मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी का जन्म 30 सितम्बर, 1207 को अफ़ग़ानिस्तान में बल्ख में हुआ था और उनकी मृत्यु 66 वर्ष की आयु में 17 दिसम्बर 1273 को मध्य तुर्की कोनिया में हुई थी। रूमी फारसी साहित्य के महत्त्वपूर्ण लेखक थे उन्होंने
मसनवी में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सूफ़ी परंपरा में नर्तक दरवेशों की परंपरा का संवर्धन किया। रूमी ने अपना जीवन मध्य तुर्की के सल्जूक दरबार में बिताया और कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। रूमी के जीवन में शम्स तबरीज़ी का महत्त्वपूर्ण स्थान है जिनसे मिलने के बाद इनकी शायरी में प्रेम का रंग भर गया था। रूमी की रचनाओं का एक संग्रह दीवान-ए-शम्स है। उनकी कविताओं ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ ईरानी कवियों में से एक बनाया है।
रूमी की कविताऍं
अनुवाद: सरिता शर्मा
एक
यह प्रेम है
यह प्रेम है: स्वर्ग की ओर उड़ना,
हर पल, सैकड़ों परदे चीर देना।
पहला क्षण, जीवन का त्याग करना:
अंतिम कदम, पैरों के बिना महसूस करना।
इस दुनिया को अदृश्य मानना,
जो खुद को दिखाई दे, उसे न देखना।
“हे हृदय,” मैंने कहा, “यह तुम्हें आशीर्वाद दे
प्रेमियों के घेरे में प्रवेश करने के लिए,
आँख की सीमा से परे देखने के लिए,
ह्रदय के घुमावो को भेदने के लिए!
हे मेरी आत्मा, यह साँस तुम्हारे पास कहाँ से आई,
हे मेरे हृदय, यह धड़कन कहाँ से आई?”
०००
दो
प्रेम म का संगीत
इसलिए, हे प्रेम, मधुर पागलपन, तेरी जय हो!
तू जो हमारी सभी कमजोरियों को दूर करता है!
जो हमारे गर्व और आत्म-दंभ का चिकित्सक है!
जो हमारा प्लेटो और हमारा गैलेन है!
प्रेम हमारे सांसारिक शरीर को स्वर्ग तक ले उठा देता है,
और पहाड़ियों को भी खुशी से नाचने पर मजबूर कर देता है!
हे प्रेमी, यह प्रेम ही था जिसने सिनाई पर्वत को जीवन दिया,
जब “यह काँप उठा, और मूसा बेहोश होकर गिर पड़े थे।”
अगर मेरे प्रिय ने मुझे अपने होठों से छुआ होता,
मैं भी, एक बाँसुरी की तरह, धुन में गा रहा होता।
०००
तीन
जब गुलाब मुरझा गया हो
जब गुलाब मुरझा गया हो और बगीचा मुरझा गया हो,
तो बुलबुल का गाना सुनाई नहीं देता है।
प्रियतम ही सब कुछ है, प्रेमी केवल उसे छिपाता है;
प्रियतम ही सब कुछ है, प्रेमी एक मृत वस्तु है।
जब प्रेमी को प्रेम की तीव्रता का अहसास नहीं होता,
तो वह उस पक्षी जैसा हो जाता है जिसने अपने पंख खो दिए हैं। अफसोस!
मैं अपने होश कैसे कायम रख सकता हूँ,
जब प्रियतम अपने चेहरे की रोशनी नहीं दिखाता है?
