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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

17 अप्रैल, 2020

कभी कभार : ग्यारह

विपिन चौधरी




गली गर्ल : सोनिया सांचेज़


कई सांस्कृतिक, राजनैतिक, सामाजिक नागरिक आंदोलनों का गवाह रहे वैश्विक इतिहास में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आंदोलन, ‘अश्वेत कला आंदोलन’ भी था जो अमेरिका की धरती पर दस साल यानी 1965 से 1975 तक अस्तित्व में रहा, अफ़्रीकी-अमेरिकी अश्वेत समुदाय के बीच महत्वपूर्ण स्थान रखता  है. इस कलात्मक आंदोलन ने अश्वेत समुदाय की विचारधारा को एक नई दिशा दी. अफ्रीकी-अमेरिकी समाज के विचारों को प्रभावित करने वाले इस महत्वपूर्ण साहित्यिक और कलात्मक आंदोलन में अनेकों स्त्री रचनाकार और कलाकार सक्रिय रही थीं मगर इस आंदोलन में भी सभी आंदोलनों की तरह पुरुष रचनाशीलता का वर्चस्व इस कदरहावी रहा कि आंदोलन में शामिल प्रबुद्ध महिलाओं  को  उस तथाकथित लिबरल परिवेश के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करनी पड़ी क्योंकि उन्हें किसी भी कीमत पर नेपथ्य का हिस्सा बनना गंवारा नहीं था. ऐसी स्त्री रचनाकारों में से एक नाम सोनिया सांचेज़ का भी था जिन्होंने अपनी बौद्धिक गतिविधियों के चलते आंदोलन के दौरान अपने व्यक्तित्व की ऐसी ठोस पहचान अर्जित की जिसके बूते आंदोलन में शामिल अनगिनत कलाकारों, रचनाकारों  के बीच उनके व्यक्तित्व को अलग से चिन्हित किया गया. सोनिया सांचेज़ के लेखन का न सिर्फ व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ बल्कि आने वाले समय में गंभीरता से उसका मूल्यांकन भी हुआ.

60 के दशक में सोनिया सांचेज़ अपनी उत्साही मुखरता और ठेठ कल्पनाओं की मदद से अफ्रीकी-अमेरिकी कविता-विधा में क्रांति लाने में सहायक बनी. नागरिक अधिकार एक्टिविज्म (1955-1968), स्त्री मुक्ति अभियान (1960-1980) जब अपने  चरम पर था उसी समय उनकी पहचानएक कवि, नाटककार, बाल साहित्यकार और शिक्षक के रुप में बन रही थी. 

सोनिया सांचेज़
एक बार सोनिया ने पढ़ा कि मल्कोम एक्स  के कभी कहा था-
"अमेरिका की मुख्यधारा में अश्वेत समुदाय कभी भी शामिल नहीं हो सकता'. उनका यह कथन सोनिया को बहुत खटका बस फिर क्या था सांचेज़ ने अपने समुदाय के लोगों को समाज में इज़्ज़तदार जगह बनाने में जुट गयीं.
कला आंदोलन में अपने कई समकालीनों की तरह एफ्रो-अमेरिकन समुदाय की कवि, शिक्षाविद, नाटककार, कार्यकर्ता सोनिया सांचेज़ के खाते में कई उपलब्धियाँ दर्ज हैं. 1970 में एमहर्स्ट कॉलेज में वह पढ़ाने वाली वह पहली एफ्रोअमेरिकन स्त्री थी और अश्वेत अध्ययन विभाग में दूसरी स्त्री थी जो इस पद पर आसीन हुई. दिलचस्प बात यह है कि इन सभी अश्वेत स्त्रियों का अपना एक बुलंद व्यक्तित्व था जो समग्र रूप में अश्वेत समाज के विकास के लिए एक कड़ी का काम करते हुए आपस में एक दूसरे को जोड़ता था. आज भी अनेकों विश्विद्यालयों और संस्थाओं में सोनिया को मार्टिन लूथर, ऑड्रे लोर्ड ,एड्रिएन रिच और ज़ोरानील हर्स्टन पर व्याख्यान देने के लिए बुलाया जाता है.  

     अश्वेत कला आंदोलन में  सोनिया सांचेज़ और उनकी समकालीनों ने एक ख़ास तरह की ब्लैक पोएट्री इज़ाद की जिसका संबंध अश्वेत समुदाय की स्त्रियों  से जुड़े मुद्दों से था, इन  मुखर और मानीखेज़ मुद्दों पर लिखी कविताओं ने ही आगे चलकर अश्वेत स्त्रीवाद की नीव को पुख्ता किया.

