प्रदीप सिंह की कविताएं
युवा कवि प्रदीप सिंह सुन्दर नगर हिसार में रहते हैं। आप 100 प्रतिशत शारिरिक विकलांगता के चलते स्कूली पढ़ाई नहीं कर सके।
मगर कविताएं लिखने-पढ़ने में गहरी रुचि रखते हैं। आपका एक कविता संग्रह- थकान से आगे , प्रकाशित है। तमाम पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है।
घर
कुछ बेतरतीब
थोड़ा करीने से सजा
अटा पड़ा कहीं
कहीं खाली पड़ा
गमलों की हरियाली पर हर्षाता
सीलन के धब्बों को मुंह चिढाता
कभी भक्ति में लीन
कभी पार्टियों में डिस्को थीम
कहीं सो रहा
तो
कहीं खेल रहा होता है
इन्ही
सब बातों से
एक घर, घर होता है...
..................
मैं
मैं
सिर्फ और सिर्फ
मैं
सारी जिंदगी
बस
मैं ही मैं
मेरे लिए
इस मैं से बड़ी
सजा और क्या होगी!
.........................
छोटी चीज़ें
एक
छोटी-सी चिंगारी
कर
सकती है
शहर में आगजनी
एक
गाली भी
घोल
सकती है
शहर की
फ़िज़ां मे कड़वाहट
मोहल्ले का
छोटा-सा झगड़ा
लगवा
सकता है
शहर में कर्फ्यू
छोटी चीज़ें
अपने भीतर
अक्सर
बड़ी संभावनाएं लिए पैदा होती हैं...
०००
संपर्क: 286, Sunder Nagar Near New grain Market Hisar- 125001 (Haryana)
मोबाइल+919468142391
ई-मेल- singhpardeep916@gmail.com
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