image

सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

22 सितंबर, 2017



प्रदीप सिंह की कविताएं


युवा कवि प्रदीप सिंह सुन्दर नगर हिसार में रहते हैं। आप 100 प्रतिशत शारिरिक विकलांगता के चलते स्कूली पढ़ाई नहीं कर सके।
मगर कविताएं लिखने-पढ़ने में गहरी रुचि रखते हैं।  आपका एक कविता संग्रह- थकान से आगे , प्रकाशित है। तमाम  पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है।


घर

कुछ बेतरतीब
थोड़ा करीने से सजा
अटा पड़ा कहीं
कहीं खाली पड़ा
गमलों की हरियाली पर हर्षाता
सीलन के धब्बों को मुंह चिढाता
कभी भक्ति में लीन
कभी पार्टियों में डिस्को थीम
कहीं सो रहा
तो
कहीं खेल रहा होता है
इन्ही
सब बातों से
एक घर, घर होता है...
..................


मैं 

मैं
सिर्फ और सिर्फ
मैं
सारी जिंदगी
बस
मैं ही मैं

मेरे लिए
इस मैं से बड़ी
सजा और क्या होगी!
.........................


छोटी चीज़ें

एक
छोटी-सी चिंगारी
कर
सकती है
शहर में आगजनी

एक
गाली भी
घोल
सकती है
शहर की
फ़िज़ां मे कड़वाहट

मोहल्ले का
छोटा-सा झगड़ा
लगवा
सकता है
शहर में कर्फ्यू

छोटी चीज़ें
अपने भीतर
अक्सर
बड़ी संभावनाएं लिए पैदा होती हैं...
०००



संपर्क: 286, Sunder Nagar Near New grain Market Hisar- 125001 (Haryana)
मोबाइल+919468142391
ई-मेल- singhpardeep916@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें