अनुवाद और प्रस्तुति : सरिता शर्मा
फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद को बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण ईरानी कवियों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपनी कविताओं में परंपरागत विवाह, ईरान में स्त्रियों की दुर्दशा, और पत्नी और माँ के रूप में अपनी ख़ुद की स्थिति को व्यक्त किया है। उनका
जन्म 5 जनवरी 1935 को तेहरान के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 15 वर्ष की आयु में जूनियर हाई स्कूल से स्नातक करने के बाद ड्रेसमेकिंग और पेंटिंग का अध्ययन किया। 16 की उम्र में उन्होंने अपने चचेरे भाई परवीज़ शापूर से विवाह किया और एक साल बाद उनके पुत्र का जन्म हुआ। साल 1954 में वह परवीज़ शापूर से अलग हो गईं।फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद पहला संग्रह ‘असीर’ (बंदी) 1955 में आया जिसमें 44 कविताएँ थीं। इसी साल सितंबर में उनका नर्वस ब्रेकडाउन हुआ और उन्हें मनोरोग चिकित्सालय में ले जाया गया। उन्होंने जुलाई 1956 में पहली बार ईरान से बाहर जाकर यूरोप की नौ महीने की यात्रा की। इसी वर्ष उनका दूसरा कविता-संग्रह प्रकाशित हुआ था जिसमें उनके पूर्व पति को समर्पित 25 कविताएँ थीं। 1958 में उनका का तीसरा संग्रह ‘ऐसियन’ (विद्रोह) प्रकाशित हुआ जिसने उन्हें विशिष्ट कवि के रूप में स्थापित किया।फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद ने कोढ़ी कॉलोनी के बारे में वृत्तचित्र फिल्म ‘द हाउस इज़ ब्लैक’ बनाई जिसे ईरानी न्यू वेव का प्रणेता माना जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1963 में यूनेस्को ने उनके बारे में 30 मिनट की एक फ़िल्म बनाई। इस दरमियान ही इटली के मशहूर फ़िल्मकार बर्नार्डो बर्तोलुची उनसे मुलाक़ात करने के लिए ईरान आए और उनके जीवन पर 15 मिनट की फ़िल्म बनाने का फैसला किया।
1964 में उनके चौथे कविता-संग्रह, ‘तवलोदी दीगर’ (अन्य जन्म) में 15 कविताओं को शामिल किया गया था, जिन्हें लगभग छह साल की अवधि में लिखा गया था। 1965 में फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद का पाँचवाँ संग्रह मुद्रण के लिए भेजा गया जिसे उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित किया गया। इस वक़्त उनका प्रेम-संबंध प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक इब्राहिम गोलेस्तान के साथ चल रहा था। गोलेस्तान और उनकी पत्नी अलग हो गए थे और वह फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद के साथ रहने के लिए उनके घर चले गए थे। लेकिन कुछ महीनों के बाद फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद की मृत्यु 13 फरवरी 1967 को तेहरान में एक भयंकर कार दुर्घटना में हो गई। उन्हें तेहरान में जाहिरो-डोलेह में गिरती हुई बर्फ़ के नीचे दफ़न किया गया।
फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद
हथियार उठाने के लिए पुकार
ओ ईरानी औरत! सिर्फ़ तुम ही, बँधी हुई हो
दयनीयता, दुर्भाग्य और क्रूरता के बंधन में,
अगर चाहती हो तोड़ना इसे,
थाम लो ज़िद का दामन।
मत झुको मनभावन वादे के आगे,
न ज़ुल्म से हार मानो कभी,
ग़ुस्से, नफ़रत और दर्द की बाढ़ बन जाओ,
क्रूरता के भारी पत्थर को काट डालो।
तुम्हारा स्नेही गले लगाने वाला सीना
पालता है अक्खड़ और दंभी आदमी को,
तुम्हारी खिली मुस्कुराहट देती है
गर्मजोशी और ताक़त उसके दिल को।
जो तुम्हारा सृजन है उस व्यक्ति के द्वारा,
ज़्यादा तरज़ीह और प्रधानता का आनंद लेना शर्म की बात है;
औरत, क़दम उठाओ कि दुनिया
इंतज़ार में है और तुम्हारे साथ है।
इस अँधेरी अधम दासता और दुर्भाग्य से कहीं ज़्यादा सुखद है
तुम्हारे लिए क़ब्र में सो जाना,
कहाँ है वह घमंडी आदमी…? उसे कहो
अपना सिर झुकाए तुम्हारी चौखट पर अब से।
कहाँ है वह गर्वीला सिंह? उसे उठने को कहो
क्योंकि एक औरत उससे लड़ने के लिए बढ़ रही है,
उसके शब्द सच्चे हैं, जिस वजह
वह कभी कमज़ोरी के आँसू नहीं बहाएगी।
०००
मेरी बहन से
बहन, अपनी आज़ादी के लिए उठो,
तुम चुप क्यों हो?
उठो क्योंकि अब से
तुम्हें बेरहम मर्दों का ख़ून सोखना होगा।
बहन, अपने अधिकार माँगो,
उनसे जो तुम्हें कमज़ोर बनाए रखते हैं,
उनसे जिनकी असंख्य चालें और इरादे
तुम्हें घर के कोने में बैठाए रखते हैं।
कब तक तुम इस्तेमाल की चीज़ बनी रहोगी—
मर्दों की लालसा के हरम में?
कब तक अपना गर्वीला सिर झुकाओगी उनके क़दमों पर—
किसी अनाड़ी नौकर की तरह?
रोटी के टुकड़े की ख़ातिर,
कब तक बनी रहोगी तुम बूढ़े हाजी की अस्थायी पत्नी—
उसकी दूसरी और तीसरी पत्नियों के साथ।
उत्पीड़न और क्रूरता, मेरी बहन, कब तक?
तुम्हारे इस क्षुब्ध विलाप को
कर्कश चीख़ बन जाना होगा।
इस वज़नी बंधन को तोड़ फेंको
ताकि तुम्हारी ज़िंदगी आज़ाद हो जाए।
उठो, और उत्पीड़न की जड़ों को उखाड़ दो।
अपने रिसते दिल को आराम दो
अपनी आज़ादी की ख़ातिर संघर्ष करो
क़ानून बदलने के लिए, उठो।
०००
बंदी
तुम्हें चाहते हुए भी, मुझे पता है
कभी गले नहीं लगा सकती हूँ तुम्हें जी भरकर
तुम दूर साफ़ और उजले आकाश हो
और मैं बंदी पक्षी हूँ—क़फ़स के इस कोने में।
ठंडी और अँधेरी सलाखों के पीछे से
मेरी हैरान उदास निगाहें तुम्हारी तरफ़ उठाते हुए,
सोचती हूँ कि हाथ आ सकता है कुछ ऐसा
जिससे मैं अचानक अपने पंख तुम्हारी ओर फैला सकूँ।
मैं सोच रही हूँ उपेक्षा के पल में
कि मैं इस ख़ामोश जेल से फुर्र हो सकती हूँ।
अपने जेलर की आँखों से आँखें मिलाकर हँसूँ
और तुम्हारे साथ जीवन फिर से शुरू करूँ।
मैं इन बातों को सोच रही हूँ, फिर भी मैं जानती हूँ
मैं इस जेल को नहीं छोड़ सकती, हिम्मत नहीं कर सकती।
भले ही जेलर ऐसा चाहते हों,
कोई साँस या हवा नहीं है मेरी उड़ान के लिए।
सलाखों के पीछे से
हर उजली सुबह और बच्चे की मुस्कुराहट मेरे चेहरे को देखती है,
जब मैं ख़ुशी का एक गीत गाने लगती हूँ,
उसके होंठ चुंबन के लिए मेरी ओर बढ़ते हैं।
ओ आकाश! अगर मैं किसी दिन
इस ख़ामोश जेल से उड़ना चाहूँ,
मैं रोते हुए बच्चे की आँखों से क्या कहूँगी :
मुझे भूल जाओ, मैं तो बंदी पक्षी हूँ?
मैं वह मोमबत्ती हूँ जो खंडहर को रोशन करती है—
अपने दिल में जलन लिए हुए
अगर मैं ख़ामोश अँधेरे को चुनना चाहूँ,
मैं खंडहर में घोंसला लाऊँगी।
०००
एक और जन्म
मेरा पूरा अस्तित्व एक अंधकारमय मंत्र है
जो तुम्हें
अनंत विकास और खिलने की सुबह तक ले जाएगा
इस मंत्र में मैंने आह भरी, तुमने आह भरी
इस मंत्र में
मैंने तुम्हें पेड़ पर, पानी पर और आग पर उगाया।
जीवन शायद
एक लंबी सड़क है, जिससे होते हुए एक महिला एक टोकरी पकड़े हुए हर दिन गुजरती है
जीवन शायद
एक रस्सी है जिससे एक आदमी खुद को एक टहनी से लटका लेता है
जीवन शायद एक बच्चा है जो स्कूल से घर लौट रहा है।
जीवन शायद
दो प्रेम-प्रसंगों के बीच मादक विश्राम में एक सिगरेट सुलगाना है
या एक राहगीर की अनुपस्थित निगाह है
जो एक अर्थहीन मुस्कान और एक सुप्रभात के साथ दूसरे राहगीर के लिए अपनी टोपी को उतारता है।
जीवन शायद वह बंद पल है
जब मेरी निगाह तुम्हारी आँखों की पुतलियों में खुद को नष्ट कर देती है
और यह उस भावना में है
जिसे मैं चाँद की छवि
और रात की धारणा में डालूँगी ।
अकेलेपन जितने बड़े कमरे में
मेरा दिल
जो प्यार जितना बड़ा है
अपनी खुशी के सीधे सादे बहाने खोजता है
फूलदान में फूलों के सुंदर क्षय को
हमारे बगीचे में तुम्हारे लगाए गए पौधे को
और कैनरी के गीत को
जो खिड़की के आकार जितना गाती हैं।
०००
आह
यह मेरा भाग्य है
यह मेरा भाग्य है
मेरा भाग्य है
एक आकाश जो एक पर्दा गिरने पर दूर हो जाता है
मेरा भाग्य बिना इस्तेमाल की सीढ़ियों से उतरना है
सड़ांध और उदासी के बीच कुछ हासिल करना है
मेरा भाग्य यादों के बगीचे में एक उदास सैर है
और एक आवाज के दुख में मर रहा है जो मुझे बताती है
मुझे आपके हाथ पसंद हैं।
मैं अपने हाथों को बगीचे में उगाऊंगी
मैं बढ़ूंगी मुझे पता है मुझे पता है मुझे पता है
और अबाबील मेरे स्याही से सने हाथों के खोखले हिस्से में अंडे देंगे।
मैं झुमकों की तरह जुड़वाँ चेरी पहनूँगी
और अपने नाखूनों पर डहलिया की पंखुड़ियाँ लगाऊँगी
एक गली है जहाँ मुझसे प्यार करने वाले लड़के
आज भी उन्हीं बेतरतीब बालों, पतली गर्दन
और हड्डियों वाले पैरों के साथ घूमते हैं
और एक छोटी लड़की की मासूम मुस्कान के बारे में सोचते हैं
जो एक रात हवा में उड़ गई थी।
एक गली है
जिसे मेरे दिल ने
बचपन की गलियों से चुराया है।
समय की रेखा के साथ आकृति की यात्रा
समय की रेखा को आकृति से गर्भाधान करती हुई
एक आकृति जो दर्पण में उस छवि के प्रति सचेत है
जो दावत से वापस आ रही है
और इसी तरह
कोई मरता है
और कोई जीवित रहता है।
कोई भी मछुआरा कभी भी एक छोटे से नाले में
मोती नहीं खोज पाएगा जो तालाब में गिरता है।
मैं एक उदास छोटी परी को जानती हूँ
जो समुद्र में रहती है
और बहुत ही धीरे से
अपने दिल को जादुई बांसुरी में बजाती है
एक उदास छोटी परी
जो हर रात एक चुंबन के साथ मर जाती है
और हर सुबह एक चुंबन के साथ पुनर्जन्म लेती है।
०००
उपहार
मैं रात की गहराई से बोलती हूँ
अंधकार की गहराई से
और रात की गहराई से मैं बोलती हूँ।
दोस्त अगर तुम मेरे घर आओ,
मेरे लिए एक दीया और एक खिड़की लाओ जिससे मैं
खुशहाल गली में भीड़ को देख सकूँ।
०००
हवा हमें ले जाएगी
ओह मेरी छोटी सी रात में
हवा का पेड़ों की पत्तियों से मिलन है
मेरी छोटी सी रात में विनाश की पीड़ा है
सुनो क्या तुम अंधेरे को उड़ते हुए सुनते हो?
मैं इस आनंद को एक अजनबी की तरह देखती हूँ
मैं अपनी निराशा की आदी हूँ।
सुनो क्या तुम अंधेरे को रिसते हुए सुनते हो?