सोनिया सांचेज़ ने अपने लेखन, खासतौर पर कविताओं के जरिए अश्वेत कला आंदोलन में पुरुषों के एकछत्र प्रभाव को उजागर किया. ‘रेव पिम्प्स’ और ‘टू ए जेलस कैट’ शीर्षक से उनकी ऑडियो एल्बम में इस प्रवृति को साफ तौर पर समझा जा सकता है.1आंदोलन में शामिल पुरुषों में व्याप्त हिंसक सेक्स की कल्पना को भी उन्होंने अपनी कविताओं के जरिए पाठकों के सामने रखा. सोनिया सांचेज़ ने  स्त्रीवादी नज़रिये से देखते हुए अश्वेत कला आंदोलन में एक वास्तुकार की भूमिका निभाई. 

बीसवी सदी के उत्तरार्थ में अमेरिका निवासी अश्वेत महिलाओं के अनुभवों को अपनी कविताओं में शामिल करने के साथ ही सोनिया सांचेज़ अपने लेखन में भाषागत, शैलीगत प्रयोग तो कर ही रहीं थीं उनका  प्रमुख एजेंडा  संगीत को कविता का हिस्सा बनाना भी था. आगामी युवा पीढ़ी ने  सोनिया की कविताओं में अश्वेत स्त्रियों की भूली-बिसरी आवाजों को पाया जो  मुख्यतः ऐतिहासिक दृष्टिकोण से स्त्रियों के मुद्दों को संबोधित करती हैं, जिसमें मुखरता से स्त्री के लिंग, उनके निजी अनुभव और राजनीति के साथ लोक काव्य भी सम्माहित  है. 

सोनिया सांचेज़  न केवल  बेहतरीन कविताएं ही लिखी बल्कि उनका कविता पाठ भी शानदार होता है. उनकी रूचि कविता में दर्ज़ सामग्री के साथ, शब्दों से उत्पन्न ध्वनि में भी है यही कारण है कि उनकी पहचान स्पोकन वर्ड की चैंपियन के रूप में भी है. वे अपनी स्पोकन वर्ल्ड की किताबों के लिए भी देश-विदेश में काफी प्रसिद्द हैं. उच्चारण की शुद्धता के पीछे एक कहानी है जिसके तार उनके बचपन से जुड़े हैं- लगन की धनी सोनिया सांचेज़ को बचपन से ही वाक्-दोष था, जिसके चलते उन्हें ज़ोर-ज़ोर से बोल कर पढ़ने की हिदायत दी गई थी. तब कविता उच्चारण के लिए बल देना शुरू करने के साथ ही  उन्हें कविता की ध्वनि की महत्वत्ता का अहसास हुआ और उन्होंने निरंतर कविता-पाठ का अभ्यास किया. वर्ष 1920 में स्कोम्बुज पुस्तकालय में उन्होंने अश्वेत लेखकों स्टर्लिंग ब्राउन, लुंग्स्टन हूजेस और काउंटी क्यूलन को पढ़ा और कविता के प्रति आकर्षित हुई.  

1960 में वे पूरी तरह से सामाजिक और राजनीतिक  रूप से सक्रिय हो गयी थीं और अपने आंदोलन के सिलसिले में कई बार वे गिरफ्तार भी हुईं.1965 में उन्होंने अश्वेत स्त्रियों को केंद्र  में रखते हुए पाठ्यक्रम तैयार किया, उनका विश्वास है कि एक शिक्षक ही अतीत की विरासत को बदलने और सामाजिक बदलाव लाने के लिए जिम्मेदार हैं और यही कारण है कि अपने लेखन और वक्तव्य में व्यापक रूप से शिक्षकों की प्रशंसा की. 

एक अकादमिशियन होते हुए भी अपने लेखन में अकादमिक भाषा का इस्तेमाल न करके अश्वेत समुदाय द्वारा प्रयुक्त अश्वेत-अंगेज़ी का प्रयोग किया और  कविता-विधा को बौद्धिक गलियारों से निकाल कर आमजन तक पहुँचाया.एक शिक्षक के नाते  उन्होंने अपने छात्रों को टोनी मॉरिसन, माया एंजेलो, रुबी डी, ऐलिस वॉकर और डैनी ग्लोवर से रूबरू करवाया और यही कारण है कि अपने अध्यापन के पैंतीस वर्षों में उन्होंने कविता के कई छात्रों को गढ़ा. युवाओं जैसी ज़िंदादिली  के साथ साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में लगातार सक्रिय सोनिया की आवाज़ की लोच और बुलंदी से उन्होंने संसार भर में ढेरों प्रशंसक अर्जित किए. सदियों तक अमेरिका की राजनीति, संस्कृति और साहित्य में एक प्रभावशाली  हस्तक्षेप रखने वाली सोनिया सांचेज़ के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रसिद्ध अश्वेत लेखिका माया एन्जेलों ने उन्हें ‘साहित्य के जंगल का शेर कहा’ . चिली की प्रसिद्ध उपन्यासकार ऐज़ाबेल आलेंदे    भी उनके प्रशंसकों में से हैं.वहीं  सोनिया सांचेज़ कवि और चित्रकार क्रिस्टा फ्रेंक्लिन और अमेरिकन कवयित्री ऐनी सेक्सटन से बेहद प्रभावित रही हैं.