०००
चार
प्रेम की मशाल
उसने पतंगे की तरह प्रकाश की चमक देखी है,
और मूर्ख की तरह उसमें डूब गया और अपनी जान गँवा दी।
लेकिन प्रेम की मशाल उस मशाल की तरह नहीं है,
यह प्रकाश है, प्रकाश के बीच प्रकाश है,
यह अग्नि की मशालों का उल्टा है,
यह अग्नि जैसी है, लेकिन इसमें बस मिठास है।
०००
पाॅंच
प्रेम का घर
यह स्वर्ग का स्वामी है, जो शुक्र और चंद्रमा जैसा दिखता है,
यह प्रेम का घर है, जिसकी कोई सीमा या समाप्ति नहीं है।
आत्मा ने एक दर्पण की तरह अपने हृदय में आपकी छवि को ग्रहण किया है;
तुम्हारी लट का छोर कंघी की तरह मेरे हृदय में धँस गया है।
यहाँ तक कि महिलाओं ने
यूसुफ की उपस्थिति में अपने हाथ काट लिए थे,
हे आत्मा, मेरे पास आओ, क्योंकि प्रियतम बीच में है।
०००
छः
मेरा शरीर चाँद जैसा है
मेरा शरीर चाँद जैसा है जो प्यार के लिए पिघल रहा है,
मेरा दिल ज़ुहरा की वीणा जैसा है - इसके तार टूट जाएँ!
चाँद के ढलने या ज़ुहरा की वीणा की टूटी हुई हालत को मत देखो:
उनके प्यार की मिठास को देखो - यह हज़ार गुना बढ़ जाए!
०००
सात
प्यार के नशे में
मैंने लंबे समय तक पूर्व और पश्चिम की यात्रा की,
मैंने उस चंद्रमा के प्रेम में वर्षों और महीनों की यात्रा की,
रास्ते से बेखबर, ईश्वर में लीन।
मैं नंगे पैरों से काँटों और पत्थरों पर चला,
देखकर मैं भ्रमित आपे में न रहा और बेसुध हो गया।
यह मत सोचो कि मेरे पैरों ने धरती को छुआ है,
क्योंकि प्रेमी वास्तव में हृदय के साथ यात्रा करता है।
हृदय सड़क और पड़ावों को क्या समझता है?
जब वह प्रेम के नशे में है, तो दूर क्या और पास क्या?
०००
आठ
प्रेम कहाँ है
एक युवती ने अपने प्रेमी से कहा, “हे प्यारे युवक,
तुमने अपनी यात्राओं में कई शहरों का दौरा किया है;
उनमें से कौन सा शहर तुम्हें सबसे ज़्यादा मनोहर लगता है?”
उसने उत्तर दिया, “वह शहर जहाँ मेरा प्यार बसता है,
मेरी रानी जिस भी कोने में आती है;
चाहे वह सुई की आँख के बराबर हो, वह बड़ा मैदान हो ;
जहाँ भी उसका यूसुफ़ जैसा चेहरा चाँद की तरह चमकता है,
चाहे वह कुएँ का तल हो, वह स्वर्ग है।
मेरे प्रिय, तुम्हारे साथ नरक भी स्वर्ग था।
तुम्हारे साथ जेल भी गुलाब के बगीचे जैसी होगी।
तुम्हारे साथ नरक भी आनंद का महल होगा,
तुम्हारे बिना लिली और गुलाब आग की लपटों समान होंगे!
०००
नौ
मैं आत्मा को संजोकर रखूँगा
मैं एक चित्रकार हूँ, चित्र बनाने वाला;
हर पल मैं एक सुंदर आकृति बनाता हूँ,
और फिर तुम्हारी उपस्थिति में मैं उन सब को पिघला देता हूँ।
मैं सौ प्रेत बुलाता हूँ और उनमें आत्मा भर देता हूँ;
जब मैं तुम्हारे प्रेत को देखता हूँ, तो मैं उसे आग में डाल देता हूँ।
क्या तुम शराब बनाने वाले के साक़ी हो या उसके दुश्मन जो होश में है,
या तुम ही हो जो मेरे बनाए हर घर को बर्बाद कर देते हो?
