25 मई, 2025

खेमकरण ‘सोमन’की कहानी


दिनांक: 30 मई, सोमवार

पता गलत है।                      

हैल्लो अनुपमा जी!

मैंने आज के अखबार में आपके बारे में पढ़ा। आपकी रूचियों के बारे में पढ़ा। इससे पहले मैं भी इसी पेज पर छपा हूँ। शायद आपने देखा होगा। उसके बाद भी कोई बहुत अच्छा फ्रेण्ड नहीं है मेरा। आपको ‘हैल्लो यंग’ पेज पर देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मन किया कि मैं आपसे दोस्ती करूँ। इसलिए मैं अपना बायो-डाटा भेज रहा हूँ। आपको अजीब लगेगा लेकिन कोई बात नहीं। इसमें मेरे बारे में सब कुछ लिखा हुआ है। ए टू जेड। कुछ बातें ऐसी भी हैं जो मेरे मम्मी-पापा भी नहीं जानते। प्लीज...मेरी दोस्ती स्वीकार कर लेना। आपको पत्र लिखकर आज मैं बहुत खुश हूँ।

शुभकामनाओं के साथ

आापका दोस्त,

आकाश

           












दिनांकः 28 जून, मंगलवार

हैल्लो अनुपमा जी, 

पहले तो मैं खुश हुआ कि मेरा कोई पत्र आया है ! लेकिन लिफाफा खोलकर देखा तो उसमें मेरा ही पत्र निकला। लिफाफे के ऊपर लिखा हुआ था पता गलत है। जबकि मैं अच्छी तरह जानता हूँ, आपका पता बिलकुल सही है। लिफाफा देखकर लगता है कि आपने इसे खोलकर भी पढ़ा है।

अनुपमा जी, अब यह न समझिएगा कि मैं आपसे नाराज हो गया हूँ। आपने मेरी दोस्ती स्वीकार नहीं की है तो इसका कारण भी अच्छी तरह जानता हूँ। आप लड़की हैं, मैं लड़का हूँ। और हम दोनों ही अजनबी हैं। इसलिए यकाएक दोस्ती भी नहीं होनी चाहिए। कुछ जाँच-परख भी तो आवश्यक है। इस कारण आपकी शंका-आशंका मैं भलीभांति जान रहा हूँ तथा एक पत्र अब और भेजने की गुस्ताखी कर रहा हूँ ताकि आप मेरी दोस्ती स्वीकार कर लें। इसी के साथ मैं अपना पेन कार्ड-वोटर आई.डी. की जेरोक्स कॉपी भी भेज रहा हूँ। जिसे देखकर आप जान-समझ सकें कि मैं एक सही लड़का हूँ। प्लीज अनुपमा जी प्लीज... अब पत्र वापिस मत भेजिएगा। 

आई होप कि... आप अच्छी होंगी।

आापका दोस्त,

आकाश    


दिनांकः 20 जुलाई, बुद्धवार  

हैल्लो अनुपमा जी!

आपने फिर वही, 30 मई के पत्र की तरह, 28 जून को लिखे गए पत्र को भी बहुत बेरहमी के साथ वापिस कर दिया! वही, पुरानी बात लिखकर कि पता गलत है! जबकि पत्र को देखकर, साफ-साफ पता चल रहा है कि आपने इस बार भी इसे पढ़ा है! लिफाफा उस तरह चिपका नहीं हैं, जिस तरह मैं चिपकाकर भेजता हूँ। लिफाफे को देखकर कोई भी ये बातें कह सकता है!


सच! मैं अपने कमरे में आज बहुत रोया। आज मेरा जन्मदिन भी है। मुझे पूरा विश्वास था कि आप जन्मदिन की शुभकामनाएँ देंगी। हो सकता है कुछ गिफ्ट भी भेजें। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। रियली... आज मैं बहुत अपसेट था। मम्मी-पापा जी भी कह रहे थे कि बेटा एनी प्रॉब्लम! अब उन्हें क्या बताता ? बस चुप ही रहा। अब रात 11 बजे आपको पत्र लिख रहा हूँ।

अनुपमा जी, मैं बहुत सी लड़कियों को जानता हूँ लेकिन, मैंने कभी किसी से कोई अपशब्द नहीं कहा। कभी किसी से कोई बद्तमीजी नहीं की। मैं माँ-बहनों की इज्जत करने वाला बहुत ही अच्छा लड़का हूँ। मेरे अच्छे माता-पिता को मुझसे बहुत अपेक्षा है कि मैं इस दुनिया के लिए कुछ बेहतर करूँ। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करूँ। मेरी छोटी बहन संजना इस दुनिया में मेरी सबसे अच्छी दोस्त है। परन्तु मैं चाहता हूँ कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त आप बनें। प्लीज!


