22 जनवरी, 2017

पवन पराग की कविता

आज हम सीमा आज़ाद द्वारा उपलब्ध कराई कविता पोस्ट कर रहे हैं....प्लीज पढ़े

पंजे भर जमीन / पवन पराग

इस धरती पर बम फोड़ने की जगह है
बलात्कार करने की जगह है
दंगों के लिए जगह है
ईश्वर और अल्लाह के
पसरने की भी जगह है
पर तुमसे मुलाकात के लिए
पंजे भर जमीन भी नहीं है
इस धरती के पास।

जब भी मैं तुमसे मिलने आता हूँ
भैया की दहेजुवा बाइक लेकर
सभ्यतायें उखाड़ ले जाती है उसका स्पार्क प्लग
संस्कृतियाँ पंक्चर कर जाती हैं उसके टायर
धर्म फोड़ जाता है उसका हेडलाइट
वेद की ऋचायें मुखबिरी कर देती हैं
तुम्हारे गांव में
और लाल मिर्जई बांधें रामायण
तलब करता है मुझे इतिहास की अदालत में ।

मैं चीखना चाहता हूँ
कि देवताओं को लाया जाय मेरे मुकाबिल
और पूछा जाय कि
कहाँ गयी वह जमीन
जिस पर दो जोड़ी पैर टिका सकते थे
अपना कस्बाई प्यार ।

मैं चीखना चाहता हूँ कि
धर्मग्रन्थों को मेरे मुकाबिल लाया जाय
और पूछा जाय कि
कहाँ गए वे पन्ने
जिसपर दर्ज किया जा सकता था
प्रेम का ककहरा ।

मैं चीखना चाहता हूँ कि
लथेरते हुए खींचकर लाया जाय
पीर  पुरोहित को और
पूछा जाय कि क्या हुआ उन सूक्तियों का
जो दो दिलों के महकते भाँप से उपजी थीं ।

मेरे बरक्स तलब किया जाना चाहिए
इन सबों को
और तजवीज़ के पहले
बहसें देवताओं पर होनी चाहिए
पीर और पुरोहित पर होनी चाहिए
आप देखेंगें कि देवता
बहस पसंद नहीं करते ।

मुझे फोन पर कहना था और
कह दिया है अपनी प्रेमिका से
कि तुम चाँद पर सूत कातती
बुढ़िया बन जाओ
मैं अपनी लोक कथाओं का कोई बूढा
सदियों पार जब बम और बलात्कार से
बच जाएगी पीढ़ा भर मुकद्दस जमीन
तब तुम उतर जाना चाँद से
मैं निकल आऊंगा कथाओं से
तब झूमकर भेंटना मुझे इस तरह
कि सिरज उट्ठे कोई कालिदास का वंशज ।

अभी तो इस धरती पर बम फोड़ने की जगह है
दंगों के लिए जगह है
ईश्वर के पसरने की भी जगह है
पर तुमसे मुलाकात के लिए
पंजे भर जमीन भी नहीं है इस धरती के पास।
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टिप्पणियाँ:-

संध्या:-
इस कविता के साथ और भी कुछ जुड़ गया है अब तो ।
मुझे ये कविता बहुत अच्छी लगी

राजेन्द्र श्रीवास्तव:-
मन को छूने वाली प्रेम कविता
संवेदनाओं को झकझोरने वाली विचारोत्तेजक कविता

प्रदीप कान्त:-
प्रेम का ककहरा दराज़ करने वाले पन्नों को खोजती कविता मन को प्रेम से छूकर गुज़रती है

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