तुममें आत्मा विलीन हो जाती है, तुम्हारे साथ मिल जाती है;
देखो! मैं आत्मा को संजोकर रखूँगा, क्योंकि उसमें तुम्हारी खुशबू है।
मेरे खून की हर बूँद तुम्हारी धूल से कह रही है
‘मैं तुम्हारे प्यार के साथ एक रंग हूँ, मैं तुम्हारे स्नेह का साथी हूँ।’
पानी और मिट्टी के घर में यह दिल तुम्हारे बिना सूना है;
हे प्रिय, घर में आओ, नहीं तो मैं इसे छोड़ दूँगा।
०००
ग्यारह
जब मैं मर जाऊँ
जब मैं मर जाऊँ
जब मेरा ताबूत
बाहर निकाला जाए
तो तुम्हें कभी नहीं सोचना चाहिए
मैं इस दुनिया को याद कर रहा हूँ
कोई आँसू मत बहाना
शोक मत करना या
दुःख मत मानना
मैं किसी राक्षस की खाई में
नहीं गिरूंगा
जब तुम देखो
मेरी लाश को ले जाया जा रहा है
मेरे जाने पर रोना मत
मैं जा नहीं रहा हूँ
मैं शाश्वत प्रेम तक पहुँच रहा हूँ
जब तुम मुझे
कब्र में छोड़ दो
तो अलविदा मत कहना
यह सूर्यास्त जैसा लगता है
याद रखना कब्र
सिर्फ़ एक पर्दा है
पीछे के स्वर्ग के लिए
तुम मुझे सिर्फ़
कब्र में उतरते हुए देखो
अब मुझे उठते हुए देखो
अंत कैसे हो सकता है
जब सूरज डूबता है या
चाँद डूबता है
यह अंत जैसा लगता है
यह सूर्यास्त जैसा लगता है
लेकिन वास्तव में यह भोर है
जब तुम कब्र में बंद हो जाते हो
तभी तुम्हारी आत्मा मुक्त होती है
क्या तुमने कभी देखा है
एक बीज जो धरती पर गिर गया
नए जीवन के साथ नहीं उगता
तुम्हें मनुष्य नामक बीज के उगने पर
संदेह क्यों करना चाहिए
क्या तुमने कभी देखा है
कुएँ में डाली गई बाल्टी
खाली वापस आ रही है
एक आत्मा के लिए विलाप क्यों करें
जब वह वापस आ सकती है
कुएँ से यूसुफ की तरह
जब आखिरी बार
तुम अपना मुँह बंद करोगे
तुम्हारे शब्द और आत्मा
उस दुनिया की हो जाएँगी
जहाँ कोई जगह नहीं, कोई समय नहीं
०००
बारह
महल में तुम और मैं
वह पल खुशनुमा है, जब हम साथ बैठते हैं,
दो रूप, दो चेहरे, फिर भी एक आत्मा,
तुम और मैं।
फूल हमेशा खिलते रहेंगे,
पक्षी अपना शाश्वत गीत गाते रहेंगे,
जिस क्षण हम बगीचे में प्रवेश करेंगे,
तुम और मैं।
स्वर्ग के तारे हमें देखने के लिए निकल आएंगे,
और हम उन्हें
पूर्णिमा की रोशनी दिखाएंगे -
तुम और मैं।
अब “तुम” और “मैं” के बारे में कोई विचार नहीं।
केवल मिलन का आनंद -
प्रसन्न, जीवंत, चिंता मुक्त, तुम और मैं।
स्वर्ग के सभी चमकीले पंखों वाले पक्षी
हमारे मीठे पानी को पीने के लिए झपट्टा मारेंगे -
हमारी हंसी के आंसू, तुम और मैं।
भाग्य का क्या चमत्कार है, हम यहाँ बैठे हैं।
यहाँ तक कि पृथ्वी के विपरीत छोर पर भी
हम साथ होंगे, तुम और मैं।
इस दुनिया में हमारा एक रूप है,
अगली दुनिया में दूसरा।
शाश्वत स्वर्ग हमारा है,
तुम्हारा और मेरा अंतहीन आनंद।
०००
तेरह
मैं तेरा हूँ और तू मेरा है
अनन्त जीवन अपने जीवन को
पूरी तरह त्याग देने से प्राप्त होता है।
जब भगवान अपने उत्साही प्रेमी के सामने प्रकट होते हैं,
तो प्रेमी उनमें लीन हो जाता है,
और प्रेमी का एक बाल भी नहीं बचता।
सच्चे प्रेमी छाया की तरह होते हैं,
और जब सूर्य चमकता है तो छायाएँ गायब हो जाती हैं।
वह भगवान का सच्चा प्रेमी है जिससे भगवान कहते हैं
“मैं तेरा हूँ और तू मेरा है!”
