अनुराधा मैंदोला मैंदोला की कविताएं
"बिच्छू"
घर की पुताई करवाते हुए
यूं ही अचानक दिख गया एक बिच्छू
अपनी सी ही आकृति लिए हुए
अपने में यूनीक संरचना लिए हुए
किसी को प्यारी भी लग सकती है
यह संरचना?
सोचती हूं इसे भी ईश्वर ने
उतनी ही खूबसूरती और फुरसत से बनाया होगा
जितनी खुबसूरती और फुरसत से बनाई होगी
कोई विश्वसुंदरी
हो सकता है वह कोई मादा ही हो
और हो अपने समाज की सबसे खूबसूरत मादा
लेकिन नही
बिच्छू होना
मतलब जहरीला होना
उसे पता भी नही कि उसे देखा गया
उसे देख घिन आई मुझे
जहर उसका हथियार ही तो है
यूं ही तो नही काटते होंगे हमे
अपना बचाव करते हुए ही डंक मारते होंगे
लेकिन नही
ये बात दिमाग में घर कर गई है कि बिच्छू जहरीले होते हैं
और उन्हें मारना है
नही तो डंक मारेंगे
जब तक मैं पहुंच पाती इसके जीववैज्ञानिक अध्ययन पर
तब तक एकाएक
मेरा पैर किसी कंप्यूटर कमांड की तरह आगे बढ़ा
और मैंने उसे कुचल डाला
इस सब से नही भरा मन
और उसके प्रति उभरी घृणा से मन लिजलिजा हो गया
ये बिच्छू बेमौत मारा गया
बिना गुनाह के
उसका बिच्छू होना अभिशाप साबित हुआ
और मुझे अपनी ही शाबाशी मिली
जीत भरी मुस्कान के साथ।
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मन्दिर की घंटियों की ध्वनि
नही पहुंचती तुम तक
सहते हुए मार चुकी हो
अपना ईश्वर और मन
कोई ख्याल भी
फटकने नही देती हो आस_पास
खुले मैदान, इतने भी खुले नही
जितना तुम सोचती या चाहती हो
ये सब वही है जो नदी
को भी बांध देते है
पहाडों को गिरा देते हैं
तुम भी नदी हो
पहाड़ हो
कोई कोना ढूँढती हुई
सिमट जाती हो
उसी में
लगाती हो अंदर से सांकल
ऊब, धोखे और भय से
भरोसा नही कर पाती
हवाएँ अब भी खटखटा रही है
दरवाजा
बज उठती है सांकल से
स्वर लहरियाँ
यकीन रखो
कई आश्चर्य बाकी है
उन्मुक्त और आज़ाद से।
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दीवार
1.
ठीक मेरी तरह
तुम भी कह देना
सारी बातें दीवारों से
भरोसेमंद होती है
आदमी से ज्यादा।
2.
दीवारों से कही बातें
कहीं नही जाती
दीवारों के कान होते है
जुबान नही।
3.
दीवारें रखती है
राज छुपा कर
बोझ बन जाए
तो गिरती है
भर भरा कर।
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दो चार पत्तियों के झड़ने पर वृक्ष कहां शोक मनाते है,
आ जाता है पतझड़ जब, तब ही बसंत बुलाए जाते हैं,
कहां मिली हैं चांदनी रातें सबको,अमावस लौट आते हैं,
जिन रातों में चांद न होता,जुगनू ही राह दिखाते हैं।
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कौन से देश से हो?
मेरा कोई देश नही
कौन सी जात की हो?
मेरी कोई जात नही देखता
तुम सांवली से भी गहरे रंग की हो
जी, मेरे रंग से मेरा ताल्लुक नही है
तुम्हारी क्या उम्र होगी?
मेरी उम्र मेरी ढाल नही है
कद_काठी तो काफी अच्छी है तुम्हारी
ये भी मेरा सकारात्मक पक्ष नही है
तुम्हारा हुलिया फिर भी आकर्षक लगता है
कोई फर्क नही पड़ता साहब
मेरा देश,जात, रंग, उम्र,कद_काठी, हुलिया
नही देखा जाता
मैं एक स्त्री हूँ ।
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चित्र: अनुप्रिया
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सत्यनारायण पटेल
9826091605
सुन्दर रचनाएं
जवाब देंहटाएंआपका आभार 🙏
हटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएं