नरेन्द्र मोदी का नया अवतार‘चौकीदार
सुनील कुमार
मोदी जी 2014 में ‘चाय वाले’ के अवतार के रूप में देश के सामने आये और नारा दिया ‘सबका साथ, सबका विकास’। 11 अप्रैल, 2014 को 3 डी से चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि 15 सितम्बर, 2013 से वे 350 से अधिक स्थानों पर चुनावी सभाएं कर चुके हैं। साथ में भी यह कहा कि विश्व में 3डी का प्रयोग कहीं नहीं हुआ है, यह एक पिछड़े देश में हो रहा है। इसके माध्यम से वे 20 राज्यों के 100 से अधिक जगहों पर लोगों को सम्बोधित कर रहे हैं जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है। इसके बाद उन्होंने 14 अप्रैल, 2014 को 3 डी के सम्बोधन में कहा कि 15 राज्यों में सौ से अधिक स्थानों पर लाखों लोगों को सम्बोधित कर रहा हूं, जो विश्व रिकॉर्ड है। इसी सम्बोधन में मोदी जी ने कहा कि गुजरात विधान सभा के चुनाव में एक साथ 53 जगहों पर सम्बोधन करने का पुराना रिकॉर्ड भी मेरे नाम से ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड’ में दर्ज है, लेकिन आज मैं अपने ही रिकॉर्ड को डेढ़ साल बाद तोड़ रहा हूं। मोदी जी इस तरह रिकॉर्ड बनाने और तोड़ने में माहिर हैं। उन्होंने कहा था कि 2014 में सत्ता में आये तो दो करोड़ लोगों को प्रति वर्ष रोजगार देंगे। लेकिन बेरोजगारी दर 8 प्रतिशत से ऊपर चली गई है, यह भी एक रिकॉर्ड है। रिकॉर्ड बनाने वाले प्रधानमंत्री जी इतने महत्वाकांक्षी हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 15 अगस्त, 2013 में डुप्लीकेट लाल किला बनाकर भाषण दिया था। जब प्रधानमंत्री बने तो अपने पूंजीपति दोस्तों को लाल किला ही दे दिया, जिसका टिकट 20 रू. से बढ़कर अब 50 रू. हो गया।
पंकज दीक्षित |
2014 के ‘चाये वाले’ के अवतार से हटकर मोदी जी ने इस बार ‘चौकीदार का नया अवतार लिया है और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की जगह ‘फिर से मोदी सरकार’ का नारा दिया है। उन्होंने 2014 के ही तर्ज पर 21 मार्च, 2019 और 31 मार्च, 2019 को चौकीदार के नाम पर देश के 500 से अधिक जगहों पर लोगों को सम्बोधन किया। कहा गया कि 21 मार्च, 2019 को देश के 25 लाख ‘चौकीदारों’ से बात की गई है। 21 मार्च के सम्बोधन में मोदी जी ने कहा- ‘‘कोई भी मौसम हो, आप अपने काम में जुटे रहते हैं। घर में कितना बड़ा कार्यक्रम हो तब भी आप हमेशा अपनी ड्युटी निभाते हैं। सभी का दायित्व ऐसा है कि ड्युटी ही त्यौहार बन जाता है। आप लोग हैं तभी समाज सुरक्षित महसूस करता है।’’ क्या ऐसे लोगों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलनी चाहिए मोदी जी? क्या वे सप्ताहिक अवकाश और दूसरी तरह की श्रम सुविधाओं के हकदार नहीं हैं? जब भी इन चौकीदारों से हमारी बात हुई है तो ये अपनी कम तनख्वाह, कड़ी ड्युटी और सुविधाओं की कमी को लेकर शिकायत करते हैं। लेकिन जब मोदी जी से इन्हांने प्रश्न पूछा तो एक महिला चौकीदार बोली कि हमें राजनीतिक स्वार्थ के कारण चोर कहा जा रहा है। उड़ीसा के एक साहब ने कहा कि आप ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाब दिया, फौज ने पराक्रम कर दिखाया, देशवासियों की छाती चौड़ी कर दी। चौकीदारों की इज्जत बढ़ा दी, साहब। हम हर रोज कई लोगों से मिलते हैं। आपके पास बातें नहीं पहुंचती होंगी, लेकिन नीचे गजब का माहौल है, आप किसी का परवाह न करें साहब। हम आपके साथ हैं, पूरा देश आपके साथ है साहब।’’ श्रीकाकुलम से सन्मुखा जी का प्रश्न था- ‘‘20 साल से सुरक्षाकर्मी के रूप में काम कर रहा हूं। मैं भी चौकीदार, आप भी चौकीदार। हम दोनों दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। आपको कैसा लगता है सर।’’ इन सारे प्रश्नों से लगता है कि यह सब फिक्स था। किसी ने भी अपनी तनख्वाह और सुविधाओं पर बात नहीं की। उन्होंने वही बात की, जो कि मोदी जी चाहते हैं। जब कुछ मीडिया और सोशल मीडिया में उन चौकीदारों की वास्तविक स्थितियों के बारे में बातें होने लगीं कि उनसे 10-12 घंटे की ड्युटी ली जाती है और उसके बदले उन्हें 8-12हजार रू. मिलता है। मोदी जी ने अपने इस सम्बोधन में उनकी इन हालातों पर कोई बात नहीं की और न ही मालिकों को चेतावनी दी कि चौकीदारों को न्यूनतम मजदूरी देना अनिवार्य है।