अनुपमा जी, आपसे दोस्ती करने के पीछे भी कुछ ठोस वजह है। मैंने जब से आपकी फोटो देखी है, तब से मेरे मन-मस्तिष्क पर आप छा गई हो। यकीन कीजिए, आप बेहद खूबसूरत हैं। शायद, मुझे आपसे प्यार भी हो गया है। मैंने आपको फेसबुक पर खोेजने की बहुत कोशिश की परन्तु आप नहीं मिली। मैंने ट्वीटर पर भी आपको बहुत खोजा लेकिन...यहाँ भी असफल रहा। गूगल ने भी मेरी मदद नहीं की। मैं अब क्या करूँ? मेरे पास आपका फोन नम्बर भी नहीं है। ले-देकर अखबार वाली फोटो ही बची है। इन दिनों मैं आपको लेकर बहुत बेचैन रहने लगा हूँ। पता नहीं किस स्थिति में होंगी आप?

 

प्लीज इस बार मेरा पत्र वापिस नहीं भेजिएगा। प्लीज, मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ। प्लीज… कुछ तो लिखकर भेजिए। हो सके तो अपना नया फोटो भेजिएगा। मोबाइल नम्बर भी और खासकर अपना व्हाट्सऐप नम्बर तो जरूर।

घर में सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम कहिएगा।

आापका दोस्त,

आकाश    

           

दिनांकः 25 अगस्त, बृहस्पतिवार

हैल्लो अनुपमा जी!

आपको पत्र भेजे आज पैंतीस-छत्तीस दिन हो गए हैं। आपने मुझे उत्तर नहीं दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि आप मुझे पत्र जरूर लिखोगी। क्योंकि इस दुनिया में मेरी सबसे अच्छी दोस्त आप हो। सिर्फ आप!


पता है आपको! आज संजना ने वो सारे पत्र पढ़ लिए जो मैंने आपको लिखे थे, जिसे आपने वापिस कर दिया था। वह बोली भैया आपको कुछ-कुछ प्यार हो गया है। उसने अपनी सहेलियों को भी बता दिया। मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने उसे एक जोर का तमाचा मार दिया। शायद अपने जीवन में पहली बार मारा होगा। उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि उसका भाई ऐसा भी कर सकता है।


अनुपमा जी, मैं नहीं चाहता कि मेरे और आपके बीच में कोई दूसरा आए। सच कह रहा हूँ, इन दिनों मेरा मन किसी भी काम में नहीं लग रहा है।

आपके पत्र के इन्तजार में,

आपका दोस्त,

आकाश

 

 दिनांकः 23 सितंबर, शुक्रवार

हैल्लो अनुपमा जी, 

आपने फिर मेरे दोनों पत्रों को अलग-अलग दो बड़े लिफाफों में रखकर वापिस भेज दिया है। लिफाफे के ऊपर आपने फिर लिखा है-पता गलत है। अगर पता गलत है तो पत्रों को जैसे मैंने भेजा है, ठीक उसी रूप में वापिस आने चाहिए, लेकिन ऐसा तो हो नहीं रहा। लिफाफे को देखकर लगता है कि आप हर बार मेरे पत्रों को पढ़ती हो! फिर लिफाफे को बंद करके उसे नए लिफाफे में वापिस भेज देती हो, यह लिखकर कि पता गलत है! क्यों अनुपमा जी? क्यों करती हो ऐसा? क्या मुझसे कोई गलती हो गई है? क्या मैं आपको पसंद नहीं हूँ? अगर आपको मैं पसंद नहीं हूँ तो एक-दो पत्र लिख ही सकती हो। पत्र लिखकर कह तो सकती हो आकाश, तुम मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं हो। लेकिन मैं जानता हूँ आप मेरी दोस्त हो और मेरी दोस्ती व मेरे प्यार की परीक्षा ले रही हो! बिलकुल आप लीजिए। ये आपका हक है।


अनुपमा जी, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि आपका पोस्टल एड्रेस सही है, इसलिए प्लीज... आप ये मत लिखा कीजिए कि पता गलत है।


बहुत ही बेसब्री से आपके पत्र के इन्तजार में,

आपका दोस्त,

आकाश


दिनांकः 15 अक्टूबर, शनिवार

हैल्लो अनुपमा जी!

कैसी हो? मेरी प्यारी, दोस्त कुछ तो बताओ?