०००
चौदह
एक प्रार्थना
ईश्वर उन पर दया करे जो मार्ग दिखाते हैं
और जो अनुसरण करते हैं और जो उनकी प्रतिज्ञाएँ पूरी करते हैं,
और जो उन्हें पूरा करना चाहते हैं,
ईश्वर की कृपा और उदारता,
उनके अत्याधिक लाभों और अनुग्रहों के साथ!
क्योंकि वह प्रार्थना का सबसे अच्छा विषय है
और आशा का सबसे बढ़िया विषय है;
और ईश्वर सबसे अच्छा रक्षक और सबसे दयालु है
उन सबसे जो दया दिखाते हैं,
और सबसे अच्छे दोस्त और सबसे अच्छे वारिस हैं
और जो कुछ नष्ट हुआ है उसका सबसे अच्छा प्रतिस्थापन है
और उन समर्पित लोगों के लिए प्रदाता है जो
अच्छे कामों की मिट्टी बोते और जोतते हैं।
और ईश्वर मुहम्मद और सभी नबियों और रसूलों को आशीर्वाद दे!
आमीन, हे पैदा हुए प्राणियों के स्वामी!
०००
पन्द्रह
प्रेम एक अजनबी है
अरे तुम जो तीर्थ यात्रा पर चले गए हो –
तुम कहाँ हो, कहाँ, अरे कहाँ?
यहाँ, यहाँ प्रियतम है!
अरे अब आओ, आओ, अरे आओ!
तुम्हारा मित्र, वह तुम्हारा पड़ोसी है,
वह तुम्हारी बगल के घर में है –
तुम, रेगिस्तान में भटक रहे हो –
यह प्रेम का कैसा रंग ढंग है?
यदि तुम प्रियतम की आकृति
बिना किसी रूप के देखोगे –
तुम घर हो, मालिक हो,
तुम काबा हो, तुम! . . .
गुलाबों का गुच्छा कहाँ है,
यदि तुम यह बगीचा होते?
कहाँ हैं आत्मा का मोती जैसा तत्व
जब तुम ईश्वर का सागर हो?
यह सच है – और फिर भी तुम्हारी परेशानियाँ
धनवान खजाने में बदल सकती हैं –
कितना दुखद है कि तुम खुद ही
उस खजाने को छिपाते हो जो तुम्हारा है!
०००
सोलह
हम तीन हैं
मैं खनिजता से मर गया और जड़ बन गया;
और जड़ होने से मैं मर गया और पशु बन गया।
मैं पशुता से मर गया और मनुष्य बन गया।
फिर मृत्यु होने से गायब होने का डर क्यों?
