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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

14 अक्तूबर, 2024

रॉबर्ट बर्न्स की कविताऍं

 

अनुवाद: सरिता शर्मा 

रॉबर्ट बर्न्स का जन्म 25 जनवरी 1759 को एल्लोवे में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिल्कुल अल्प एवं अनियमित थी, किंतु उन्हें पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था। उन्होंने 1786 में अपनी

कविताओं का संस्करण प्रकाशित कराया जिससे उनकी प्रशंसा हुई। बर्न्स की काव्यकृतियों में टैम औ' शांटर,  दी काटर्स सैटर्डे नाइट' नामक एक वर्णनात्मक बृहद् कविता, दो सौ से अधिक गीत और काव्यपत्र, व्यंगात्मक कविताएँ, चुटकुले, शोकगीत तथा अन्य प्रकार के विविध पद्य सम्मिलित हैं। उनकी सबसे लोकप्रिय रचना दि काटर्स सैटर्डे नाइट उनके पिता विलियम बर्न्स का वास्तविक चित्रण प्रस्तुत करती है। उनकी सबसे श्रेष्ठ व्यंग्यात्मक कवितायें दि होली फ़ेयर तथा होली विलीज़ प्रेयर  हैं। 'दि जॉली बेगर्स' उनकी अति नाटकीय एवं कल्पनाप्रधान रचना है जिसमें निरुद्देश्य घुमक्कड़ों का वर्णन है। ए मैंस ए मैन फ़ार ए दैट मानवता का गान है। गठिया ज्वर के कारण 21 जुलाई 1796 को उनकी मृत्यु हो गई थी।


जॉन कैनेडी के लिए 


अलविदा, प्रिय दोस्त! खुशकिस्मती आपके साथ रहे, 

और अपने लाडलों में आपको शामिल करे: 

अगर कलंक तुम्हें आहत करे, 

उस पर कोई भरोसा न करे, 

और अगर शैतान तुम्हें छूने की सोचे  

हे भगवान, उसे धोखा दे देना।



पुरानी प्रेमिका के लिए


कभी जिससे बहुत प्यार किया था, और अभी भी वह प्रेमिका याद आती है, 

मेरे युवा वायदों की किरदार प्रिया, 

ईमानदार, गर्मजोशी की दोस्ती की इस निशानी को स्वीकारो  

अब कठोर कर्तव्य बस  दोस्ती की अनुमति देता है। 


और जब तुम सीधे सच्चे गीत पढ़ो, 

तो उसके लिए एक चाहतभरी आह भरना – उसे  और कुछ नहीं चाहिए 

जो दूर कहीं भीषण, ऊष्ण जलवायु में जलता है, 

या  अटलांटिक की दहाड़ के नीचे निर्बल पड़ा है।


ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर सूक्ति 

अब मैं पहुंच गया हूँ – भगवान का शुक्र है 

टूटे फूटे रास्तों से गुजरते हुए, 

यह बात पक्की है सड़कें बनाना 

इन लोगों की चिंता नहीं है: 

मैंने धर्मग्रंथ को रटा नहीं फिर भी 

यकीनन बाइबल का कहना है 

अगर वे अपने तरीके सुधारते नहीं तो

असावधान पापियों को नर्क मिलेगा।

०००


मौत की संभावना पर प्रार्थना 


अरी तू अज्ञात, सर्वशक्तिमान कारण 

मेरी समस्त आशा और भय की? 

जिसकी डरावनी सूरत के सामने, 

मुझे जाना पड़े घंटे भर में शायद! 

अगर मैं जीवन के उन रास्तों पर भटका हूँ  

दूर रहना चाहिए था जिनसे मुझे  

उनके लिए मैंने  दिल में, 

बहुत पश्चाताप किया है; 

तू जानती है तूने बनाया है मुझे 

अनियंत्रित और उत्साही आवेश वाला; 

और उन रास्तों की सम्मोहक आवाजें सुनने 

अक्सर मुझे गलत जगहों की ओर प्रेरित किया है। 

जहां इन्सानी कमजोरियां हावी हो जाती हैं, 

या दोष पथभ्रष्ट कर देते हैं, 

बता, क्या तू अंधेरे की छाया में छुपी 

सर्वशक्तिमान ईश्वर है, 

अगर मैंने गलती की हो इरादतन, 

मेरे पास उसकी कोई और सफाई नहीं, 

लेकिन, तू भली है; और भले लोग 

गलतियों को माफ करके खुश होते हैं।

०००


सूर्ख, लाल गुलाब 


आह मेरा प्रेम सूर्ख, लाल गुलाब जैसा है 

जोकि जून में अभी खिला है; 

ओह मेरा प्रेम गीत समान है

 मीठी धुन पर बजाया गया हो जिसे


और तुम बहुत भोली हो प्रिये, 

और मैं प्यार में इतना डूबा हूँ; 

कि मैं तब तक प्रेम करता रहूँगा प्रिये, 

 जब तक सब समुद्र सूख न जाएं। 


जब तक सब समुद्र सूख न जाएं, प्रिये 

और चट्टानें सूरज से पिघल न जाएं;  

मैं तब भी तुमसे प्यार करूंगा, प्रिये 

जीवन की लौ बुझ जाने तक। 


और अलविदा, मेरी एकमात्र प्रिया! 

कुछ समय तक के लिए विदा!  

और मैं लौट कर आऊंगा प्रिये, 

चाहे दस हजार मील की दूरी हो।

०००


अनूवादिका का परिचय 

सरिता शर्मा (जन्म- 1964) ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर तथा अनुवाद, पत्रकारिता, फ्रेंच, क्रिएटिव राइटिंग और फिक्शन राइटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। पांच वर्ष तक

नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया में सम्पादकीय सहायक के पद पर कार्य किया। बीस वर्ष तक राज्य सभा सचिवालय में कार्य करने के बाद नवम्बर 2014 में सहायक निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति। कविता संकलन ‘सूनेपन से संघर्ष, कहानी संकलन ‘वैक्यूम’, आत्मकथात्मक उपन्यास ‘जीने के लिए’ और पिताजी की जीवनी 'जीवन जो जिया' प्रकाशित। रस्किन बांड की दो पुस्तकों ‘स्ट्रेंज पीपल, स्ट्रेंज प्लेसिज’ और ‘क्राइम स्टोरीज’, 'लिटल प्रिंस', 'विश्व की श्रेष्ठ कविताएं', ‘महान लेखकों के दुर्लभ विचार’ और ‘विश्वविख्यात लेखकों की 11 कहानियां’  का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, समीक्षाएं, यात्रा वृत्तान्त और विश्व साहित्य से कहानियों, कविताओं और साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। कहानी ‘वैक्यूम’  पर रेडियो नाटक प्रसारित किया गया और एफ. एम. गोल्ड के ‘तस्वीर’ कार्यक्रम के लिए दस स्क्रिप्ट्स तैयार की। 

संपर्क:  मकान नंबर 137, सेक्टर- 1, आई एम टी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा- 122051. मोबाइल-9871948430.

ईमेल: sarita12aug@hotmail.com

3 टिप्‍पणियां:

  1. सराहनीय कविताएँ।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १५ अक्टूबर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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