बिजूका
25 मई, 2025

विपिन चौधरी की कविताऍं

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एक अदृश्य को दृश्य   सारी उपस्थितियां, अपनी पसंद के फ़ूलों में  सारी कामनाएं,  अपनी अभिरुचि की धुनों में  तब्दील हो गईं  बाकी जो कुछ भी बचा  ...
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खेमकरण ‘सोमन’की कहानी

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दिनांक: 30 मई, सोमवार पता गलत है।                       हैल्लो अनुपमा जी! मैंने आज के अखबार में आपके बारे में पढ़ा। आपकी रूचियों के बारे में ...
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06 मई, 2025

कहानी: सच्चा दोस्त

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मूल रूसी- लिअनीद अन्द्रयेइफ़   मूल रूसी से अनुवाद : सरोज शर्मा व्लदीमिर जब रात को देर से अपने घर लौटते और दरवाज़े की घंटी बजाते, तो घंटी की ...

प्रभा मुजुमदार की कविताऍं

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    ज़िद   थोड़ी मिट्टी  थोड़ी-सी नमी, सूरज की कुछ किरणें  हवा का हल्का झोंका.   एक अंकुर के उपजने के लिए बीज के विस्तार के लिए  जिंदगी के लहल...
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