी कविताएं लिखने में और तमाम भाषाओं का साहित्य पढ़ने में रुचि थी। उन्होंने विश्व साहित्य से अनेक कृतियों का अनुवाद किया। 1979 में पारे की नदी नाम से कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। 1990 में ' सुबह ' नाम से उनके द्वारा अनूदित फिलिस्तीनी कहानियों का संग्रह प्रकाशित हुआ । 1991 में फ़िलिस्तीनी कविताओं का संग्रह ' मौत उनके लिए नहीं ' नाम अफ्रो-एशियाई लेखक संघ के लिए पहल द्वारा प्रकाशित किया गया था।

1 टिप्पणी: