प्राग में 1905 में जन्मे, चेकोस्लोवाकियाई कवि व्लादिमीर होलन की ख्याति उनकी रचनाओं में अमूर्त भाषा और दुनिया के अंधियारे पक्ष को दर्शाने के कारण है। व्लादिमीर होलन के
कविता संकलन 'ब्रीजिंग' की समीक्षा करते हुए चेक आलोचक फ्रान्तिसेक जावेर साल्दा ने उनकी तुलना फ्रांसीसी कवि स्टेफन मालारमे के साथ की थी। उनके राजनीतिक कविता संग्रह रिप्लाई टू फ्रांस, सेप्टेम्बर 1938 और ट्वेल्थ नाईट सॉंग चेकोस्लोवाकिया में स्थिति की प्रतिक्रिया में लिखी गयी थीं। उन्हें 1960 के अंत में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। वह चेकोस्लोवाकिया की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे। उनकी मृत्यु 1980 में हो गयी थी।०००
व्लादिमीर होलन की कविताऍं
अनुवाद: सरिता शर्मा
अभी मत जाओ
नहीं, अभी मत जाओ, सारी उठापटक से मत घबराओ
बाग में भालू मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ रहा है।
जल्द ही शांत हो जायेगा। मैं भी रोक लूंगा
ईडन में औरत की तरफ दौड़ते
सांप के शुक्राणुओं जैसे शब्दों को।
नहीं, अभी मत जाओ, अपना घूंघट मत गिराओ।
क्रोकस के ईंधन ने रोशन कर दिया है घास का मैदान।
तो तुम यह हो, मेरी जान, हालांकि तुम कहती हो:
- इच्छा से, हम कुछ जोड़ लेते हैं। लेकिन प्यार
प्यार बना रहता है।
आखिरकार कुछ भी नहीं
हां, सवेरा हो गया है और मुझे नहीं पता
पूरे हफ्ते मैंने जल्दबाजी क्यों की
सर्द मार्गों की ढलान से इस दरवाजे तक
जहां अब मैं खड़ा हूँ अपने समय के सामने
मैं नहीं चाहता था भविष्य को जबर्दस्ती लाना।
अंधे आदमी को जगाना नहीं चाहता था।
उसे मेरे लिए दरवाजा खोलना पड़ेगा
और फिर वापस लौट जाना होगा।
०००
मौत
तुमने इसे कई साल पहले खुद से दूर भगा दिया था,
घर को बंद करके, यह सब भूलने की कोशिश की थी।
तुम्हें पता था यह संगीत में नहीं थी और इसलिए तुमने गाया
तुम जानते थे यह चुप्पी में नहीं थी और इसलिए तुम चुप रहे
तुम्हें ज्ञात था यह एकांत में नहीं थी और इसलिए तुम अकेले रहे
मगर आज क्या हो सकता था
~ क्या तुम उस आदमी जैसे हो जो रात में अचानक देखता है
बगल के कमरे के दरवाजे के नीचे प्रकाश की किरण
जहां बरसों से कोई भी नहीं रहता है?
०००
उसने तुमसे पूछा
एक लड़की ने तुमसे पूछा: कविता क्या है?
तुम उसे कहना चाहते थे: तुम भी कविता हो, अरे हां, तुम कविता हो,
और यह कि डर और हैरानी में,
जो चमत्कार साबित करते हैं,
मुझे ईर्ष्या है तुम्हारे सौंदर्य की संपूर्णता से
और क्योंकि मैं तुम्हें चूम नहीं सकता और न ही तुम्हारे साथ सो सकता हूँ,
और क्योंकि मेरे पास कुछ भी नहीं है और जिसके पास देने को कुछ भी नहीं होता
उसे गाना चाहिए ...
लेकिन तुमने यह नहीं कहा, तुम चुप रहे
और उसे गाना सुनाई नहीं दिया।
०००
बच्चा
रेलगाड़ी की तरफ अपने कान लगाए हुए बच्चा
रेलगाड़ी की आवाज सुन रहा है।
सर्वव्यापी संगीत में डूबा हुआ
वह खास परवाह नहीं करता
रेलगाड़ी आये या जाये ...
