18 दिसंबर, 2016

अनुवादित कविताएँ : सर्जिओ इन्फेंते : अनुवाद : रति सक्सेना

साथियो नमस्कार,

साथियों आज प्रस्तुत हैं कुछ अनुवादित कविताएँ कवि सर्जिओ इन्फेंते की जिनका अनुवाद किया है रति सक्सेना जी ने ।

1.पौध-घर 

आसमान में
शैतानी गैसों ने बना ली
अपनी बेहद बेवकूफाना मेहराब
और समय रहते किसी को नहीं मिली खबर?

किसे पता है, आखिर कौन जानता है
कब बजी थी उस समय
गमन-सूचक सीटी।

जल प्लावन और मृत शरीर - निसृत गैसों ने
कोहरे के कफन से
ढक दी हैं सभी मुख्य जगहें,
उष्णकटिबंध, विषुवत,
कुतुबनुमा दर्शित समस्त गुलाबी पटल।

धरती बन गई है एक ममी
जिसकी कामना नहीं करता कोई
जिसे बदल नहीं सकता कोई।

लेकिन यहीं रुको,
देखो इस शून्य में
हमारी सदिच्छाओं से रिसता शाश्वत व्रण,
हमारी नियत का जाया
प्रशंसनीय गलित मांस।

2.नरगिस पुष्प की दूसरी मौत 

मैं सागरी झील की सतह के करीब
खड़ा हूँ।

नजर आती है उसमें
किसी बड़े घपलेबाज की
अप्रत्याशित शक्ल।

अचंभित खड़ा रहता हूँ मैं,
निरंतर उतरता वाष्पित जल
प्रतिबिंबित करता रहता है
मेरी शक्ल,
सूखते, घटते जल में
शेष रह जाते है
सूर्य-विगलित
रोड़ी, शैवाल,
एक सड़ी हुई चिंगत मछली
और घपलेबाज सी मेरी शक्ल,
वही सूर्य जो छेद देता है
ओजोन की परत
किसी स्नेही गिलोटिन सा
सफाई से गिरता है
मेरी गुद्दी पर।
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परिचय:

नाम : सर्जिओ इन्फेंते

जन्म : 1 मई 1947, चिली

भाषा : चिली

विधाएँ : उपन्यास, कविता, आलोचना

मुख्य कृतियाँ

कविता संग्रह : Gray Abysses, On Exiles, Portrait of an Era, The Pariahs’ Love, Day was Dawning, The Leap Waters
उपन्यास : The Flocks of the Cyclops
आलोचना : The Stigma of Falseness

सम्मान:

कोंडोर पुरस्कार 
प्रस्तुति:- बिजूका समूह

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