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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

22 नवंबर, 2018


निर्बंध: बारह




अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पाबंदी बर्दाश्त नहीं !

यादवेन्द्र



अभी प्रसिद्ध कर्नाटक संगीतकार टी एम कृष्णा के मुखर राजनैतिक विचारों से घबरा कर दिल्ली में एयरपोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने उनका प्रस्तावित कार्यक्रम रद्द कर दिया पर कृष्णा निर्भीकता पूर्वक अपने विचारों को दुहराते रहे।हमने भारत में पहली बार संगीत के माध्यम से एक पॉलिटिकल स्टेटमेंट सुना - कृष्णा को सलाम करते हुए यह प्रासंगिक सामग्री साथियों के लिए प्रस्तुत है। इस्राइल के इस युवा का ऐतिहासिक साहस हमारे लिए प्रेरणा बन सकता है:



यादवेन्द्र




सेवा में,
इस्राइल के प्रधान मंत्री,
इस्राइल के रक्षा मंत्री,

विषय: अनिवार्य सैनिक भर्ती के लिए उपस्थित होने से इनकार

मैं, ओमर ज़हर एल्डिन मोहम्मद साद,गाँव मुघर - गैलीली, जिसे 31.10.2012 को सैनिक भर्ती ऑफ़िस बुलाया गया है जहाँ अनिवार्य सैनिक ड्यूटी के लिए टेस्ट लिया जाना है - ड्रूज समुदाय पर यह कानून लागू कर दिया गया है।इस सिलसिले में मुझे यह कहना है:

मैं  टेस्ट के लिए उपस्थित होने से इनकार करता हूँ क्योंकि ड्रूज समुदाय पर इसको थोपना एकदम अनुचित है।मैं इसलिए भी इनकार करता हूँ क्योंकि मैं अमन का पक्षधर हूँ और किसी भी तरह की हिंसा का विरोधी हूँ - फौजी महकमा मेरे हिसाब से भौतिक और मानसिक हिंसा का प्रतीकात्मक पुलिंदा है। टेस्ट में शामिल होने का नोटिस जब से मिला है मेरा जीवन उथल पुथल हो गया है...मेरी धड़कनें अचानक तेज हो गयी हैं,  न ही किसी काम में मन लगा पा रहा हूँ...दिन रात मुझे डरावने और हिंसक सपने आ रहे हैं।मेरे लिए यह कल्पना भी भयावह है कि मैं फौजी वर्दी पहनूँगा  और अपने फिलिस्तीनी परिजनों का दमन करूँगा ...या अपने अरबी भाइयों के साथ लड़ाई लड़ूँगा। मुझे इस्राइली फ़ौज या किसी अन्य फ़ौज में भर्ती से सख्त एतराज़ है - और इसका कारण मेरा अंतःकरण और अंध राष्ट्रवाद है। असहिष्णुता मुझे एकदम नापसंद है और आज़ादी पर पाबंदी बर्दाश्त नहीं। बच्चों , बुज़ुर्गों और औरतों को कैद करने वालों  से मुझे सख़्त नफ़रत है। मैं एक संगीतकार हूँ ,वॉयलिन बजाता हूँ - दुनिया भर में अनेक शहरों में मैंने प्रोग्राम किये हैं। मेरे संगीतकार दोस्त रामल्ला ,जेरिको ,जेरुसलम ,हेब्रॉन ,नेबल्स ,जेनिन , श्फामर,ऐलब्यून ,रोम ,एथेंस ,अम्मान ,बेरुत , दमिश्क ,ओस्लो जैसे शहरों में फैले हुए हैं और हम आज़ादी ,इंसानियत और अमन के लिए गाते बजाते हैं 