मगर आप हमेशा किसी का इंतजार किया करते थे
हमेशा किसी से विदा हुआ करते थे,
जब तक आप खुद से मिले और आप अब कहीं भी नहीं हैं।
०००
अक्टूबर
स्वच्छ हवा को नहीं चाहिए
किसी तरह की समानता। यहां तक कि हमारे युगल
इंकार कर देते हैं अपना आध्यात्मिक साक्ष्य देने से कि हम जिंदा हैं।
अदृश्यता इतनी तेजी से बढ़ती है
कि हम बस अपनी आँखें मूंद लेते हैं।
बढ़िया शराब को ढकने की जरूरत नहीं है। न कला को।
०००
माँ
क्या तुमने कभी अपनी बूढी माँ को देखा है
तुम्हारे लिए बिस्तर बनाते हुए,
किस तरह, वह चद्दर को खींचती है, सीधा करती है, दबाती है
और एकसार करती है
ताकि तुम्हें एक भी सलवट न चुभे?
उसका सांस लेना, उसके हाथ और हथेलियों के संकेत
कितने प्यारे हैं
मानो अतीत में वे अब भी पर्सेपोलिस में आग बुझा रहे हों।
और इस पल में
चीन के समुद्र तट से या अज्ञात समुद्रों में
किसी भावी तूफान को शांत कर रहे हैं।
०००
दीवार
तुम्हारी उड़ानें चिंता से इतनी बोझिल क्यों हैं,
यात्रा नीरस क्यों है?
मैं पंद्रह साल बतियाता रहा हूँ।
एक दीवार से
और मैं दीवार को यहां घसीट लाया
अपने नरक से बाहर
जिससे वह तुम्हें
बता सके अब सब कुछ।
०००
आनंद
तुमने जो कहा और फिर बकवास की
वह मृतक के लिए था ... लेकिन दरअसल
समय में सिर्फ ख़ुशी मौजूद है
क्योंकि यही तत्क्षण है।
सबसे ज्यादा उपस्थित। सबसे अधिक नश्वर।
०००
खुद के लिए
इतने सारे सेब और सेब का कोई पेड़ नहीं! लेकिन
अब यहां सेब नहीं हैं।
इतना आवेश और प्यार बिलकुल नहीं! लेकिन
अब यहां बिना नामकरण वाला कोई नहीं है।
हर आदमी अपने में मस्त है
और हमारे पास केवल पलों का समय है।
वह बीत जायेगा।
०००
जब रविवार को बरसात होती है
जब रविवार को बरसात होती है और आप अकेले होते हैं,
दुनिया के खतरे के सामने होते हैं लेकिन कोई चोर नहीं आता है
और न तो शराबी, न ही दुश्मन दरवाजे पर दस्तक देता है
जब रविवार को बरसात होती है और आप परित्यक्त होते हैं,
और शरीर के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते
या आप जी नहीं रहे होते, क्योंकि वह आपके पास है।
जब रविवार को बरसात होती है और आप अपने दम पर हैं,
खुद से बात करने की नहीं सोच रहे हैं।
तो कोई दूत है जो जानता है, और जो सिर्फ ऊपर है,
तो वह शैतान है जिसे पता है, और सिर्फ नीचे है।
किताब हाथ में है, कविता लिखी जाने वाली है।
०००
मनुष्य की आवाज
पत्थर और सितारे, हम पर अपना संगीत नहीं थोपते हैं
फूल, खामोश हैं चीजें अपने पास कुछ रहस्य रखती हैं
हमारी वजह से, जानवर इनकार कर देते हैं
अपनी मासूमियत और कपट के मेल से,
हवा के पास हमेशा उसकी सहज भंगिमाओं की शुद्धता है
और, कौन सा गाना है जिसे केवल मूक पक्षी जानते हैं
जिसकी तरफ आपने फेंक दिया बिना मुड़ा पुलिंदा क्रिसमस की पूर्व संध्या पर
जिंदा रहना उनके लिए काफी है और वह शब्दों से परे है। लेकिन हम,
हम न केवल अंधेरे में डरते हैं
भरपूर प्रकाश में भी
हम अपने पड़ोसी को नहीं देखते हैं
और यंत्र मन्त्र के लिए बेताब हो कर
भय से चिल्लाते हैं ’तुम हो क्या? आवाज दो!'
