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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

22 अक्तूबर, 2024

आर्थर रिम्बौद की कविताऍं

 अनुवाद: सरिता शर्मा 

आर्थर रिम्बौद का जन्म फ्रांस में आर्देनेस में 20 अक्टूबर,1854 को हुआ था। हालांकि उन्होंने कम उम्र में ही कवितायें लिखना

बंद कर दिया था, वह फ्रांस के सबसे विवादास्पद और प्रभावशाली कवियों में से एक थे। वह प्रतीकवाद के प्रमुख कवि थे और उनके उत्तरवर्ती अतियाथार्थवादी कवियों पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा था। उनकी पुस्तकें क्रिमिनल लवर्स (1999), चेल्सी वॉल्स (2001) और ए बिग ग्रे-ब्लू बर्ड (1970) हैं। उनका फ्रांस में मार्सिये में 10 नवंबर, 1891 को निधन हो गया था।


सर्दियों के लिए सपना 


सर्दियों में हम यात्रा करेंगे नीले गद्दों वाले  

रेल के गुलाबी डिब्बे में

जिसमे होंगे सफ़ेद तकिये,

आराम फ़रमायेंगे 

चुम्बनों का अम्बार प्रतीक्षा में है  

हर मुलायम कोने में। 


तुम अपनी आँखे बंद कर लोगी  जिससे न देख सको, शीशे से बाहर 

सांझ की परछाइयां टेढ़ी मेढ़ी आकृतियां बनाती हैं,

उन चिंघाड़ते राक्षस, काले शैतानों और धूर्त भेड़ियों की बस्ती 


फिर अब तुम महसूस करोगी गालों का खरोंचे जाना 

हल्का सा चुम्बन, सनकी मकड़ी की तरह 

तुम्हारी गर्दन पर पसर जायेगा 


और तुम अपना सिर झुका कर मुझसे कहोगी: "ढूंढो उसे"

-और हम उस जीव को ढूंढने में लंबा समय लगायेंगे

जो बहुत यात्रा करता है ...

आंसू


सुदूर पक्षियों और पशुओं के झुंड और गांव की लड़कियों से दूर,

मैं पी रहा था, शिथिल शवों से घिरी

किसी झाड़ी में झुक कर,

दोपहर की गर्म और हरी धुंध में ।


मैं उस ताजा उवाज नदी  किनारे क्या पी सकता था,

बेज़बान एल्म्स, फूल रहित मैदान, घटाटोप आसमान।

मैंने शराब के तुम्बे से क्या निकाला?

थोड़ी सी पीली सुनहरी शराब,  जिससे पसीना आता है।


जैसा मैं था,  किसी सस्ती सराय में ही जाता।

फिर तूफान ने आकाश को बदल डाला, शाम तक।

अंधेरे देश, झीलें, खम्भे थे,

नीली रात के तले स्तम्भावली, रेलवे स्टेशन।


जंगल से पानी बह चला सूखे रेत में,

हवा ने, आसमान से, तालाबों में बर्फ की चादरें फेंक दी ...

लेकिन! सोना या घोंघे तलाशने वाले मछुआरे की तरह, 

यह सोचना कि मैंने पीने की परवाह नहीं की!

०००


गरीब आदमी के सपने


शायद एक शाम को मेरा इंतजार है

जब मैं पीऊंगा शांति से पुराने शहर में,

और खुश हो कर मरूंगा क्योंकि मैं संतोषी हूँ!

अगर मेरे कष्ट मिट जाएं, अगर कभी मेरे पास थोड़ा सा सोना हो,

तो मैं उत्तर को चुनूं या अंगूर की बेल का देश?

- ओह! सपना देखना शर्मनाक है - क्योंकि यह खामखयाली है!

और अगर मैं एक बार फिर से पहले जैसा यात्री बन भी जाऊं,

हरी सराय मेरे लिए फिर से कभी नहीं खुल सकती है।

०००




चित्र मुकेश बिजौले 








आत्मा


अनंत अंडीन्स, शुद्ध पानी को अलग करो।

आसमान की बहन वीनस, साफ लहर में हलचल मचाओ।

नॉर्वे के भटकते यहूदियो, मुझे बर्फ के बारे में बताओ;

पहले के प्रिय निर्वासितो मुझे समुद्र के बारे में बताओ।

स्वगत : नहीं, इन शुद्ध पेय पदार्थों में से अब और नहीं,

गिलासों के लिए ये जल के फूल;

न किंवदंतियों और न ही चेहरे मेरी प्यास बुझाते हैं;

गायक, तुम्हारा बाल भगवान मेरी प्यास पागल है, 

मुखरहित परिचित जलव्याल 

जो नष्ट और बरबाद कर देता है।



अंतहीन समय


हमने इसे फिर से पा लिया है।

क्या? अंतहीन समय।

सागर चला गया है 

सूरज के संग टहलने।


आत्मा, तुम प्रहरी,

बड़बड़ाती और कबूल करती हो,

दिन नरक की आग उगलता है,

रात शून्य है।


आम उत्तेजनाओं से,

सर्वोत्तम मानव से

तेरा पथ बहुत हट कर है:

अनुगमन करते हुए तुम उड़ जाते हो...


