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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

07 अगस्त, 2015

अनुवादित कविता : त्रिन सूमेत्स

त्रिन सूमेत्स की इन अनुवादित कविताओं से कीजिये जिनका अनुवाद राजलक्ष्मी जी द्वारा किया गया हैे और अपने विचार और प्रतिक्रिया जरूर व्यक्त करें ।

1. एक 

मैं बिलकुल तुम्हारी तरह
चुन सकती हूँ
कि मुझे पीड़ित होना हैं
नहीं
गर तुमने चुन ही लिया है तो
तुम्हारे पास
पूछने को कुछ सवाल जरूर होंगे
और तुमसे पूछने के लिए
औरों के पास होंगे
तुमसे कहीं अधिक

2. दो 

वे सारे शहर, जहाँ तुमने प्यार किया
किसी न किसी अर्थ में एक से हैं
चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने पर रहे हों

सबके एक से ही चौराहे हैं
वे एक सी नदी को प्रतिबिंबित करते हैं
और बिलकुल एक जैसे बादल उड़ते हैं
कुछ अर्थों में बिलकुल एक से हैं
कि वे सारे तुम्हारे अपने शहर हैं

3. तीन 

आजकल क्या लिख रहे हो ?
एक जॉर्डन कवि ने पूछा था
'प्रेम के विषय में' मैंने जवाब दिया
आखिरकार प्रेम के अलावा दुनिया में
कुछ और है भी तो नहीं
'वे' मुझसे सहमत थे
सच कुछ भी नहीं है प्रेम के अलावा
फिर उन्होंने अपनी कविता पढ़ी, अरबी में
उनके गालों पर आँसू बह रहे थे
संवेदनशील, मैंने सोचा
फिर वही कविता मुझे अंग्रेजी में सुनाई
जो उनके उस परिवार के बारे में थी
जिसे खत्म कर दिया गया, उनकी ही आँखों के सामने
उनकी माँ, पिता भाई और पत्नी
और सच
उस कविता में भी कुछ नहीं था
प्रेम के सिवा

4. चार 

तुम श्वसन और निश्वसन करते हो
पूरे नौ जीवनों में
अपनी पूरे नौ मौतों में
एक बुद्धिमान कभी जल्दी नहीं करता
वह रुकता है
जब उसे आवश्यक हो किसी मदद की
तब भी जब किसी को आवश्कता हो उसकी मदद की
और जब यह काफी होता है

5. पाँच  

तुम्हे 'माँ 'से लिया गया
और फिर 'माँ' में बदल दिया गया
हर चीज पेट से शुरू होती रही
कुछ अंदर की तरफ रास्ता बनाते रहे
कुछ बाहर की तरफ निकलते रहे
अपनी पसंदीदा जगह की ओर
ताकि रुक सकें कुछ क्षण
तय करते रहे कई 'पेट' से सफर
कि कहीं तो होगी वह बेशकीमती जगह
कम अज कम मैं ऐसा सोचती हूँ
यदि ऐसा नही है,
वे इस तरह से धकियाते क्यों चलते रहे

परिचय

जन्म : 2 मार्च 1969, तेलिन (एस्टोनिया)

भाषा : एस्टोनियाई

विधाएँ : कविता

मुख्य कृतियाँ

कविता संग्रह : Sinine linn (The Blue City, द ब्लू सिटी), Soon (Vein, वेन), Pidurdusjälg (Skid Mark, स्किड मार्क), Randmes unejanu (the wrist unejanu), Janu masinas, Kaardipakk (deck of cards)

000 त्रिन सुमेत्स
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टिप्पणियाँ
तिथि:-
बहुत मूल्यवान ,नायाब और जरूरी  कविताएँ। शुक्रिया इन्हें साझा करने के लिए।

फ़रहत अली:-
जैसा कि अक्सर होता है, विदेशी भाषा की अनुवादित कविताएँ उतना प्रभाव नहीं डाल पातीं, जितना की देशी भाषाओँ की हिंदी अनुवादित कविताएँ डालती हैं। मुझे कविता जी की बात याद आ गयी, उन्होंने भी पिछले हफ़्ते कुछ ऐसा ही कहा था। शायद ये आब-ओ-हवा, स्वभावों, विचारों और नज़रियों का फ़र्क़ है, जिसकी वजह से हम उनकी(और शायद वो हमारी भी) सारी भावनाएँ मूल रूप में नहीं समझ पाते; लेकिन फिर भी हमें इसके लिए कोशिशें करते रहना चाहिए।
मुझे तीसरी कविता सबसे बेहतर लगी।

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