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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

20 अगस्त, 2024

ग़ज़ा के कवि मोसाब अबू तोहा की कविता

 ग़ज़ा के कवि मोसाब अबू तोहा की कविता 




घाव 

(ग़ज़ा के विरुद्ध इज़रायली आक्रमण 

( दिसम्बर 27, 2008 - जनवरी 18, 2009 )


एक शनिवार, ग़ज़ा में सप्ताह का पहला दिन था I 

उम्र 16 वर्ष और पहले अंतिम परीक्षाओं के बाद,

मैंने अरबी की परीक्षा दी।

मुझे अरबी भाषा उतनी ही पसंद है जितना मैं अंग्रेजी और फुटबॉल पसंद करता हूँ।

मैंने अपने पिता से अपने उत्तरों पर चर्चा की।

दोपहर को घर पर, हम अपने मकान की छत पर खड़े, उन कबूतरों को देख रहे थे जिन्हें मेरे बाबा ने शौकिया पालपोष कर बड़ा किया था। 

हमारे ऊपर छत का जो अनंत विस्तार था वह आधा नीला आधा सफ़ेद था।

हवा ठहर सी गई थी,

बादलों के जहाज आकाश में आहिस्ते-आहिस्ते चल रहे थे।


एक के बाद एक विस्फोटों ने हमारे घर को, हमारे पड़ोस,

हमारी धरती को हिला दिया,

शब्द मेरे मुँह से नीचे गिरे 

और टूट गए मेरे अकड़ चुके नंगे पैरों पर पड़ कर।

जाने कहाँ से आए पक्षी खुले आकाश में निरुद्देश्य उड़ने लगे।

कुछ पेड़ों में छुप गए।

अपने बड़े से दड़बे में कबूतर कांपने लगे।

रॉक कबूतर, मिस्री कबूतर, राजा कबूतर और हलाबी कबूतर।


एक नन्हा अंडा गिरता है।

ज़रूर मेरे उत्तर मेरी परीक्षा के पन्नों से गिरे होंगे, भय से गल रहे होंगे शायद।

मैंने देखा कि कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक इमारत से काला धुआँ निकल रहा है,

मेरी उत्तर पुस्तिका पर लगी स्याही से भी अधिक काला।

हमने एफ-16 के हमले पूरे होने से पहले तक इनके बारे में नहीं सुना था।

वे नरक से नीचे उतरे। 

दांते ने उनका उल्लेख नहीं किया था।

पूरी एकता दिखाते हुए अपने बमों के साथ लगभग अस्सी एफ-16 ग़ज़ा पर टूट पड़े,

एक ड्रमरोल की तरह जो किसी की मृत्यु की घोषणा कर रहा हो जैसे।

लेकिन मैंने सोचा कि यह एक से अधिक मौतें थीं, ऐसा होना ही था।

हम जल्दी से रेडिओ की ओर मुड़े, वही पुराना, गंदा बक्सा 

जो आमतौर पर हमारे कानों में ख़ून और देह के टुकड़ों की उल्टी करता है, 

जले हुए घावों से भरे अस्पताल, कराहें, एक लाश और कॉट पर पड़ी एक लड़की जिसका एक पैर ग़ायब था या ख़ून सना फर्श।

उस अँधेरे समय में 200 से अधिक पुलिस वाले मारे गए और 700 घायल हो गए। 

वे पुलिस प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रशिक्षण ले रहे थे।

और बीस लख से अधिक लोग अपने जीवन को लेकर चिंतित थे।

(हमें संख्या मत समझो )



यह साल का पहला दिन था 

जब इज़रायलियों ने जबालिया कैम्प में पड़ोसी को निशाना बनाया।

निज़ार रय्यान, एक हमास नेता, मारा गया। 

वह अपने परिवार के 15 सदस्यों के साथ अपने घर के मलबे के नीचे दब गया,

ज़्यादातर उसके बच्चे थे, सबसे छोटा 2 वर्ष का था।

मैंने टीवी पर देखा जब एक आदमी ने एक सिरविहीन बच्चे को खींच कर बाहर निकाला,

दूसरा बिना पैर या हाथ का।

इतना छोटा कि बता नहीं सकता वह लड़का था या लड़की।

नफरत ऐसे विवरणों को नजरअंदाज करती है।

मकान हमास नहीं थे।

बच्चे हमास नहीं थे।

उनके कपड़े और खिलौने हमास नहीं थे।

पड़ोसी हमास नहीं था।

हवा हमास नहीं थी।

हमारे कान हमास नहीं थे। 

वह, जिसने मार डालने का आदेश दिया था,

जिसने बटन दबाया था 

सोचता है केवल हमास के बारे में। 

मेरा भाई हुदैफा जन्म से बहरा और गूंगा था।

वह कभी भी शारीरिक या मानसिक रूप से अच्छा नहीं हुआ पर भावनात्मक रूप से वह ठीक था।

हम यह नहीं जानते थे।


वह हमारे साथ टीवी देख रहा था जब लोगों के विकृत और अंगहीन देहों के वीडियो और फोटो टीवी स्क्रीन पर दिखाई दिए।