न कोई प्रत्याशा,

न उत्थान,

धैर्यपूर्वक ज्ञान;

सजा पक्की है।


तुम्हारी आग से ही,

अतलस की बलवान लपटें,

कर्तव्य की सांस फूंकी गयी है;

कोई भी नहीं कहता हैं: निश्चित रूप से।

कामकाजी लोग


ओह गुनगुनी फरवरी की वह सुबह!

असमय दक्षिणी हवा से आयी

हम बेचारे गरीबों की यादों में हलचल मचाने के लिए,

हमारी जवानी की तकलीफें।


हेनरिका के पास था 

भूरे और सफेद रंग का चारखानेदार सूती घघरा 

जिसे पिछली सदी में पहना गया होगा,

रिबन वाला टॉप और एक रेशमी स्कार्फ।


यह किसी भी शोक से ज्यादा दुखद था।

हम उपनगर में टहल रहे थे।

आकाश में बादल छाये थे 

और दक्षिण से आई उस हवा ने 

उजाड़ बगीचों और सूखे खेतों की 

दुर्गन्ध को जगा दिया।


उसने मेरी पत्नी को इतना नहीं थकाया जितना मुझे।

पिछले महीने की बारिश से बने पोखर में,

काफी ऊंचे रास्ते पर,

उसने मेरा ध्यान नन्हीं मछलियों की ओर दिलाया ।


धुएं और कारखाने के शोर वाला शहर

हमारे पीछे चला दूर तक रास्तों पर।

आह दूसरी दुनिया, वास स्थान 

आकाश और छाया से समृद्ध!


दक्षिणी हवा दुखद यादें लायी

मेरे बचपन की, मेरी गर्मी की पीड़ा की,

ताकत और ज्ञान की भयानक मात्रा 

जिसे भाग्य ने दूर रखा है मुझसे छुपा कर रखा है सदा।


नहीं! हम गर्मियों नहीं बितायेंगे 

इस लालची देश में

जहां हम कुछ भी नहीं हो पायेंगे 

सगाई किये हुए अनाथ जोड़े के सिवाय।

मैं इस मजबूत हाथ को थामे रहना चाहता हूँ 

पोषित छवि को  खींचते रहने से रोकने के लिए।

०००


अनूवादिका का परिचय 

सरिता शर्मा (जन्म- 1964) ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर तथा अनुवाद, पत्रकारिता, फ्रेंच, क्रिएटिव राइटिंग और फिक्शन राइटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। पांच वर्ष तक नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया में सम्पादकीय सहायक के पद पर कार्य किया। बीस वर्ष तक राज्य सभा सचिवालय में कार्य करने के

बाद नवम्बर 2014 में सहायक निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति। कविता संकलन ‘सूनेपन से संघर्ष, कहानी संकलन ‘वैक्यूम’, आत्मकथात्मक उपन्यास ‘जीने के लिए’ और पिताजी की जीवनी 'जीवन जो जिया' प्रकाशित। रस्किन बांड की दो पुस्तकों ‘स्ट्रेंज पीपल, स्ट्रेंज प्लेसिज’ और ‘क्राइम स्टोरीज’, 'लिटल प्रिंस', 'विश्व की श्रेष्ठ कविताएं', ‘महान लेखकों के दुर्लभ विचार’ और ‘विश्वविख्यात लेखकों की 11 कहानियां’  का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, समीक्षाएं, यात्रा वृत्तान्त और विश्व साहित्य से कहानियों, कविताओं और साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। कहानी ‘वैक्यूम’  पर रेडियो नाटक प्रसारित किया गया और एफ. एम. गोल्ड के ‘तस्वीर’ कार्यक्रम के लिए दस स्क्रिप्ट्स तैयार की। 

संपर्क:  मकान नंबर 137, सेक्टर- 1, आई एम टी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा- 122051. मोबाइल-9871948430.

ईमेल: sarita12aug@hotmail.com

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