1
मेरी बाहों में
दो बच्चे रो रहे हैं
मेरे ऊपर
एक मकान का
मलबा पड़ा है।
2
कृपया हमारे बारे में भूल जाएँ
कृपया हमारे बारे में भूल जाएँ
भूल जाएँ हमारे नाम,
हमारे जीने की आज़ादी,
रुपहले पर्दे पर ख़ून के धब्बे,
तकिए के नीचे दबी चीखें,
भूख की प्रतिध्वनियां,
मलबे के नीचे दफ़्न हमारी देह,
हमारी सड़कों पर बहता ख़ून,
हमेशा बनी रहती ख़ून की गंध,
भूल जाएँ कि हम एक जैसे दिखते भी हैं या नहीं,
कि हम एक सी भाषा बोलते हैं या नहीं,
कि हमउम्र हैं हमारे बच्चे या नहीं
कि आप सो सकते हैं और हम नहीं,
कि आप सपनें देखते हैं और हम नहीं,
बस हमें भूल जाएँ।
क्या शुरुआती दुखों की गर्मियों में मरना बेहतर है या
विलंबित हारों की सर्दियों में?
क्या हमें हमारे संप्रदाय की कब्रों में दफ़नाया गया है?
या यूँ ही छोड़ दिया गया है आवारा कुत्तों के खाने के लिए?
हमें भूल जाएँ बस,
क्योंकि हमें भी आपके होने की याद नहीं ...
3
अगस्त का आसमान ख़ून से रंगा है,
मेरी पतली देह के बराबर एक गड्ढा है मेरे सामने
कहाँ चले गए मेरे दोस्त?
कहाँ चला गया मेरा घर?
मुझे युद्ध की हवा
उस गड्ढे की ओर धकेल रही है
आख़िर क्यों?
4
प्रचुरता और ज़रूरत के बीच,
ऊँची इमारतों और आश्रय के बीच,
शांति और भयंकर तूफान के बीच,
अँधेरे में खड़ी हैं हमारी धूमिल आशाएँ,
इन तमाम विरोधाभासों के बीच ग़ज़ा खड़ा है गरिमा और जबरदस्त लचीलापन लिए।
हे फ़ीनिक्स, उठो अपने उपचारात्मक स्वभाव के साथ
इस मुसीबतज़दा धरती के हिस्से को ढंक दो अपने पँखों से।
गलियाँ और सड़कें जो कभी जीवंत हुआ करती थीं,
अब वीरान और टूट फूट चुकी हैं,
बच्चों में डर गहरे बैठ चुका है,
माँएँ कमज़ोर होती यादों से चिपकी रहती हैं,
पिता अपनी कांपती घबराहट को छिपाते हैं।
फिर भी मैं एक बच्चे की तरह साये में खड़ा होता हूँ,
दुखों का अंत करने वाली एक सुबह की कामना करता हूँ।
परन्तु इस अनंत धारा में मिसाइलें
बिना चेतावनियों के
रात को और आकांक्षाओं को बाँट देती है।
आठसौ दिन लम्बी इस अथक, निष्ठुर यात्रा के बीच,
शहर की दुर्दशा से राहत के लिए कोई अलार्म नहीं बजता,
हे फ़ीनिक्स थोड़े से दुलार के साथ फिर उड़ो,
और संकटग्रस्त क्षेत्र पर शांति की चादर ओढ़ा दो।
तुम्हारी उड़ान में, हम एक नया दिन देखते हैं,
जहाँ ग़ज़ा धुन निराशा से मुक्त है।
ग़ज़ा पोएटिक सोसाइटी
अंग्रेजी भाषा से अनुवाद : भास्कर
बेहद मार्मिक
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