दो दिनों बाद, हुदैफ़ा को मारा गया,

अंदर, ऐसी जगह पर जिसे हम देख नहीं सकते थे।

हमने उसे एक गिलास पानी दिया, उसने फर्श पर फेंक दिया।

उसने बर्तन तोड़ दिए, टीवी का तार छीन लिया, अपने कपड़े काट लिए।

उसके लिए रोए हम। 

हमने उसके लिए प्रार्थना की।


कई दिनों बाद, वह लौट आया हमारे पास।


इज़राइली हमले की आठवीं सुबह, 

टैंक भीतर घुस आए और मैंने गोलियों की आवाज़ सुनी।

मैंने बैठक कमरे की खिड़की से झाँककर देखा 

(बैठक कक्ष अब रहने लायक नहीं था)

मेरे स्कूल के पास पहाड़ी पर मैंने एक टैंक देखा।

एक बुलडोजर टैंकों और सैनिकों के पीछे छुपने के लिए रेत के ढेर बना रहा था।

हमारे पास छुपने की कोई जगह नहीं थी।

हममें कमरों में रोशनी जलाने या ऊपर जाकर कबूतरों को दाना डालने या बगीचे में पौधों को पानी देने की हिम्मत नहीं थी।

हमारे पड़ोसियों ने कहा कि हम उनके साथ रह सकते हैं।

उनके पास तलघर था, हमारे घर से ज़्यादा सुरक्षित।

हमने अपने साथ कुछ कपड़े और भोजन और किताबें और रेडियो लिया।


इज़राइलियों ने हमारे पड़ोसी के नजदीक़ बेतरतीबी से गोले बरसाए।

यह सुरक्षित जगह नहीं, अब्बा और अम्मी ने सोचा।











कवि:- मोसाब अबू 


कुछ घंटों बाद,

हम तेजी से घर वापस लौटे कि प्लास्टिक थैलियों में कुछ और कपड़े ठूंस सकें।

मेरे पिता ने कहा हम शेख़ रदवान में बुआ के घर चल कर जायेंगे।

हमने ख़ुद को चालीस मिनट पैदल चलने के लिए तैयार किया।

ऐसा लगा जैसे हम चले जा रहे हैं सदियों से। 

हम मर चुके थे, और जीवित थे।


मौत हमारे ऊपर मंडरा रही थी -

अपाचे हेलीकाप्टर्स, एफ-16 और गूंजते ड्रोन।


हमने कुछ नहीं देखा सिवा ख़ाली मकानों और गतिहीन रेत के।

मैंने कुछ पेड़ों को देखा, जिनकी हरी पत्तियां पीली पड़ने लगी थीं।


मैंने देखा मेरे घर से 200 मीटर दूर बीच सड़क पर एक पीले रंग की मर्सिडीज आकर रुकी,

उसके चारों तरफ कोई हलचल नहीं थी।

इसकी छत पर और ट्रंक में कुछ खाना पकाने वाली गैस के कनस्तर और गेहूं के आटे की बोरियां रखी हुई थीं।

एक इज़राइली बम ने इसके ड्राइवर और अन्य लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

मरने वालों में एक मेरे दोस्त का भाई था। 

मोहम्मद अबू-अल-ज़िदयान,

उम्र - 18 साल

कुछ और राहगीर जो कार के नजदीक से गुजर रहे थे घायल पड़े थे।


कनस्तर फट गए थे, और गेहूं ज़मीन पर बिखर गया था।

ताज़ी रोटी लाल गर्म ख़ून के साथ सिंक गई, और खमीर के लिए रेत मिल गया। 


अगली बारी, एक रुकी हुई एम्बुलेंस की थी,

एक नर्स मारी गई।

एम्बुलेंस के पहियों के नजदीक 

अराफ़ात अब्देल-दायेन जो मेरी चौथी कक्षा के विज्ञान के शिक्षक थे,

मैंने उनका ख़ून देखा, और खोपड़ी का हिस्सा और बाल देखे।

बाद में मुझे किसी ने बताया कि वे दरअसल उस पीली मर्सिडीज़ में विस्फोट से घायल लोगों की मदद करने गए थे।


