युद्ध के बारे में कुछ कविताएं
एक
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युद्ध के बारे में अब
कुछ पता नहीं चलता
कब शुरू हो जाता है युद्ध
कोई नहीं जान पाता यह
लेकिन युद्ध होता है और
धीरे-धीरे मारे जाते हैं इतने लोग
जितने किसी युद्ध में ही
मारे जा सकते हैं।
०००
चित्र:-निज़ार अल बद्र
दो
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युद्ध की घोषणा नहीं हुई और
युद्ध शुरू हो गया
जिनके पास हथियार थे
वे निहत्थों पर चलाने लगे गोलियां
गिराने रगे उनकी बस्ती पर बम
जो तरसते रहे उम्र भर
दो जून रोटी के लिए!
०००
तीन
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जिसके पास जमा होते हैं हथियार और बम
और मिसाइल
उसे इसी बात की फ़िक्र होती है कि
कब शुरू हो युद्ध
जिसके पास कुछ नहीं होता
वह चैन से सोता है!
०००
चार
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जब आकाश में गरजते हैं
बमवर्षक विमान
तब सारी चिड़िया
लापता होती हैं
वे जानती हैं कि
अभी यहां
गाने से कुछ नहीं होगा!
०००
पांच
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ऐसा कभी नहीं होता कि
युद्ध चल रहा हो और
खत्म हो जाए गोली
ऐसा कभी नहीं होता कि
युद्ध चल रहा हो और
बम की कमी हो जाए
युद्ध लड़ने के लिए
सिपाही नहीं मिलें
ऐसा कभी नहीं होता!
०००
छः
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जो युद्ध का आदेश देते हैं
वे और कुछ नहीं करते
सिर्फ हथियार और सैनिक
मुहैया करवाते हैं
युद्ध में खत्म होने के लिए!
०००
सात
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युद्ध तो युद्ध है
युद्ध में गोला-बारूद ही
अंतिम सहारा होता है
वहां जो आंखें होती हैं
वे बहता हुआ खून नहीं देखती
युद्ध तो युद्ध है और वहां
जो भी निशाना नहीं साधेगा और
गोली नहीं चलाएगा
वह किसी और की गोली से मारा जाएगा!
०००
आठ
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इधर आ रही है लाश और
बह रहा है खून
जो लाश को संभाले हुए हैं
वे बतिया रहे हैं आपस में कि
यह जिसकी लाश है
वह बहुत ताकतवर आदमी था
जो भी हो
लेकिन सिर्फ पांच छोटी-छोटी
गोलियां लगने से
मारा गया वह ताकतवर आदमी
अब उसकी लाश से
कुछ काम नहीं होगा!
०००
नौ
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जब चल रहा होता है युद्ध
तब युद्ध करवाने वाले
आराम कर रहे होते हैं
उनके बच्चे घरों में खेलते हैं और
उनकी पत्नी बुन रही होती है सपने
उनके घर के बाहर लगा होता है पहरा
ताकि कोई हमला न कर दे!
०००
दस
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आज तक जितने भी युद्ध हुए हैं
उनका लेखा-जोखा कहीं नहीं है
कोई नहीं बता सकता कि
कितने लोग मारे गए और
कितनी बार तबाह हुई है
बसी-बसाई दुनिया
युद्ध में
लेकिन अफसोस कि
बहुत कम युद्ध सफल हुए हैं और
उसका फायदा मिला है बहुत कम
आम जनता को
शायद इसीलिए
युद्ध की जरूरत है आज भी
अब अगर युद्ध लड़ा जाए तो
लड़ा जाए एकदम युद्ध की तरह और
उसकी घोषणा
न तो तानाशाह करे न शहंशाह
न कोई राष्ट्रपति न कोई प्रधानमंत्री
युद्ध की घोषणा करे तो वह
जिसे आज तक
युद्ध में कुछ नहीं हुआ हासिल और
जब वह युद्ध लड़े तो
अपने हिसाब से लड़े
तभी बदल सकती है दुनिया
नहीं तो फिर कोई युद्ध नहीं
यूं ही युद्ध के नाम पर होती रहेंगी हत्याएं।
०००
ऐसे में भी
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चारों तरफ
बरस रही है आग
उठ रहा है धुआं
चल रही है गोली
मर रहा है कोई
मैं देख रहा हूं एक बच्चे को
जो ऐसे में भी
रोंप रहा है फूल का गाछ!
०००
परिचय:- जन्म-८ अक्टूबर १९८३ को खगडिया जिले के एक गाँव हरिपुर में|
शिक्षा -एम०ए(हिन्दी),बी०एड०
प्रकाशन-कथादेश,आजकल,आलोचना,हंस,वाक्,पाखी,वागर्थ,वसुधा,नया ज्ञानोदय,सरस्वती,कथाक्रम,परिकथा,पक्षधर,वर्तमानसाहित्य,कथन,उद्भावना,
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टाइम्स,जनतंत्र,हरिभूमि,प्रभात खबर दीपावलीविशेषांक,शुभमसन्देश,जनमोर्चा,
नवभारत आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित|कुछ में कहानियां भी|
पिता,बच्चे,किसान और कोरोना काल की कविताओं सहित कई महत्वपूर्ण और चर्चित संकलनों के साथ `छठा युवा द्वादश`और `समकालीन कविता` में कविताएं शामिल|
हिन्दवी,समालोचन,इन्द्रधनुष,अनुनाद,समकालीन जनमत,हिंदी समय,समता मार्ग,कविता कोश,पोषमपा,पहली बार,कृत्या आदि पर भी कविताएं|
अब तक तीन कविता संग्रह दूसरे दिन के लिए,पदचाप के साथ और इंकार की भाषा प्रकाशित|आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से कविताएं प्रसारित|साहित्य अकादमी,रज़ा फाउंडेशन,भारत भवन सहित कई महत्वपूर्ण आयोजनों में कविता पाठ|पंजाबी,मराठी,नेपाली और अंग्रेजी भाषाओं में कविताओं के अनुवाद भी|
कविता के लिए विद्यापति पुरस्कार,राजस्थान पत्रिका का सृजनात्मक पुरस्कार,मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार|
सम्प्रति - लेखन के साथ अध्यापन
संपर्क-क्रांति भवन ,कृष्णा नगर ,खगरिया -८५१२०४
मोबाइल -८९८६९३३०४९
शकरानन्द हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि हैं। इनकी कविताएँ लगातार हिन्दी कविता को समृद्ध कर रहीं है। इन सामयिक़ और सार्थक कविताओं के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाएँ
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