कविताओं को दूसरी कला-विधाओं में शामिल कर उन्होंने कविता के क्षेत्र में  अभूतपूर्व क्रांति ला दी और अपने इस उपक्रम से सैंकड़ों लोगों का कविता का दीवाना बनाया. उन्होंने सामान्य बोलचाल की भाषा यानी गली-कूचों में बोली जाने वाली  भाषा को कविता को दी और  बड़ी बुद्धिमत्ता से इतिहास और अपने समुदाय के मुद्दों के ज्ञान ने  उनकी उस कविता अभिव्यक्ति को धार दी जिनके विषय माकूल  और स्वर अन्तर्निहित थे.  समूचे अफ्रीकन-अमेरिकन समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए वे भाषा की शक्ति का बुद्धिमत्ता और प्रभावपूर्ण इस्तेमाल करते हुए हुए यथास्थिति को बदलने का उपक्रम करती हैं.   

उन्होंने अपनी अश्वेत विरासत पर लगातार लिखा और प्रत्येक जन को अपनी संस्कृति और अस्तित्व को पहचानने और उसका उत्सव मनाने के लिए प्रेरित किया. सोनिया सांचेज़ को हिप-हॉप जनरेशन की स्पिरिचुअल मदर माना जाता है.3 आज भी वह एक बालक की तरह सीखने की ललक रखती हैं. पचहत्तर वर्ष की उम्र में उन्होंने पोएट्री राइटिंग वर्कशॉप में पढाना शुरू किया. आज की युवा पीढ़ी  न केवल उनकी कविताओं से बल्कि उनके कविता पाठ के वाचन  से भी बहुत कुछ सीख रही है . वास्तव में सोनिया सांचेज़ ने किताब के पन्नों से कविता को निकालकर उसे व्यापक आयाम दिए . वे कहती हैं "मेरी कविता राजनैतिक है. यह या तो संभालती है या यह बदलाव के बारे प्रेरित करती है.4 उनका  काम  ब्लैक आर्ट एस्थेटिक में  महत्वपूर्ण भूमिका  निभाता है. उनके लेखन ने स्ट्रीट लिटरेचर के फलक को विस्तृत किया. स्ट्रीट लिटरेचर  वह साहित्यिक शैली है जो  वास्तविक रूप से सड़कों का साहित्य माना गया है यह उस क्षेत्र के बारे में कहानियों और उनकी सच्चाई को दर्शाता है. यह साहित्य शहर के निम्न आय वाले लोगों के दैनिक जीवन और स्थान विशेष को बखूबी दर्शाता है.5

     उन्होंने अपनी अफ़्रीकी-अमेरिकी संस्कृति की लगातार पुष्टि की और अपने नज़रिये को लगातार साफ़ करने के लिए अफ़्रीकी सभ्यता की "प्राचीन के और रुख किया. 

सोनिया सांचेज़ ने अपने हाइकू में कई ऐतिहासिक विषयों को दर्ज़ किया सदियों तक वे हाइकू विधा के करीब रही उनके हाइकू  अफ़्रीकी-अमेरिकी कविता का अटूट और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिनमें उनके न केवल संगीत, संस्कृति, प्रेम, प्रकृति, सुंदरता, ख़ुशी6

राजनीति और राष्ट्रीयता की भावना सोनिया सांचेज़ की कविताओं में विस्तार पाती हैं. अश्वेत एकता की ललक, श्वेत प्रभुत्व के खिलाफ कार्यवाही के अलावा अश्वेत समुदाय के प्रति हिंसा पर उनकी कविताएँ  विश्व भर के कविता प्रेमियों को अपनी और आकर्षित करती हैं. 