हमले में इज़राइलियों ने कील बम का इस्तेमाल किया था।

एक बच्चे के रूप में, मुझे नहीं पता था कीलें लोगों की जान ले सकती हैं।

वे तो बस निर्माण के काम में इस्तेमाल होती हैं, 

मैंने सोचा था।

मुझे मूर्ख बनाया गया था।


मेरे विज्ञान शिक्षक ने हमें कभी नहीं पढ़ाया 

किस तरह कील बम काम करते हैं,

यह उनकी कक्षा का हिस्सा नहीं था।

मेरे बेचारे शिक्षक, कोई नहीं आया उन्हें बचाने।


प्रिय शिक्षक, क्या आप जानते हैं कि आपके दफ़नाने के बाद, 

इज़रायलियों ने आपके परिवार के पाँच लोगों को कब्रिस्तान में मार डाला था?


ऐसा लगता है कि उन्हें आपका दफ़नाया जाना पसंद नहीं आया, 

और उन्हें आशा है कि अभ्यास से आपका परिवार सुधर सकता है।


उसी एम्बुलेंस हमले में, हत्या हुई मेरे नए पड़ोसी की।

घासन अबुल-अमरीन,

बमुश्किल 20।

(अब मैं उससे बड़ा हूँ जितना वह तब था)

घासन अपनी माँ के लिए रोटी खरीदने बाहर गया था।

वह घर वापस नहीं आया। परिवार चिंतित था, 

उन लोगों ने उसके नाम की घोषणा हुई या नहीं जानने के लिए रेडियो चालू किया।

इस तरह से हम अपने मृतकों के बारे में जान पाते हैं।


अस्पताल के एक सचिव ने जो परिवार को जानता था, 

उस रात फोन किया।

उसने मुर्दाघर में पड़े एक अज्ञात युवक के बारे में उन लोगों को बताया, 

उसने सोचा कि कहीं वह घासन तो नहीं था। 

घासन की मौत की ख़बर आई,

घासन नहीं।


मेरी 3-साल की बहन, सजा, मेरे यात्रा की साथी थी।

उसने मेरे हाथ कस कर पकड़ रखा था।

मेरे अब्बा-अम्मी और भाई-बहन पीछे चल रहे थे।

हमने उन्हें पीछे मुड़कर देखने की हिम्मत नहीं की।

उस वक्त मेरे सात भाई-बहन थे।


हम पीछे मुड़कर देखने और उन्हें गिनने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे क्योंकि क्या होता यदि वे कम होते? 

कुछ गोलियाँ हमारे पाँव के पास बरसे। 

काफी दूर एक पहाड़ी पर इज़राइली टैंक बैठे हुए थे।

लेकिन उनके लिए, उनके दायरे और गोला-बारूद के साथ, 

हम बेहद क़रीब थे।


हमारे जाने से पहले, 

मेरे अब्बा ने हमारे वापस आने तक मुर्गियों को बगीचे से खाने के लिए उनके दड़बे से बाहर निकाल दिया था।


उन्होंने कबूतरों को भी खुला छोड़ दिया,

भरोसा था उन्हें कि हमारे लौटते ही वे भी वापस लौट आएंगी।


यह जनवरी था जब हम बुआ के घर पर थे, 

जब हमने एक पवित्र दिन पर उपास किया था। 

मेरी अम्मी ने मेरी छोटी बहनों के नाश्ते के लिए अंडे और रोटी खरीदने के लिए मुझे पाँच शेकेल्स (चांदी का एक सिक्का) दिए। 

