03 जनवरी, 2019

कभी-कभार चार


हेनरिेटा कॉर्डेलिए रे की कविताएं

( 30 अगस्त,1852-1916 )


अनुवाद: विपिन चौधरी



हेनरिटा

  एफ्रो-अमेरिकन कवयित्री हेनरिेटा कॉर्डेलिए रे का जन्म न्यूयॉर्क शहर में 1849 को हुआ. उनके   प्रसिद्ध  गीति-काव्य "लिंकन"  का  ओड, वाशिंगटन डीसी में फ्रीडमैन्स स्मारक
(जिसे वर्तमान  में  मुक्ति स्मारक के रूप में जाना जाता है) के समर्पण के समय यानी  1876 में
विलियम ई. मैथूस  द्वारा  वाचन किया था,   इस कार्यक्रम में  बीज भाषण फ्रेडेरिक डगलस का  था. हेनरिटा  की लोकप्रियता  में  इस  गीति-काव्य का काफी अहम् स्थान है.
हेनरिेटा कॉर्डेलिए रे की कविताएं कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई, उनके पुस्तक 'सोंनेट्स'1893 में और
1910 में ग्राफ्टन प्रेस, न्यूयॉर्क:  से उनका दूसरा कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। 1916 में  हेनरिेटा की मृत्यु हुई.
उनकी कविताओं में प्राचीन समय के भग्नावशेष और अमेरिकी चेतना की झलक मिलती है.
उस समय के साहित्यक समाज में अग्रणी मानी जाने  वाली हेनरिेटा कॉर्डेलिए रे को  पुनर्निर्माण के बाद  के अमेरिकी इतिहास में अपने काव्यात्मक उत्खनन और अश्वेत समाज के प्राचीन अतीत की
ऐतिहासिक चेतना के प्रक्षेपवक्र को दर्शाने वाली कवयित्री माना जाता है.


हद


महान संगीतकारों की बनावट में बहुत अधिक बल होते हैं
जो संगीत को उसकी आत्मा से लयबद्ध सद्भाव को बनाए नहीं रख सकते
खगोलीय तरंगे क्या उन्हें कुछ संकेत भेजती हैं?
उनके दुःख जो गीत की मधुरता को कर देते हैं आधा
इससे गुज़रते हुए वह कर देता है अनसुना
इस तरह हम थोड़ी चमत्कारिक महिमा के मूड का कर देते हैं अनुवाद
जब एक मगन आत्मा एक त्रीव  दृष्टि स्वीकार करती है
फिर भी कौन है जो सूर्यास्त के इंद्रधनुषी रंग का मिलान करते हैं
कौन चकवे से उत्साह से उच्च कोटि का देवदूत सा स्पष्ट गा रहा है
हम करते हैं व्यर्थ संघर्ष , फिर भी हम प्रसन्नतापूर्वक
 दरारों के बीच में जीवन की परछाईयों को पकड़ लेते हैं
ताकि वे दैवीय वस्तुओं  की अकथ झलकियों को आये लेकर



ज़िंदगी

जिंदगी ! हाँ
क्या है यह ?
यहाँ तक की शाश्वतता के चक्र से
एक पल और कता और एक बार फिर
पेचीदा मसलों  और  बर्बाद आशाओं
बुखार और क्रोध के बीच  कैसी कुश्ती

प्रेम में कैसी समृद्धि!
कैसी जीती हुयी विजय
मौन की पीड़ा में, इससे पहले की विश्वास मिले
कई तरह का निर्वाह और नम
आँखें देखती हैं अतीत के सूरज की भव्यता
और परिस्थितियों के जाल में कैसा संघर्ष
और द्रुतगामी संगीत का विषाद !
समस्त बेड़ियों से मुक्त होने के लिए,
एक बेचैन संघर्ष
जब तक, अनंत काल के विस्तार में बटोरा न जाए
क्या यह वहीँ  पिता के बुलावे का मुख़्तसर पल नहीं है ?
जिंदगी ! अरे यह सबसे अच्छे रूप में है \
मगर है एक रहस्य


लिंकन



आज, अरे शहीद नायक, सूरज तले
हम तुम्हारी प्रतिमा का अनावरण करेंगे; यह देखने के लिए कि किसने
अपनी आत्मा  की  ईमानदारी से राष्ट्र की वाहवाही को जीत लिया  है
एक प्रेमपूर्ण श्रद्धांजलि का हम प्रयास  करेंगे
'टी  तुम संसार जीतने के लिए नहीं, बल्कि मनुष्य-मात्र के हृदय जीतने के लिए
और थे गुलामी की बर्छी  के डंक पर मलहम लगाने के लिए
गुलामों के भलाई करने पर पर तुम्हें मिलती थी ख़ुशी
और खोले तुमने "मानव-जाति  के  लिए  दया के  द्धार "
और इसलिए वे गुलाम, अपनी  मुक्ति हेतु
आभार का उपहार लिए सामने आये
जिनके उदासीन रास्ते से  तुमने  हर लिया था अंधकार 

ग्यारह वर्ष  के उनके समय को  घेर कर लपेट दिया
चूंकि उनका सबसे  बड़ा दुःख,  उनके जीवन-कार्य में ढला हुआ है
फिर भी उनके बिसरे दिनों  की संभावनाओं  के ज़रिये
हम आपको अभी भी  देखते हैं,
अपनी नज़रों की  जवाबदेही के रूप में
हमेशा से अपने देश की गंभीर जरूरतों के रूप में
क्या आपका पवित्र राजमुकुट था, यथार्थ  लायक
पृथ्वी के रत्नों की तुलना में आपके सामान्य गुण
शुद्ध, ईमानदार,  साफ़  चीज़ों के लिए उत्साही
सत्य तुम्हारा मार्गदर्शक था; सत्य के  आदेश तुम्हारे लिए थे क़ानून


