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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

09 जून, 2019

कभी-कभार आठ


कविता  थी  उनकी वास्तविक पहचान

 विपिन चौधरी


अश्वेत कवयित्री ऑड्रे लॉर्ड  उन प्रभावशाली रचनाकारों में से एक हैं जिनकी पहचान उनकी कविता को साथ रखकर ही पूर्ण होती है थी ऐसा इसलिए है क्योंकि ऑड्रे लॉर्ड  के बहुमुखी व्यक्तित्व की  सबसे पुख्ता जानकारी  उनकी कविता से ही  पता चलती है।


विपिन चौधरी


क्रांतिकारी अश्वेत नारीवादी अफ़्रीकी-अमेरिकी कवयित्री  ऑड्रे लॉर्ड  स्वयं भी अपने निबंधों, साक्षात्कारों में  कविता की महत्वत्ता को रेखांकित करती रही.

अपने प्रसिद्ध लेख सिस्टर आउटसाइडर : फेमिनिस्ट एंड  स्पीचेस में कविता की मह्तवत्ता का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा, "हम स्त्रियों के लिए कविता एक लक्जरी नहीं बल्कि हमारे अस्तित्व के लिए एक आवश्यक जरुरत है। कविता, ऐसी रोशनी  है जिसके आलोक-भीतर हम अपनी आशाओं और सपनों के जिंदा रहने और उनमें इच्छित बदलाव को लेकर समर्पित करते हैं, कविता पहले  भाषा बनती है, फिर तब्दील होती है विचारों में और फिर अधिक ठोस कारवाही बन कर सामने आती है। कविता वह शैली  है जिससे  हम नामहीन को नाम देने में मदद करते हैं ताकि  उसपर आगामी कोई योजना बनाई जा सके।  हमारे दैनिक जीवन के छूने वाले अनुभवों से उकेरे गयी आशाओं और आशंकाओं के कहीं दूर के क्षितिज हमारी कविताओं से प्रभावित होते हैं.”
18 फरवरी, 1934, हार्लेम, न्यूयॉर्क संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मी ऑड्रे लॉर्ड अपने बचपन से ही एक अन्वेषक का स्वभाव लेकर उभरी.  कुछ बड़ी होने पर वे सामूहिक पहचान के विचारों का

प्रतिनिधित्व करने में विश्वास रखने लगी, उनका मानना था कि किसी अल्पसंख्यक समुदाय में  एकल व्यक्तित्व को आसानी से नज़रअंदाज़ किया जा सकता है. इसलिए ऐसे समाज में खास तौर पर एक स्त्री के लिए मल्टीप्ल आइडेंटिटी का होना आवश्यक है. जीवन के अनेक हिस्सों
में  अलग-अलग जिम्मेदारी निभाने वाली ऑड्रे लॉर्ड की एक अन्य  पहचान  समलैंगिक की  भी रही,
अपनी इस पहचान को भी उन्होंने हमेशा प्रमुखता  दी और इसे अपने स्त्रीत्व का प्रमुख हिस्सा माना.
अश्वेत नारीवाद में ‘इंटरसेक्शनएलिटी’ की परिभाषा के दखल का प्रयास करने वाली वे प्रमुख नारीवादी थी। अपनी दूरदर्शी दृष्टि के चलते उन्होंने 'इंटरसेक्शनएलिटी’ की परिभाषा का लगातार विस्तार किया और इसे अश्वेत अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया.

यह ऑड्रे लोर्डे ही थी जिन्होंने स्त्रीवादी आंदोलन में  उम्रवाद, (किसी व्यक्ति की उम्र के आधार पर पूर्वाग्रह या भेदभाव), समर्थवाद, (समर्थ लोगों के पक्ष में भेदभाव), होमोफोबिया (समलैंगिकता और समलैंगिक लोगों के प्रति चरम और तर्कहीन टकराव),  वर्गवाद, (किसी विशेष सामाजिक वर्ग से संबंधित लोगों के विरुद्ध पक्षपात) या पक्षपात करना, सीसेक्सिस्म ( ऐसे  मानदंड के लिए अपील  जो लिंग बाइनरी को लागू करता है, जिसके अंतर्गत लिंग अनिवार्यता जरुरी मानी जाती है और उसके न होने के  परिणामस्वरूप ट्रांस आइडेंटिटी का उत्पीड़न होता है) को भी शामिल किया.
ऑड्रे लोर्डे की आवाज़  स्त्रीवाद की दूसरी लहर की अवधि के दौरान उभर का आयी जिसमें उन्होंने पितृसत्तात्मक  समाज में स्त्री की विशेषताओं  को बचाने पर जोर दिया के बारे में था और उन्होंने अपने काम में स्त्री द्वारा स्त्री की पहचान पर बल दिया.