मैं अपनी तैयारियों के सम्बन्ध में इलाहाबाद गया था। मेरे भविष्य के लिए चिन्तित मम्मी-पापा ने कहा जाओ कुछ बनकर आना लेकिन अनुपमा जी, आपके लिए वापिस अपने घर आ गया हूँ। मम्मी-पापा कह रहे थे क्या हुआ? अचानक वापिस क्यों आ गए? मम्मी-पापा तो कितनी बार कह चुके हैं कि इधर कुछ महीनों से मैं गुमसुम-गुपचुप सा रहने लगा हूँ। कुछ दुखित सा-कुछ उदास सा। अब उनको ये कैसे बताता कि मेरा मन तो, मेरी दोस्त अनुपमा के बिना नहीं लग रहा है। जब इलाहाबाद में था तो बार-बार लगता था कि आपने मेरे पत्रों का जवाब दिया होगा। वहाँ तो मेरी एकमात्र सहारा वही आपकी खूबसूरत फोटो थी। और यहाँ भी हैं। 


अनुपमा जी, मै आपको बहुत चाहता हूँ। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि पिछले पाँच-छह महीनों से आप मुझे क्यों नहीं कुछ तबज्जो दे रही हो? जबकि मैं तमीज-तहजीब वाला लड़का हूँ। प्लीज एक बार तो मेरी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दीजिए। बस एक बार...।


आपकी खुशियों की कामना करते हुए,

आपका दोस्त,

आकाश

 

दिनांकः 06 नवम्बर, रविवार

हैल्लो अनुपमा जी!

आप भी तो मुझे हाय-हैल्लो कह दिया करो!


मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप मुझे खारिज क्यों कर रहीं हो? क्यों मेरे पत्रों को बार-बार लौटा रही हो? हर बार लिफाफे पर लिख देती हो-पता गलत है। पता गलत है और पता गलत है! मुझे बताईए कि मुझसे कहाँ गलती हो गई है? सच कह रहा हूँ। मैं अन्दर से अब पूरी तरह टूट चूका हूँ। आपने मुझे बहुत निराश किया है। आप न मेरी दोस्ती को समझ पा रही हो न ही मेरी भावनाओं को। मैं मई से ही आपके लिए बहुत डिस्टर्ब रहा हूँ। कुछ कमजोर भी हो गया हूँ। पढ़ाई में तो बिलकुल भी मन नहीं लगता। किताब के हर पन्ने पर सिर्फ आप दिखती हो। दिन में भी पता नहीं कहाँ खोया रहता हूँ। खीझ भी उत्पन्न होती है। इसी कारण कितनी बार अपने मम्मी-पापा को बुरा भला भी कह दिया है मैंने। अनुपमा जी, मैंने आपको इतने पत्र लिखे हैं लेकिन आपने मेरे किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया। प्लीज एक बार...बस एक बार। मेरी ओर तो देखो! कब तक मेरी परीक्षा लोगी! अरे! मैं तो ऐसा हूँ कि आपके लिए जान भी दे सकता हूँ!

अनुपमा जी, इसलिए यदि अब आपने मुझे पत्र नहीं भेजा या इस पत्र को वापिस लौटाया तो मुझे अपने परिवार की कसम! मैं आपके घर हापुड़ आ जाऊँगा। बस, सात घण्टे के अन्दर आप तक पहुँच जाऊँगा! तब आप मुझे ठुकरा नहीं पाओगी! मैं हण्ड्रेड परसेण्ट श्योर हूँ कि आपका पोस्टल एड्रेस सही है। 


ये पत्र अधूरा है। मैं चाहता हूँ कि आप इसी अधूरे पत्र को पूरा कीजिए। इसी अधूरे पत्र में अपनी बात कहिए!


प्लीज अनुपमा जी, प्लीज... आपको मेरी कसम!

आपके जवाब के इन्तजार में,

आपका दोस्त,

आकाश      

 