 ओमर ज़हर एल्डिन मोहम्मद साद


...हमारा यदि कोई हथियार है तो सिर्फ़ संगीत है और हमारे हाथ दूसरे किसी हथियार को थामने से मना कर देते हैं।मैं जिस समुदाय का सदस्य हूँ उसके साथ अन्याय किया गया है ,हमपर अन्यायपूर्ण क़ानून थोपा गया है - हम भला फिलिस्तीन ,सीरिया ,जॉर्डन और लेबनान में रहने वाले अपने भाई बंदों से कैसे लड़ सकते हैं ?फिलिस्तीन में रह रहे अपने भाइयों के खिलाफ़ मैं हथियार कैसे उठा सकता हूँ ?मैं चेकपोस्ट पर बन्दूक थाम कर उनकी तलाशी लेने कैसे खड़ा हो सकता हूँ ? रामल्ला से इस शहर जेरुसलम तक आने वाले अपने लोगों को मैं कैसे रोक सकता हूँ ? अन्याय पर आधारित रंगभेदी दीवार की हिफ़ाजत करूँ यह मेरे लिए संभव नहीं होगा - मेरे अपने लोगों को ही जो कैद कर दे उसका जेलर भला मैं क्यों बनूँ  जबकि मुझे मालूम है इसमें सड़ने वाले ज्यादातर कैदी आज़ादी के सिपाही हैं ,अपने हक़ के लिए संघर्ष करने वाले लोग हैं ?

मैं आनंद के लिए ,आज़ादी के  लिए और फिलिस्तीन पर जबरन कब्ज़ा रोक कर अमन बहाली के लिए संगीत रचता हूँ - मेरा सपना है कि फिलिस्तीन एक आज़ाद मुल्क हो जिसकी राजधानी जेरुसलम बने , इस्राइल की जेलों में बंद सभी फिलिस्तीनी मुक्त किये जायें और  एक एक बेघर हुआ शरणार्थी  अपने अपने घर लौट जाए। 

हमारी बिरादरी के अनेक  युवकों ने फ़ौज में अनिवार्य ड्यूटी  की पर बदले में उन्हें मिला क्या ?हमारा भला तो हुआ नहीं ,उलटे हमारे साथ हर मौके पर भेदभाव बरता गया ,हमारे गाँवों में गरीबी फटेहाली का सबसे बड़ा साम्राज्य है ,हमारी जमीनें हड़प ली गयीं ,हमारे इलाकों के विकास के लिए कोई मास्टर प्लान नहीं बनाया गया ,कोई उद्योग नहीं स्थापित किये गए। पूरे इलाके को देखें तो हमारे गाँवों  में युनिवर्सिटी ग्रैजुएट्स की संख्या सबसे कम मिलेगी ,बेरोजगारी का आँकड़ा शिखर छू रहा है। अनिवार्य तौर पर हमारे ऊपर थोप दिया गया यह कानून हमें हमारे अरब संबंधों से दूर कर देता है। स्कूल की पढ़ाई पूरी कर मैं युनिवर्सिटी  दाख़िला लूँगा और डिग्री हासिल करूँगा। मुझे पूरा भरोसा है कि आप मुझे अपने इंसानी सपने को साकार करने मदद करेंगे ,फिर भी मैं अपनी आवाज़ ऊँची कर यह ऐलान करना चाहता हूँ :
मैं ,ओमर ज़हर एल्डिन मोहम्मद साद, आपके युद्धोन्माद के गोला बारूद की आग सुलगाने के लिए ईंधन बिलकुल नहीं बनूँगा और आपकी फ़ौज में शामिल होकर ड्यूटी नहीं बजाऊँगा। 

ओमर साद 

बड़े भाई ओमर से प्रेरणा लेकर उसके संगीतकार छोटे भाई मोस्तफा ने भी अनिवार्य फ़ौजी ड्यूटी करने से इनकार कर दिया - उन्हें ऐसा करने का रास्ता सालों पहले उनके पिता ने दिखाया था जब उन्होंने भी अपनी धार्मिक मान्यताओं और युद्ध विरोध को आधार बना कर फ़ौजी वर्दी पहनने से इनकार कर दिया था। 
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निर्बंध ग्यारह को नीचे लिंक पर पढ़िए













टी एम कृष्णा 

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टी एम  कृष्णा के गीत नीचे लिंक पर सुनिए







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