श्वेत लोगों के  विशेषाधिकारों  और शक्ति संस्थानों पर उसका रुख हमेशा कड़ा होता और उसे दर्शाने के लिए वे एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में विभिन्न आंदोलनों में भाग लेती, संगोष्ठिया आयोजित करवाती और लेखन में अपना प्रतिरोध दर्ज करती. लेखन की विविध विधाओं में उन्होंने  अपने व्यक्तित्व की विभिन्न पहचान का भरपूर इस्तेमाल किया। उनके नाम कई उपलब्धियां दर्ज़ केवल मात्र निजी उपलब्धियां न होकर एक बड़े समुदाय को समर्पित कार्य सिद्धियाँ  हैं. एक प्रकार का जुनून, ईमानदारी, अनुभूति और भावनाओं  की गहराई प्रेम, भय,
नस्लीय और यौन उत्पीड़न, अस्तित्व और शहरी संघर्ष उनकी कविताओं में आसानी से पकड़ में आते हैं.  उनके कवि जीवन की शुरुआत प्रेम कविताओं से हुए मगर 1960 के दौरान वह अपने राजनैतिक वक्तव्यों के लिए जानी गई. कविता उनकी पहली भाषा थी. उनके जीवन काल में उनके बारह कविता
संग्रह प्रकाशित हुए.

उन्होंने अपनी कविताओं  में श्रृंगारिक रस का  खूब प्रयोग  किया, अफ्रीकी डायस्पोरा से प्रतीकवाद और इतिहास से समृद्ध कविताएँ भी उन्होंने खूब लिखी. उन्होंने लगातार यह महसूस किया कि भीतरी संवेदनाओं से उपजी कविताएँ सार्वजनिक राजनीतिक और अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम बन सकती हैं.

अफ़्रीकी अमेरिकी कवयित्री सोनिया सांचेज़ और अमेरिकी एड्रिएने रिच से उनकी खूब जमती थी. ऑड्रे लोर्ड समलैंगिकता के मुद्दे को अँधेरे से निकाल कर प्रकाश में लेकर आयीं जिससे कई सामाजिक वर्गों के  लोगों जागरूक हुए और समाज में  अश्वेत समलैंगिक स्त्रियों के मुद्दों को  पहचान कर उनपर काम किया । तीसरी दुनिया के नारीवादी विर्मश का प्रमुख स्वर  ऑड्रे लॉर्ड  के लेखन की कई परतों में
उन्होंने  एक स्त्री की आत्मनिर्भरता की अवधारणा को बार-बार दोहराया है।  दोनों हाशिये अश्वेत और
समलैंगिक स्त्री तीनो हाशिये पर खड़ी ऑड्रे लॉर्ड का सफर आसान नहीं था मगर एक अश्वेत स्त्री
के भीतर ऐसी प्रखर चेतना को उनके दौर के लोगों ने देखा और आज भी संसार भर की रचनात्मक
स्त्रियां उनसे प्रेरणा ग्रहण कर रही हैं.
स्तन कैंसर के साथ उन्होंने चौदह वर्ष तक की लंबी लड़ाई लड़ी और अपनी इस बिमारी को भी
उन्होंने  मोटिवेशन का एक माध्यम मानते हुए स्तन कैंसर के बचाव के लिए लिखा और उससे संघर्ष को लेकर लिखी उनकी व्याधि की कहानी को  कैंसर की पत्रिकाओं में  प्रमुख काम माना गया. कैंसर पर केंद्रित  पत्रिकाओं में ऑड्रे लॉर्ड मृत्यु की संभावनाओं के बारे में तफ़्सील से बात की.
70 के दशक की शुरुआत में 90 के दशक में एक सक्रिय कार्यकर्ता और कवि के रूप में ऑड्रे लॉर्ड ने अपनी कविताओं के जरिए अपने जीवन के कई विरोधाभासों को प्रतिबिंबित किया.

उनकी कविताओं के अधिकांश विषय प्रेमियों और बच्चों और माता-पिता और दोस्तों के बीच संबंधों के सूक्ष्म और जटिल  दोनों प्रकार के भावनाओं से प्रेरित हैं, उनकी कुछ कविताओं में  राजनीति में परस्पर समाजवाद और अफ्रीकी अमेरिकी सांस्कृतिक अनुपातवाद और अफ्रीकी अमेरिकी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विरोधाभासी मिश्रण एक ही समय में दीखता था, वास्तव में समकालीन अमेरिकी समाज की दमनकारी स्थितियों में शामिल था।

अपनी कविताओं  में वे अक्सर लैंगिकता  और नस्लवाद से टक्कर लेती दिखती थी तो उनकी कविताओं में वैश्विक मुद्दों के साथ-साथ आइडेंटिटी  के मुद्दों और उनसे असर का पता लगाने की कोशिशे भी होती.

अश्वेत होने के चलते उन्होंने अपनी अफ्रीकी विरासत का पता लगाया और उसी का परिणाम जैसी कविताएँ थी. कविता में उनकी गहरी सक्रियता का आलम यह था कि उनकी कुछ कविताएँ रोमांटिक थी तो वे अपनी राजनीतिक और आक्रोश से लबरेज़ कविताओं खासतौर पर नस्लीय और यौन उत्पीड़न पर केंद्रित कविताओं के लिए जानी गई। एक अश्वेत समलैंगिक नारीवादी के रूप में अपने कैरियर के तौर पर अपनी पहचान को लगातार पुख्ता करते हुए उन्होंने जो लेख लिखे उनके शीर्षक हैं  'योर साइलेंस विल नॉट प्रोटेक्ट यू',  'द मास्टर'स टूल्स विल नेवर डिस्मेंटल द मास्टर'स हाउस', ‘सिस्टर आउटसाइडर’.‘हु सेड इट वाज़ सिंपल’, ‘पॉवर’, ‘आफ्टरइमेजेज’, ‘सिस्टर इन आर्म्स’, ‘नेवर तो ड्रीम ऑफ़ स्पाइडर्स’,  ‘कोल’, आदि उनकी प्रमुख कविताएँ मानी जाती हैं. आज भी उनका समय उनकी कविताओं में प्रतिध्वनित होता है और नई पीढ़ी उस दौर को अपने समय के रोशनी में देखते  हुए उनका अन्वेषण करती हैं और आगे भी करती रहेंगी. इस तरह और्ड लोर्ड की सत्ता स्त्री अस्तित्व के लिए संघर्षरत रहेगी यह याद दिलवाते हुए कि  स्त्रियों तुम्हारी चुप्पी तुम्हारी  रक्षा नहीं कर सकेगी .




                                  ऑड्रे लॉर्ड

                                                 
बोलती है कोई स्त्री 
(ऑड्रे लॉर्ड)
                                                       
                                                       
चंद्रमा,
सूर्य द्वारा चिन्हित और प्रभावित है

जादू मेरा है अलिखित
लेकिन जब समुद्र  हो जाता  है सांवला
यह मेरे आकार को छोड़ देता है  पीछे
नहीं तलाशती मैं लहू से अछूती
तरफदारी कोई
प्यार के अभिशाप सी बेरहम
मेरी गलतियां या
अभिमान मेरे सा स्थिर

प्रेम और अफ़सोस को एक  साथ
मिलाती नहीं मैं
न ही घृणा को मिलाती तिरस्कार से
और अगर जाना होगा आपने मुझे
देखो मुझे यूरेनस की आंत से
बेचैन सागर  है  बंदी गृह में

नहीं बस्ती मैं  अपने
जन्म- भीतर
न ही अपनी दिव्यता में
कौन हूँ मैं चिरयुवा
और आधी वयस्क

और अभी भी  खोज रही हूँ
डाहेमी में  अपनी चुड़ैल बहनों को
जो पहनती हैं  मुझे
अपने लच्छेदार कपड़ों में
करती हैं जैसे हमारी मायें शोक में

काफी लंबे समय से हूँ मैं  स्त्री
रहना मेरी मुस्कराहट से  सावधान
अपने  पुराने  जादू  संग हूँ मैं  विश्वासघाती
और दोपहर का नया रोष
आपके ढेर सारे   किये गए वायदों  के साथ

मैं हूँ
एक स्त्री और वह भी  नहीं हूँ  कोई श्वेत  स्त्री
०००



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