दिनांकः 05 दिसबंर, सोमवार

प्रिय आकाश, खुश रहो हमेशा। 

आशा है घर-परिवार में सब लोग कुशल मंगल होंगें।

प्रिय आकाश, अभी तक मैंने तुम्हारे सारे पत्रों को पढ़ा हैं। इसलिए तुम मेरे लिए खुली किताब हो और कोई शक भी नहीं कि तुम अच्छे लड़के हो। अपने महाविद्यालय के टॉपर रहे हो। अच्छा काम भी करते हो। वहीं, मेरे प्यारे दोस्त, किसी लड़की को जाने बिना, उसकी दोस्ती या कहूँ प्यार के लिए आप बहुत नीचे और पीछे भी चले जाते हो। दुनिया की सबसे अच्छी दोस्त अपनी बहन को भी पीट देते हो। सिर्फ इस बात पर कि उसने तुम्हारा प्रेम-पत्र पढ़ लिया है, जो कि मेरी नजरों में प्रेम पत्र भी नहीं है। अपने माता-पिता पर भी झल्लाते हो। इलाहाबाद से भी वापिस आ जाते हो। प्यार के कारण अपनी पढ़ाई चौपट कर लेते हो। बायोडेटा में दुनिया को बदलने का दावा करने वाले आकाश, तुमको ये क्या हो गया है! न कैरियर का ख्याल, न परिवार का ध्यान। अपनी दयनीय हालत तो देखो।


प्रिय आकाश, तुम्हारे पत्रों को पढ़कर पता चलता है कि पिछले सात-आठ महीनों में तुम बहुत डगमगा गए हो। अब जब तुमने पत्रों के उत्तर न देने पर अनुपमा के घर हापुड़ आने की बात कही तो मुझे लगा कि अब समय आ गया है कि इस अधूरे पत्र को पूरा किया जाए। कलम उठाई जाए।


प्रिय आकाश, ये सच है कि अनुपमा का पोस्टल एड्रेस सौ प्रतिशत सही है। मैं भी हर बार तुम्हारे पत्रों को लेकर अनुपमा के पास जाता रहा, लेकिन वह लड़की पत्र-लेने से इनकार करती रही। मैं तुम्हारे पत्रों को घर आकर पढ़ता था। फिर मूल लिफाफे पर ‘पता गलत है’, इतना लिखकर उस पत्र को एक नए लिफाफे में रखकर तुमको भेज दिया करता था। हर बार यही सोचकर कि अब तुम पत्र नहीं भेजोगे लेकिन भाई! तुम तो गजब के प्रेमी निकले! तुमने तो पत्रों  की झड़ी ही लगा दी। कोई ऐसा भी कर सकता है? हद है भाई!


प्रिय आकाश! अब आगे सुनो! मैंने जिंदगी भर ईमानदारी से काम किया है। मैं आज भी दूर-दराज के गाँव में पत्र लेने-देने जाता हूँ। आँधी तूफान, बारिशों में भी। मेरा कोई भी दिन नागा नहीं जाता है। जानते हो क्यों? हो सकता है उस पत्र में किसी का भविष्य छुपा हो ताकि मुझे, तुम जैसे कुछ करने का जज्बा रखने वाले युवा और ईमानदार अधिकारी मिल सके, क्योंकि हमारा समाज अभी बहुत अच्छा बन नहीं पाया है। व्यवस्था दमघोंटू है। समाज को अभी बहुत बदलावों से गुजरना है। और वो बदलाव होगा तुम जैसे युवाओं से। गम्भीरता से सोचोगे, तब लगेगा कि तुम तो खुद ही समस्याओं की गढ़ उत्तराखण्ड में रहते हो! तुम्हारे यहाँ के युवाओं की निष्क्रियता के कारण ही उत्तराखण्ड के नेता-मंत्री पहाड़ और मैदान लूट रहे हैं! उत्तराखण्ड की आपदाएँ-समस्याएँ यहाँ के नेताओं-मंन्त्रियों के लिए लंच, ब्रेकफास्ट और डिनर है। क्या कहूँ, लगभग यही स्थिति पूरे भारत की है! आशा है, तुम मेरी बातें गम्भीरता से समझ रहे होगे! 


प्रिय आकाश! लड़कियों से दोस्ती करना या प्यार करना बुरा नहीं हैं। बुरा है अखबारी फोटो देखकर प्यार करना और स्वयं के मर जाने की धमकी देना। अपने परिवार को हाशिये पर ही रख देना। बड़ा ही अजीब मामला है तुम्हारा! लेकिन विश्वास करता हूँ कि तुम मुझ अदने से पोस्टमैन की यह बात भी समझ रहे होगे। बातचीत के क्रम में मैं यह भी बता दूँ कि इसे  संयोग ही समझा जाए कि मेरा नाम भी आकाश है, और तुम्हारा नाम भी आकाश! बहरहाल, मुझे माफ करना कि मैंने तुम्हारा पत्र पढ़ा, लेकिन कभी-कभी ऐसा काम भी कर लेता हूँ मैं।


अंत में इतना ही कहूँगा कि अब कभी भी अनुपमा को पत्र मत लिखना, उसकी शादी की बात चल रही है, अतः पढ़ाई लिखाई की ओर ध्यान देकर नए जीवन की शुरूआत करो और अपने समय का उद्घोषक बनो। 