०००
लिफ्ट में मुलाकात
हमने लिफ्ट में कदम रखा। हम दोनों थे। निपट अकेले
और बस हमने एक दूसरे को देखा।
दो जीवन, एक पल, परिपूर्णता, आनंद।
वह पांचवीं मंजिल पर बाहर निकल गयी और मैं ऊपर चला गया
यह जानते हुए कि मैं उसे फिर कभी देख नहीं पाऊंगा,
वह मुलाकात, सिर्फ एक बार थी फिर कभी नहीं
अगर मैं उसका पीछा करता तो पटरियों पर एक मरे हुए आदमी सरीखा होता
और अगर वह मेरे पास लौट आती
तो वह सिर्फ दूसरी दुनिया से संभव होता।
०००
हिमपात
आधी रात में बर्फ गिरनी शुरू हो गयी। और बेशक
बैठने की सबसे बढ़िया जगह रसोई है
यहां तक कि अनिद्र की रसोई भी चलेगी ..
वहां गर्मी है, आप खुद कुछ पकाते हैं, शराब पीते हैं
और खिड़की से बाहर अपने दोस्त को अनंत काल तक देखते हैं।
क्यों फ़िक्र की जाए कि जन्म और मृत्यु सिर्फ बिंदु हैं
जीवन सीधी रेखा क्यों नहीं है।
क्यों कैलेंडर पर नजर गड़ाये हुए खुद को पीड़ा देना
और सोचते रहना कि दांव पर क्या लगा है।
क्यों कबूल करते हो तुम निर्धन हो
सास्किया जूते क्यों खरीदते हो?
और क्यों बड़ाई मारते हो
तुम औरों से ज्यादा दुःखी होने की।
अगर यहां चुप्पी नहीं होती
तो बर्फ ने उसका सपना देख लिया होता।
तुम अकेले हो।
इशारों को रहने दो। दिखावे की कोई जरूरत नहीं।
०००
चित्र: शशिभूषण बढ़ोनी
अनूवादिका का परिचय
सरिता शर्मा (जन्म- 1964) ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर तथा अनुवाद, पत्रकारिता, फ्रेंच, क्रिएटिव राइटिंग और फिक्शन राइटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। पांच वर्ष तक
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया में सम्पादकीय सहायक के पद पर कार्य किया। बीस वर्ष तक राज्य सभा सचिवालय में कार्य करने के बाद नवम्बर 2014 में सहायक निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति। कविता संकलन ‘सूनेपन से संघर्ष, कहानी संकलन ‘वैक्यूम’, आत्मकथात्मक उपन्यास ‘जीने के लिए’ और पिताजी की जीवनी 'जीवन जो जिया' प्रकाशित। रस्किन बांड की दो पुस्तकों ‘स्ट्रेंज पीपल, स्ट्रेंज प्लेसिज’ और ‘क्राइम स्टोरीज’, 'लिटल प्रिंस', 'विश्व की श्रेष्ठ कविताएं', ‘महान लेखकों के दुर्लभ विचार’ और ‘विश्वविख्यात लेखकों की 11 कहानियां’ का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, समीक्षाएं, यात्रा वृत्तान्त और विश्व साहित्य से कहानियों, कविताओं और साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। कहानी ‘वैक्यूम’ पर रेडियो नाटक प्रसारित किया गया और एफ. एम. गोल्ड के ‘तस्वीर’ कार्यक्रम के लिए दस स्क्रिप्ट्स तैयार की।
संपर्क: मकान नंबर 137, सेक्टर- 1, आई एम टी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा- 122051. मोबाइल-9871948430.
ईमेल: sarita12aug@hotmail.com
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