रात में कुछ गुजर रहा है
चाँद बेचैन और लाल है
और इस छत के ऊपर
जहाँ टूट कर गिरने का डर हमेशा बना रहता है
बादल, शोक मनाने वालों के जुलूस की तरह
बारिश के पल का इंतज़ार करते नज़र आते हैं।
एक पल
और फिर कुछ नहीं
रात इस खिड़की के पार काँपती है
और धरती हवा में थम जाती है
इस खिड़की के पार
कुछ अनजाना सा तुम्हें और मुझे देख रहा है।
अरे सिर से पाँव तक हरे
अपने हाथ एक जलती हुई याद की तरह
मेरे प्यार भरे हाथों में रख दो
अपने होठों को मेरे प्यार भरे होठों के दुलार में दे दो
होने के गर्म अहसास की तरह
हवा हमें ले जाएगी
हवा हमें ले जाएगी।
०००
प्रेम गीत
रात तुम्हारे सपनों से रंगी है
तुम्हारी खुशबू मेरे फेफड़ों को पूरी तरह से भर देती है
तुम मेरी आँखों के लिए एक दावत हो!
तुम दुख के सभी रूपों को झुठलाते हो
जैसे धरती का शरीर बारिश से धुल जाता है
तुम मेरी आत्मा से सभी दाग साफ कर देते हो!
मेरे जलते हुए शरीर में तुम एक घूमता हुआ चक्र हो
मेरी पलकों तले तुम एक धधकती आग हो।
तुम गेहूँ के खेत से भी ज़्यादा हरे-भरे हो!
तुम सुनहरी शाखाओं से भी अधिक फलदायी हो!
तुम सूरज के लिए द्वार खोलते हो
अंधेरे संदेह की बाढ़ का प्रतिकार करने के लिए
तुम्हारे साथ डरने की कोई बात नहीं है
खुशी के आंसू के दर्द सिवाय
मेरा यह उदास दिल और प्रचुर प्रकाश?
विनाश के रसातल में यह जीवन की धूम?
तुम्हारी आँखों में झलक ही मेरा विस्तार है
और उसी से मेरी आँखें भी बंद हैं
इससे पहले मेरे पास कोई और छवि नहीं थी
या मैंने तुम्हारे सिवाय किसी और के बारे में नहीं सोचा था
प्यार का दर्द एक गहरा दर्द है
व्यर्थ में चले जाना और खुद को नीचा दिखाना
काली दृष्टि वाले लोगों के विरुद्व सीखना
खुद को द्वेष की गंदगी से अपवित्र करना
दुलार में छल का जहर ढूँढना
दोस्त की मुस्कान में दुष्टता ढूँढना
लुटेरे गिरोह को सोने के सिक्के देना
बाज़ार की धरती के बीच में खो जाना
मेरी आत्मा के साथ तुम एक हो जाओगे
कब्र से तुम मुझे उठाओगे
सोने से सजे पंखों पर एक तारे की तरह
तुम एक अनकही भूमि से आए हो।
तुम दुख की पीड़ा को कम करते हो
मेरे शरीर को आलिंगन की झननाहट से भर देते हो
तुम मेरे सूखे वक्ष पर बहने वाली एक धारा हो
तुम्हारे जल से मेरी नसों का बिस्तर धन्य हो जाता है
ऐसी दुनिया में जो अंधकार पर पलती है
तुम्हारे हर कदम के साथ मैं आगे बढ़ती हूँ
तुम मेरी त्वचा के नीचे चले जाते हो!