अपनी सृजनात्मकता का  उत्सव मानते हुए अश्वेत रेडिकल एक्टिविस्ट सोनिया सांचेज़ अपने लेखन के एकांत की रौशनी की मशाल ले कर सड़कों और समहू के बीच उपस्थित होती हैं तो वह अवसर देखने लायक   होता है.  अलबामा में 1934 को जन्मी सांचेज़ अब  लगभग पचासी साल की उम्र में भी हैं और आज भी  अमेरिका  की संस्कृति और राजनीति को पुनर्परिभाषित करते हुए साहित्य में अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. 



       
संदर्भ:
1        मन्निंगमारिया वर्डप्रेस कॉम- मॉडर्निटी एंड बियॉन्ड 
2        "सोनिया सांचेज़-बायोग्राफी" क्रिटिकल एडिशन ऑफ़ ड्रामेटिक लिटरेचर एडिटर कार्ल रोलिसन.इनोट्स.कॉम 4 अप्रैल, 2020
3       डब्लूडब्लूडब्लू.एमडॉक्.ऑर्ग/वॉच/ बैडड़ड़ड़ड़ड़-सोनिया सांचेज़ 
4       डिसिप्लिन एंड क्राफ्ट: एन इंटरव्यू विथ सोनिया सांचेज़ 
5       विकिपीडिया सोनिया सांचेज़ 
6       सोनिया सांचेज़'स पोएटिक स्पिरिट थ्रू हाइकू: जॉन ज़हेना 



अवसाद

खो गयी थी मैं अपनी आंखों में
टकराने उन गुफाओं  से गा रही हैं जो
सूरज-तले शाम की खुश्बू की महक लेते हुए
जहां  सूखी हड्डियां,
अपनी महक  में  नदी- भीतर ले रहीं हैं
हिलोरे
प्रकाश का एक फांक ऊपर-नीचे रेंग रहा  है
पलटता है फिर किनारे की ओर

जैसे बिस्तर पर  नशे में धुत हवा के झोंके
उस कंबल पर ढह पड़ते हैं  ढक रखा है जिसने पसीना
देखते हुए सपना मानो मार रहे हों  कुहनी
स्थिर हूँ मैं इसलिए घावों के साथ भौंडी  मैं
बेपहिया गाड़ी सी छोटी और अटल
क्या मैं रेत में खुश एक आवाज़  हूं?
देखो  हवाओं से मुखौटे
कैसे विदा होने की धुन पर
नृत्य कर रहे हैं
मैंने अपने कपड़े अलग कर दिए हैं
क्या मैं स्तनों द्वारा उपयोग में लाया हुआ
एक बीज हूं
नेत्रहीन नेवला,
या स्पैनियल दांत के बिना शिशु ?



रोई हूँ  पूरी रात मैं
बह रहे हैं मेरे माथे से आँसू
नाड़ियों में सुस्ती,
रीढ़ की हड्डी की आत्मा  से आँसू
बह रहे हैंजो  मेरे जन्म  के सन्नाटे में
अरे!क्या मैं जन्म ले चुकी हूँ? मैं त्वचा नहीं छील सकती
मैं सुन रही हूँ  चंद्रमा इन कमरों में नृत्य करने की हिम्मत कर रहा है
हे सितारा बनने के लिए
सितारे अपनी खुद की दया चाहते हैं
और ले रहे हैं देवताओं की तरह शांत
उछ्वास


प्रेम गीत
( स्पेनिश के लिए )

अगर मैं हंस दूँ तो माफ़ करना
तुम्हें हैं प्रेम पर गहरा विश्वास
तुम हो  इतनी  युवा
और मैं,
प्रेम के  पाठ के लिए काफी वृद्ध

हवा में टूट पड़ती यह बारिश,
प्रेम है
हरी मोम उलीच रही है घास अपनी
यही प्रेम है
और पत्थर
प्रेम के लौट गए क़दमों को कर रहे हैं याद
यही है प्रेम
मगर तुम
हो काफी युवा प्रेम की समझ के लिए
और मैं काफी बुजुर्ग

एक बार,
क्या फर्क पड़ता है
कब और कौन ?
परिचित हुई थी  प्रेम से मैं
मैंने अपनी देह को  किया
उसके अनुसार ठीक
और चली गई
प्रेम में करने विश्राम
मिटा दिए  थे अपने चिह्न सभी

क्षमा करना अगर मुस्कुराऊँ मैं
अनावृत सपनों की युवा उताराधारिणी
तुम हो इतनी जवान
और मैं प्रेम की सीख के लिए
काफी वृद्ध



कविता # 3 
बटोर लेती हूँ मैं
पीछे छोड़ी गयी सभी आवाज़ें
और फैला देती हूँ  तुम्हारे बिस्तर पर उन्हें
हर रात 
मैं तुम्हारी सांस लेती हूँ
और  हो जाती हूँ
मदहोश


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