चौकीदारों की वास्तविक हालातों से मुह मोड़ कर 31 मार्च के सम्बोधन में मोदी जी ने नये चौकीदारों की बात करने लगे। तालकटोरा स्टेडियम से उन्होंने विडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये 500 से अधिक जगहों पर लोगों को सम्बोधन किया। इस सम्बोधन को सुनने के लिए बीजेपी के अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, भाजपा अध्यक्ष अलग-अलग शहर में लोगों के साथ बैठे हुए थे। नरेन्द्र मोदी से पहले महिला उद्घोषक ने अपने वक्तव्य में कहा-‘‘यह नई आईडिया और सोच ने इस अभियान ने धूम मचा रखा है। 500 से ज्यादा लोकेशन से लोग जुड़े हैं। यह जन आंदोलन कैसे पैदा हुआ, कैसे उभरा, हमें किसने प्रेरित किया-हमारे लोकप्रिय, हमारे चहेते, दूरदर्शी, शक्तिशाली, विश्वख्यात, विकास पुरुष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने। यह कुछ उसी तरह की उद्घोषणा थी जैसा कि 14 अप्रैल, 2014 के 3 डी के उद्घोषक ने बखान किया था- ‘‘मोदी आप के साथ हैं, प्रत्यक्ष हैं, आप के पास हैं-ऐसा एहसास आपको होगा। टेक्नोलॉजी का इतना उत्तम प्रयोग लोगों से जुड़ने के लिए मोदी जी ने ही किया है। उन्होंने विडियो कान्फ्रेंसिंग, मोबाईल फोन, सोशल नेटवर्किंग (फेसबुक, ट्वीटर, वेबसाईट, ब्लॉग, गुगल हेंगआउट) और चाय पर चर्चा से जुड़ने के बाद 3 डी का अद्भुत मॉडल अपनाया है। आंखों में सपने और दिल में विश्वास, भारत के विकास का है दिल में प्यास। मोदी के भाषण से पहले इस तरह से उद्घोषणा करके लोगों के अन्दर एक छवि बनाने का प्रयास किया जाता है, जिसके बाद मोदी, मोदी शुरू हो जाता है।
31 मार्च के सम्बोधन में कहा-‘‘मैंने लोगों से कहा था कि आप विश्वास रखिये, आप दिल्ली का दायित्व दे रहे हैं ,मतलब आप एक चौकीदार बैठा रहे हैं (पहले भी वे अपने आप को कई उपनाम दे चुके हैं, जैसे कि प्रधान सेवक, मजदूर नं 1, फकीर इत्यादि) और एक चौकीदार के रूप में मैं इस दायित्व को निभाने का पूरा प्रयास करूंगा। तब मैंने कहा था कि देश का सामान्य आदमी टैक्स देता है, उस पर गरीबों का हक होता है। मेरी कोशिश रहेगी कि जनता के इन पैसों पर पंजा नहीं पड़ने दूंगा‘‘। प्रधानमंत्री जी, अगर आप यह बता देते कि गरीब जनता का एक साल (2017-18) में बैंकों ने कैसे 5,000करोड़ रू. न्यूनतम बैलेंस के आधार पर काट लिया है। प्रधानमंत्री जी शायद यह भी नहीं बताना चाहते कि देश की जनता के 8 लाख करोड़ रू. कैसे बैंकों में एनपीए बन गया है। मोदी जी, आप तो गरीब जनता के पैसों पर कानून बना कर लूट रहे हैं। आप गरीबों के पैसे पर पंजा नहीं पड़ने देने की बात करते हैं। आप ने तो नोटबंदी में कितने गरीबों का घर उजाड़ दिये, लगभग 150 लोगों के असमय मार दिये। इसी सम्बोधन में मोदी जी आगे कहते हैं- ‘‘कुछ लोगों की बौद्धिक मर्यादाएं होती हैं, उनका विकास नहीं होता है। उनके दिमाग में चौकीदार का मतलब टोपी पहने, सीटी बजा रहे और डंडा ठोक रहे लोगों से है। ये उनकी सोचने की मर्यादा है।’’ मोदी जी, आप व्हीसल ब्लोअर बनने के बात कर रहे हैं, लेकिन आप के सत्ता सम्भालने के बाद 2014 से सितम्बर 2017तक भारत में 17 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है और सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने पर अभी तक करीब 70व्हीसल ब्लोअर मारे जा चुके हैं। लेकिन आप अभी तक व्हीसल ब्लोअर संरक्षक कानून नहीं लाये और न ही इन मौतों पर कभी आपने मुंह खोला। पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर जश्न मनाने और कुतिया बोलने वाले को आप तो ट्वीटर पर फालोअप करते हैं। आप कहते हैं -‘‘देश की जनता चौकीदार पसंद करती है, राजा-महाराजा की जरूरत नहीं है।’’ लेकिन आप यह नहीं बताते हैं कि आप दिन भर में कितने ड्रेस बदलते हैं और पांच साल में आपके ड्रेस पर कितनी रकम खर्च हो चुकी है। आप अपने कलम और चश्मे का भी दाम बता देते। आप यह भी बता देते कि आप ने अपने ड्रेस मेकअप और रहन-सहन का ध्यान रखने के लिए एक कम्पनी को हायर कर रखा है। यह भी बता दीजिए कि इस कम्पनी को महीने में कितनी रकम देते हैं? आप का मैंने फिटनेस वाला विडियो देखा था, जिसको देख कर मुझे एहसास हुआ कि एक बट वृक्ष के नीचे कैसे आप के लिए सभी चीजें तैयार की गई हैं। वहां पर पानी, रेत, कंकड़, लकड़ी का बोर्ड इत्यादि सब मौजूद था। मोदी जी, यह सब क्या कभी किसी चौकीदार को नसीब होता है या राजा-महाराजा को?
आप से सवाल पूछने वाले ने अपने प्रोफेशन के बारे में बात नहीं की और ना ही बताया कि वह अपने प्रोफेशन के तहत देश की चौकीदारी कैसे करेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने पूछा कि आप जब दुबारा शपथ लेंगे तो हम चौकीदारों से क्या अपेक्षा रखते हैं? मुम्बई के एक सी.ए. (चार्टड एकाउंटेड) ने कहा कि जीएसटी से सभी सी.ए. का कार्य सरल हो गया है। बालाकोट एयर स्ट्राइक में फैसला लेने की ताकत कहां से मिली? आप के मन में यह आया कि इसमें थोड़ी चूक हो जायेगी तो आपके राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? अगारा से राजेश वाल्मीकी ने बताया कि नगर निगम में 25 साल से सफाई कर्मचारी हैं। कांग्रेस रोजना नये नये झूठ बोलती है एक झूठ सौ सौ बार बोलती है और पिछले पांच सालों में झूठ ही बोला है। झूठ बोलने का इको सिस्टम बहुत मजबूत है तो उनका कैसे पर्दाफाश करें? क्या मोदी जी आपके प्रश्नकर्ता के पास आपनी कोई समस्या नहीं थी तो कम से कम यह ही बता देते कि वह किस तरह से देश की चौकीदारी करेंगे? कौन नहीं जानता है कि एक सी.ए. किस तरह से लोगों को टैक्स चोरी करने का उपाय सुझाते हैं। उस छात्रा को यह क्यों नहीं बताया कि छात्रों के लिए पर्याप्त कॉलेज नहीं हैं? नगर निगम कर्मचारी को दलितों के साथ होने वाले भेद-भाव से क्यों नहीं परेशानी हुई? आपसे इस तरह से प्रश्न पूछा जाता है जो कि चुनावी स्टंट है, जिसको आप भी मुद्दा बनाते हैं। आप ने क्यों नहीं कहा कि चार्टड एकाउंटेड कोई भी फर्जी तरीके से टैक्स बचाने पर हस्ताक्षर नहीं करेगा? आप से यह क्यों नहीं प्रश्न पूछा गया कि पुलवामा हमले के बाद जब देश शोक मना रहा था तो आप अपने कार्यकर्ताओं को ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ कह कर सम्बोधन कर रहे थे। आप जगह-जगह रैलियां कर रहे थे और हमले में मारे गये सी.आर.पी.एफ. जवानों के फोटो का प्रयोग कर रहे थे।
आपने 2014 चुनाव के समय वादा किया था- ‘‘राजनीति का अपराधीकरण नहीं होने देंगे। जो लोकसभा और विधानसभा में चुन कर आये हैं, उनके लिए अलग कोर्ट की व्यवस्था की जायेगी, जो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चलेगी। एक साल के अन्दर दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा। जो अपराधी हैं, जेल जायेगें और जो अपराधी नहीं हैं व झूठे केस में फंसाये गये हैं, उनको मुक्ति मिल जायेगी। इसमें किसी तरह का भेद-भाव नहीं किया जायेगा।’’ आप बता सकते हैं कि आपने पांच साल में किस कोर्ट की व्यवस्था की और कितने दागी सांसदों और विधायकों को जेल भेजा? सोलहवीं लोकसभा में अपराधी पृष्ठभूमि के सांसदों की संख्या 150 से बढ़कर 179हो गई, जिसमें से 114 के ऊपर संगीन अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। आपके सामने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर जजों की नियुक्ति को लेकर रो पड़े थे, लेकिन आज तक आपने कोर्ट में जरूरत के हिसाब से जजों की नियुक्ति नहीं की। आप भ्रष्टाचार मिटाने की बात कहते हैं लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त येदुरप्पा आप की ही पार्टी में हैं। भ्रष्टाचार के केस में सजा पाये भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री सुखराम को आपने बीजेपी में शामिल कराया। यह कौन सी भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ रहे हैं? आप बात करते हैं कि देश को चौकीदार की जरूरत है, राजा-महाराजा की नहीं। सोलहवीं लोकसभा में करोड़पतियों-अरबपतियों की संख्या बढ़कर 430 हो गई। आखिर आप किस तरह से भ्रष्टाचारियों से निपटेंगे? आप भ्रष्टाचार से लड़ने का मजबूत हथियार आर.टी.आई. कानून को कमजोर करना चाहते हैं। यह आपकी भ्रष्टाचार से कैसी लड़ाई है?
मोदी जी, आप किस तरह की चौकीदारी किये कि सीबीआई जैसी संस्था के दो मुख्य अफसर आपस में लड़ते हैं और आपको आधी रात को उनको पद से हटाना पड़ता है। आपकी चौकीदारी में दो रिजर्व बैंक के गर्वनरों को इस्तीफा देना पड़ा। आपके चौकीदार रहते कई आपके मित्र जनता के पैसे लेकर विदेश में चंपत हो गये। यह आपकी कैसी चौकीदारी है? राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (छैब्) के दो सदस्यों ने यह कहते हुए इस्तिफा दे दिया कि सरकार रोजगार के आंकड़े जारी नहीं कर रही है। इस आयोग में अब सात की जगह दो लोगों से काम चला रहे हैं। आखिर यह कैसी चौकदारी है महोदय?
आप देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की छठवीं अर्थव्यवस्था बनाने की बात करते हैं, लेकिन आप यह नहीं बताते कि देश की आधी सम्पत्ति का मालिक 9 लोग हैं। आप देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते हैं लेकिन फोर्ब्स पत्रिका ने भारत को एशिया का नं. 1 भ्रष्ट देश बताया है। आप गरीबी हटाने के बात करते हैं लेकिन भारत आपके ही शासन काल में गरीबी सूचकांक में 55 वें स्थान से खिसकते हुए 119 वें स्थान पर पहुंच गया है। खुशहाली सूचकांक में भारत आपकी चौकीदारी में ही पाकिस्तान और बंगलादेश से पीछे 133 वें स्थान पर पहुंच गया है। आप आयुष्मान भारत का डंका बजा रहे हैं लेकिन भारत में लगभग 1,600 लोगों पर एक डॉक्टर है (ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी बुरी होगी)। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी लिखा कि मैं चौकीदार हूं लेकिन रेलवे में साढ़े तीन साल में पचपन हजार चोरी के मामले दर्ज हुए, जबकि अधिकांश मामले तो लोग दर्ज कराते नहीं या किया ही नहीं जाता। मान्यवर प्रधानमंत्री जी, देश को इस तरह के चौकीदार की जरूरत नहीं है। देश को चौकीदार की नहीं, एक प्रधानमंत्री की जरूरत है- जो प्रधानमंत्री के रूप में देश की जनता के अधिकारों को दिला सके, छात्रों के लिए स्कूल, कॉलेज दे, मरीजों के लिए आयुष्मान नहीं अच्छे सरकारी अस्पताल का निर्माण करे, देश के नौजवानों को रोजगार दे, सभी दफ्तरों में जनता के कामों को जल्द से जल्द पूरा कराये और लोगों को बिना देरी न्याय दिला सके। मजदूरों-किसानों को उसकी मेहनत का उचित पैसा दिल सके, लोगों के जीविका के साधन जल-जंगल-जमीन पर लोगों का अधिकार दिला सके ऐसे प्रधानमंत्री की जरूरत देश को है।
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सुनील कुमार का एक लेख और नीचे लिंक पर पढ़िए
सिवरेज का जिम्मेदार कौन है ?
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