वहाँ खून की तरह तुम बहते हो
मेरे बालों को प्यारभरे हाथ से जलाते हुए
मेरे गालों को एक आग्रहपूर्ण मांग के साथ आवेग लाते हुए
तुम मेरे गाउन के लिए अजनबी हो
मेरे शरीर के लॉन से परिचित हो
तुम चमकता हुआ सूरज हो जो कभी नहीं मरता
वह सूरज जो दक्षिणी आसमान में उगता है
तुम पहली रोशनी से भी अधिक ताजा हो
वसंत से भी अधिक ताजा, एक चमकदार नजारा
यह अब प्यार नहीं है: यह गर्व है
एक झूमर जो मौन और अंधेरे में मर गया
जब प्यार ने मेरे दिल को लुभाया
मैं बलिदान की भावना से भर गई
यह अब मैं नहीं हूँ, यह अब मैं नहीं हूँ
मेरे अहंकार के साथ मेरा जीवन शून्य डिग्री के बराबर थी
मेरे होठों को तुम्हारे चुंबन पुरस्कार देते हैं
तुम्हारे होंठ मेरी आँखों का देवस्थान हैं
मेरे अंदर तुम्हारी हलचल महान राग है
तुम्हारी वक्रता मेरे शरीर पर एक पोशाक है
ओह मैं कैसे अंकुरित होना चाहती हूँ
और मेरा आनंद दुख के साथ चिल्लाता है
ओह मैं कैसे उठना चाहता हूँ
और मेरी आँखें आँसुओं से शुद्ध कर देती हैं
मेरा यह उदास दिल और धूप की खुशबू?
प्रार्थना कक्ष में वीणा और वीणा का संगीत?
यह शून्य और ये उड़ानें?
ये गीत और ये खामोश रातें?
तुम्हारी नज़र अद्भुत लोरी है
बेचैन बच्चों को गोद में लेने वाली
तुम्हारी साँस एक पारलौकिक हवा है
जो बेचैनी के झटकों को धो देती है
मेरे कल में सोने के लिए जगह ढूँढ़ती है
मेरी दुनिया में गहराई से समा जाती है
तुम मुझमें कविता के लिए जुनून भरते हो
मेरे गीतों में तुमने तुरंत आग लगा दी
तुमने मेरी भावुक इच्छा को जगा दिया
इस तरह मेरी कविताओं में आग लगा दी।
०००
अनूवादिका का परिचय
सरिता शर्मा (जन्म- 1964) ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर तथा अनुवाद, पत्रकारिता, फ्रेंच, क्रिएटिव राइटिंग और फिक्शन राइटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। पांच वर्ष तक नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया में सम्पादकीय सहायक के पद पर
कार्य किया। बीस वर्ष तक राज्य सभा सचिवालय में कार्य करने के बाद नवम्बर 2014 में सहायक निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति। कविता संकलन ‘सूनेपन से संघर्ष, कहानी संकलन ‘वैक्यूम’, आत्मकथात्मक उपन्यास ‘जीने के लिए’ और पिताजी की जीवनी 'जीवन जो जिया' प्रकाशित। रस्किन बांड की दो पुस्तकों ‘स्ट्रेंज पीपल, स्ट्रेंज प्लेसिज’ और ‘क्राइम स्टोरीज’, 'लिटल प्रिंस', 'विश्व की श्रेष्ठ कविताएं', ‘महान लेखकों के दुर्लभ विचार’ और ‘विश्वविख्यात लेखकों की 11 कहानियां’ का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, समीक्षाएं, यात्रा वृत्तान्त और विश्व साहित्य से कहानियों, कविताओं और साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। कहानी ‘वैक्यूम’ पर रेडियो नाटक प्रसारित किया गया और एफ. एम. गोल्ड के ‘तस्वीर’ कार्यक्रम के लिए दस स्क्रिप्ट्स तैयार की।संपर्क: मकान नंबर 137, सेक्टर- 1, आई एम टी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा- 122051. मोबाइल-9871948430.
ईमेल: sarita12aug@hotmail.com
बहुत सुन्दर अनुवाद सब..... विस्तार से शाम को ही.... कंडवाल मोहन मदन
जवाब देंहटाएंजितनी सुंदर कविताये हैं मूल ईरानी कवयित्री की.. मूल न पढ़ सकते अंग्रेजी अनुवाद के अलावा, पर जिस शिद्धत से पैशन से हिंदी अनुवाद सरिता शर्मा जी ने किया है उसके लिये निःसंदेह वें बधाई की पात्र हैं.. आभार बिजूका औऱ सत्यनारायण पटेल बंधुवर साझेदारी को..... कृपया बिजूका से जोड़िये पुनश्च...
जवाब देंहटाएंआपकी बात मैं समझा नहीं, क्या जोड़ने की बात कह रहे हैं आप। मुझसे बात कर लीजिए। 9826091605
जवाब देंहटाएंवाह पितृसत्ता को चोट करती हुई धारदार कविताएं स्त्रियों को समाज को दिशा दिखाती हुई अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर एक चुनौती देती हुई बधाई आपको
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya Anubad . Dhanyabad Beejuka.
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