शुभकामनाओं के साथ,

तुम्हारा दोस्त,

आकाश

०००


संक्षिप्त परिचय 

जन्म:  02 जून 1984,  रूद्रपुर, उत्तराखण्ड।

शिक्षाः राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रूद्रपुर, ऊधम सिंह नगर (कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल) से हिंदी विषय में एम0ए0, सरस्वती इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलोजी से बी0एड0, टीईटी, यूजीसी-सेट, यूजीसी नेट-जेआरएफ, और डॉ0 सावित्री मठपाल जी के निर्देशन में हिंदी लघुकथा पर पीएच0 डी0। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी से समाजशास्त्र में एम0ए0।

कार्यक्षेत्र: अध्यापन-लेखन। कविता, कहानी, समीक्षा, आलोचना और बाल साहित्य आदि विधाओं में सक्रिय। सामाजिक-सांस्कृतिक और शैक्षिक मुद्दों पर लेखन। 

प्रकाशित कृतियाँ: 

कविता संग्रह: नई दिल्ली दो सौ बत्तीस किलोमीटर, संस्करण 2022

कविता संकलन: दस्तक (दस कवि), संस्करण 2022

लघुकथा संकलन: 

पड़ाव और पड़ताल, खण्ड-15 (छह लघुकथाकार)

लघुकथा सप्तक (सात लघुकथाकार) 

कई कविता संग्रह-लघुकथा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित।


पत्र-पत्रिकाओं एवं ब्लॉग में प्रकाशन: कथाक्रम, परिकथा, कथादेश, लमही, बया, वागर्थ, यथावत, पुनर्नवा, अनुनाद, पहली बार, सब लोग, पाखी, दैनिक जागरण, विभोम-स्वर, नया ज्ञानोदय, लघुकथा कलश, आधारशिला, सेतु, पुरवाई, वीणा, गुफ्तगू, लघुकथा डॉट कॉम, कविता विहान, शैक्षिक दखल, युगवाणी, गुलमोहर, उत्तरा महिला पत्रिका, गाथांतर, आजकल, कादम्बिनी, कृति ओर, प्रतिश्रृति, साहित्य अमृत, पाठ, मेहनतकश, विज्ञान प्रगति, अविराम साहित्यिकी, शिवना साहित्यिकी, अविसद, सोच विचार, एक और अंतरीप, हिंदी चेतना, अमर उजाला, प्रेरणा-अंशु, परिंदे, जनकृति, सरस्वती सुमन, दि संडे पोस्ट, मधुराक्षर, युगवाणी, आधारशिला, अक्सर, साहित्य यात्रा, साहित्य कुंज, परिवर्तन, उदंती.कॉम, नैनीताल समाचार, अमर उजाला और उत्तर उजाला आदि पत्र-पत्रिकाओं-ब्लॉग में प्रकाशित। रचनाओं का आकाशवाणी रामपुर (उत्तर प्रदेश) से नियमित प्रसारण। डेढ़ दर्जन से अधिक शोधपत्रों का प्रकाशन।


सम्मान/पुरस्कार:

कहानी ‘लड़की पसंद है’ पर दैनिक जागरण द्वारा युवा प्रोत्साहन पुरस्कार।

कथादेश अखिल भारतीय हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा ‘अन्तिम चारा’ को तृतीय पुरस्कार।


सम्प्रति: असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, 

राजकीय महाविद्यालय तलवाड़ी-थराली, जिला : चमोली, 

उत्तराखण्ड, पिनकोड : 246482


संपर्क:  खेमकरण ‘सोमन, 

द्वारा श्री बुलकी साहनी, 

प्रथम कुंज, अम्बिका विहार, भूरारानी, वार्ड-32, रूद्रपुर, जिला- ऊधम सिंह नगर, 

उत्तराखण्ड-263153, मोबाइल : 09045022156

ईमेल : khemkaransoman07@gmail.com

2 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी10 जून, 2025 10:25

    नमस्कार सर, आपकी कहानी अत्यंत ही ह्रदयस्पर्शी लगी और यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो प्रेम के गहनअंधकार में अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं .

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  2. बेनामी18 जून, 2025 21:54

    बिल्कुल ठीक बात कही सर आपने "उत्तराखंड के युवाओं की निष्क्रियता के कारण ही यहाँ के नेता-मन्त्री पहाड़/ मैदान लूट रहे हैं" सटीक विषय.. अद्भुत लेखन...पत्रात्मक शैली की एक शानदार कहानी ।

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