दुर्लभ वीरता, भावनाओं की  शुद्धता,
ऐतिहासिक कथा-नायक स्पार्टन  सी  कठोर सादगी,
जले हुए सोने की तरह
प्रकाश की किरणों जैसी नैतिक ताकत
कमज़ोर सांचे में ढले हुए पुरुषों के संदेह के बीच थे तुम
जिसे देश के सबसे  पीड़ादायक पलों में आवाज़ दी गयी
जब सत्ता के लिए पागल  भाई,
युद्ध की खूनी निविड़ में शासन के संचालन के  मार्गदर्शन करने के लिए
अपने ही भाई को गया था भूल 
जबकि दूरवर्ती राष्ट्र,
भय  से  दिख रहे थे चिंतित
कभी न मरने वाली इच्छा के साथ आपके शक्तिशाली मिशन को
किया आपने बेधड़क पूरा


भाग्य से जन्मा सबसे प्रसिद्ध
हे लिंकन, हे लिंकन ! बढ़ते समय की विकास  में
ईश्वर ने  तुम्हें रोका और पीड़ित  लोगों  की  मुक्ति के लिए बोली लगाई
मानवता के लिए दिया सबसे शानदार वरदान
जब पृथ्वी पर शासन कर रही थी गुलामी, तो क्या करना चाहिए ?
सूरज के नीचे  कितनी त्रासदियां घटित हुई
उसका पन्ना हार के रिकॉर्ड के साथ पड़ गया है धुंधला
जीवन में रहते थे तुम बन वीर मौन
थके हुए वर्षों की भाषणहीन पीड़ा में
दुनिया की तारीफ
 दुःख, निराशा और आँसुओं में मिलती है


तुम्हारे उच्चारित शब्द और आज़ादी का मेला
सर्द स्वच्छ हवा  में आज़ादी की मीठी घंटियां बजती हैं
वह घूमाती है अपनी जादुई छड़ी और दूर से देखो
चोट के  ढेरों निशानों के साथ आ रहा है
एक लंबा जुलूस,
कड़वे संघर्षों  में  सिकुड़ी हुई उन लोगों की भौहें
बहुत से लोगों ने जीवन के  दुखों को  कहा विदा
जैसे ही उन्हें बहुत जल्दी आज़ादी मिली  बुजुर्ग, जवान सबकी  हथकडियां हो गयी  गायब
और यहाँ तक की
प्रशंसा  के जोरदार जयध्वनि की पेशकश के लिए
एक शिशु का जन्म हुआ 
बेहद दुखभरे दिनों के बाद उनकी खुशी का उपहार

एक समुदाय  की नस्ल, गुलामी से  मुक्त हो गयी
उनकी कार्यवाही लायी है खुशी और प्रकाश
उनकी पवित्र ऊंचाई से  न्याय हो गया  है  शांत
जब विश्वास, आशा और साहस  कम  हो रहे हैं  धीरे-धीरे
फैले हुए सितारे और पट्टीयां आख़िरकार अस्थिर हो गए हैं
एक समुंदर से दूसरे  समुंदर तक फ़ैल रही है
राष्ट्र की प्रशंसा
और स्वर्ग की महराबें,
आजादी के सद्भाव के संग बज रही हैं
स्वर्गदूतों के  बीच में चौलाई को शांत रहना चाहिए
ऊपर की ओर जाते ही उनकी मंत्रमुग्ध ताल
भव्य भजन और जैसे ही गूंज झनझनाने लगता है
भगवान  का  निरंतर  मिलने वाला आशीर्वाद
इस कार्रवाई को  कर देता है मुहरबंद

अब हम तुम्हें यह कड़ी  समर्पित करते हैं,
वाकई बेहद विनम्रता से हमें  हिमायती और
गंभीर ईमानदारी से खड़ा  होना होगा हमें
एक अदृश्य स्मारक, असुविधाजनक
हमारा संबद्ध उद्देश्य,
आजादी के सबसे ऊंचे नियमों के लिए,
सच होने  तक  है सुरक्षित
ताकि  उसके जरिये हम उग्र संघर्षों में चल सके सुरक्षित
उस नींव पर जमे हुए जो  टिकी हुई है अभी भी
जब ग्रेनाइट हो जायेगा टुकड़े-टुकड़े
और  पीढ़ियां  चली जाएंगी पृथ्वी से दूर  कहीं

महान देशभक्त ! शानदार नायक
तुम्हारे जीवन का अमर कार्य
हमें विश्वास की तरफ धकेलता  है
आज  भी तुम्हारे  गुण  चमक से साथ रोशन होते हैं
और हम काटों की माला कैसे प्रस्तुत कर सकते हैं?
फिरौती देकर बंदी को मुक्त करने वाली नस्ल के  ताज़ हो तुम
हमारे देश के पहले मसौदे से हम बहुत प्रेम करते हैं,
रोशनी की धुंधली होती जाती कोमलतापूर्वक दिशाएं
मुक्तिदाता, नायक, शहीद, दोस्त!
जबकि आजादी  कर सकती है
उनके पवित्र राजदंड का दावा
संसार भर में गूँज उठेगा हमारे लिंकन के नाम
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विपिन चौधरी


कभी-कभार की पिछली कड़ी नीचे लिंक पर पढ़िए


कभी

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