अगली बार मैं मरूँगा
देवदूतों की तरह पंख और पर लेकर;
उसके बाद, देवदूतों से भी ऊँचा उड़ता हुआ –
जो तुम कल्पना नहीं कर सकते,
मैं वही बन जाऊँगा।
०००
सत्रह
संतों की आत्मा
यह जल है जो स्वर्ग से बहता है
ईश्वरीय कृपा से पाप की दुनिया को साफ करने के लिए।
आखिरकार, इसका पूरा भंडार खर्च हो गया, इसका पुण्य चला गया।
औरों के प्रदूषण से काला, यह तेजी से
सभी पवित्रताओं के फव्वारे की ओर वापस बढ़ता है;
जहाँ से, ताज़ा नहाया हुआ, यह फिर से धरती की ओर बहता है,
शानदार और शुद्ध महिमा का लबादा ओढ़े हुए।
यह जल संतों की आत्मा है,
जो हमेशा बीमार आत्मा पर, भगवान का मरहम लगाता है,
जब तक कि वह खुद खाली न हो जाए;
और फिर वापस लौटता है उसके पास
जिसने स्वर्ग का सबसे शुद्ध प्रकाश बनाया।
०००
अठारह
सच्चा सूफी
सूफी क्या होता है? हृदय की पवित्रता;
उन नीच सांसारिक लोगों का
पैबंद वाला लबादा और वासना नहीं
जो उसका नाम चुराते हैं।
वह सारी तलछट में शुद्ध गुण:
कठिनाई में सहजता, क्लेश में आनंद
का भेद करता है।
प्रेत प्रहरी, जो डंडे पकड़े हुए
सुंदरता के स्थान-द्वार और पर्देदार मंडप की रखवाली करते हैं,
उसके आगे रास्ता देते हैं, वह बिना किसी डर के गुजरता है,
और राजा का तीर दिखाते हुए, अंदर प्रवेश करता है।
०००
उन्नीस
अदृश्य शक्ति
हम बांसुरी हैं, हमारा सब संगीत तुम्हारा है;
हम पहाड़ हैं जो सिर्फ़ तुम्हारी ही प्रतिध्वनि करते हैं;
और हार या जीत की ओर बढ़ते हैं;
ऊँचे झंडों पर सजे शेर-
वे अदृश्य हवाएँ हमें दुनिया भर में बहा ले जाती हैं।
०००
बीस
वास्तविकता और आभास
यह प्रकाश रंगों को दृश्यमान बनाता है: रात में
लाल, हरा और गेरुआ रंग तुम्हारी दृष्टि से गायब हो जाते हैं।
तो अंधकार और प्रकाश का अंतर तुम्हें पता चलता है:
चूँकि ईश्वर के पास कोई रंग नहीं था, इसलिए वह सब कुछ देखते हुए,
खुद को नश्वर आँखों के लिए हमेशा के लिए नकार देता है।
अंधेरे जंगल से उज्ज्वल बाघ की तरह,
अदृश्य आत्मा से आकृति प्रकाश में छलांग लगाती है।
०००
अनूवादिका का परिचय
सरिता शर्मा (जन्म- 1964) ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर तथा अनुवाद, पत्रकारिता, फ्रेंच, क्रिएटिव राइटिंग और फिक्शन राइटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। पांच वर्ष तक
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया में सम्पादकीय सहायक के पद पर कार्य किया। बीस वर्ष तक राज्य सभा सचिवालय में कार्य करने के बाद नवम्बर 2014 में सहायक निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति। कविता संकलन ‘सूनेपन से संघर्ष, कहानी संकलन ‘वैक्यूम’, आत्मकथात्मक उपन्यास ‘जीने के लिए’ और पिताजी की जीवनी 'जीवन जो जिया' प्रकाशित। रस्किन बांड की दो पुस्तकों ‘स्ट्रेंज पीपल, स्ट्रेंज प्लेसिज’ और ‘क्राइम स्टोरीज’, 'लिटल प्रिंस', 'विश्व की श्रेष्ठ कविताएं', ‘महान लेखकों के दुर्लभ विचार’ और ‘विश्वविख्यात लेखकों की 11 कहानियां’ का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, समीक्षाएं, यात्रा वृत्तान्त और विश्व साहित्य से कहानियों, कविताओं और साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। कहानी ‘वैक्यूम’ पर रेडियो नाटक प्रसारित किया गया और एफ. एम. गोल्ड के ‘तस्वीर’ कार्यक्रम के लिए दस स्क्रिप्ट्स तैयार की।
संपर्क: मकान नंबर 137, सेक्टर- 1, आई एम टी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा- 122051. मोबाइल-9871948430.
ईमेल: sarita12aug@hotmail.com
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