मैंने अपनी छोटी काली चप्पल पहनी।

मैंने अपनी टोपी वाली जैकेट के सामने वाली जेब में सिक्का रख लिया।

मैं ख़ुश नहीं था। 

मुझे उपास रखना पसंद नहीं था।


बमुश्किल 16,

मैं कुछ अंडे खरीदने के लिए किराने की दुकान के रास्ते पर था।

मुझे उबले अंडे पसंद हैं।


मैंने चौरास्ते पर इकट्ठा एक बड़ी भीड़ देखी।

मुझे जिज्ञासा हुई,

मैं उनकी तरफ गया।

छोटा होने के कारण, 

मैं भीड़ में कुछ नहीं देख सकता था।


एक पीली रोशनी मुझसे टकराई।

मेरा सिर आधा फट चुका है 

मैंने किसी तरह महसूस किया।

शायद थोड़ी और रोशनी मुझे ज़्यादा साफ़ देखने में मददगार होती, मैंने ख़ुद से कहा।


मेरी पलकों और टोपी वाली जैकेट पर ख़ून टपक रहा है।

वहाँ खड़े कुछ पलों में, मैंने ख़ुद से पूछा,

तुम इस तरह कैसे खड़े रह सकते हो जबकि तुम्हारा सिर कटा हुआ है।


मेरे चारों ओर लोग ज़मीन पर गिरे हुए हैं,

ऐसे जैसे पसीने की बूंदें गिरी हुई हों। 


मैं अब भी खड़ा हूँ। 

मेरे सामने तस्वीर ठहर जाती है।


बारूद की गंध मेरे फेफड़ों में रेंग रही है। 


एक पागल की तरह, मैं चारों ओर दौड़ता हूँ।

किसी ने मुझे मेरे बाएँ गाल और माथे पर बह रहे ख़ून पोंछने के लिए टिशू पेपर दिया।

मुझे इससे कहीं अधिक की ज़रूरत है।

यह केवल मेरे गालों और माथे की बात नहीं है,

धातु के टुकड़े मेरी गर्दन और कंधों में छेद कर चुके हैं।


पैरों में अब चप्पल नहीं है, 

पांच शेकेल्स गायब हो चुके हैं।

मैं चारों ओर देखता हूँ। 

लोग हमारी तरफ दौड़ रहे हैं।


एक गाड़ी हमारी तरफ आती है, 

और उस पर "एम्बुलेंस" लिखा है।

पर वहाँ कोई नर्स नहीं, 

प्राथमिक उपचार के साधन नहीं, 

न ही लेटने के लिए कोई बिस्तर ही है।


चलो छोड़ो, यह मेरे घायल होने का पहला मौका है।


मैं एम्बुलेंस के अंदर जाता हूँ।  

कोई मेरे बगल में एक लाश अंदर फेंकता है। 

देह जली हुई है, शायद सिरविहीन भी। 

मैं उसकी ओर नहीं देखता। 

भयंकर बदबू है। 

तुम जो कोई भी हो, मुझे माफ़ करना।











मृत्यु की गंध।


ताज़ी हवा के लिए मैं खिड़की खोल देता हूँ। 

एम्बुलेंस ड्राइवर मुझसे मेरा हाल नहीं पूछता।


अल-शिफ़ा अस्पताल में लोग आ जा रहे हैं।

मैं आपातकालीन कक्ष की ओर बढ़ता हूँ। 

मेरी तरफ कोई नहीं देखता। 

दूसरे घायल लोगों के पास मैं भी ज़मीन पर बैठ जाता हूँ।

कुछ ज़मीन पर ऐसे पड़े हैं जैसे माचिस की जली हुई तीलियाँ।


एक नर्स जो मेरी जाँच करती है,

मेरी गर्दन में छेद और चेहरे के घावों को देखती है।

वह मेरे पेट को छूकर देखती है और फिर देखती है कि कहीं कोई ऐसी चोट तो नहीं जिसे मैं महसूस नहीं कर पा रहा।


एक लिफ्ट मेरे स्ट्रेचर को ऊपर रेडीयोलॉजी रूम ले जाता है।

एक डॉक्टर मेरे घावों की मरहमपट्टी करता है।

कोई मेरी देखभाल कर रहा है।


एक घंटा बीतता है। 

अब्बा और भाई भीतर आते हैं।

मेरा भाई गर्दन में छेद की ओर इशारा करता है।

"तुम्हारी तर्जनी इस छेद में फिट बैठ सकती है। यह सांस नली से महज़ सेंटीमीटर्स दूर है।" 


यदि मैंने, जब रॉकेट गिरा था, अपना सिर पेड़ की शाख पर बैठी चिड़िया को देखने या पश्चिम से आते बादल के टुकड़ों को गिनने के लिए ज़रा सा मोड़ा होता,

हो सकता है धातु के टुकड़े मेरे गले को ही काट देते।

मैं अपनी पत्नी से शादी नहीं कर पाता, 

तीन बच्चों का पिता न बनता, 

जिनमें एक़ का जन्म अमेरिका में हुआ...


मेरे भाई ने मुझसे कहा :

विस्फोट की आवाज़ सुनकर और पता चला कि तुम अब तक घर नहीं लौटे, 

हमने मान लिया था कि तुम मर चुके हो।

हमने तुम्हें कब्रिस्तान में ढूढ़ना शुरू कर दिया था।


मैंने अपने चारों ओर देखा, 

रिश्तेदार मेरे बिस्तर को घेरकर खड़े थे।

मैं उन्हें बात करते हुए देखता हूँ। 

मैं कल्पना करता हूँ मेरी ताबूत को घेरकर उन्हें प्रार्थना करते हुए।

अंग्रेजी भाषा से अनुवाद - भास्कर

सभी चित्र:- निज़ार अल बद्र, सिरिया 


मित्रो

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सत्यनारायण पटेल 

9826091605



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