स्मृति संकल्प यात्रा:
विद्यार्थियों को ज़रूर पढ़ना चाहिए
कविता कृष्णपल्लवी
नौजवान भारत सभा, स्त्री मुक्ति लीग और बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा चलाये जा रहे ‘स्मृति संकल्प यात्रा, उत्तराखण्ड’ अभियान आज 9 मार्च को ऋषिकेश पहुँचा। ऋषिकेश में काले की ढाल बस्ती में नुक्कड़ सभा करने के साथ ही यहाँ के डिग्री कॉलेज में क्लास-क्लास जाकर छात्रों को सम्बोधित किया गया और व्यापक पर्चा वितरण किया गया।
छात्रों के बीच अपनी बात रखते हुए नौजवान भारत सभा के अपूर्व ने कहा कि, किसी भी देश का इतिहास उस देश के बहादुर नौजवान बेटे-बेटियों की कुर्बानियों के दम पर बनता है। हमारे देश की आज़ादी की लड़ाई में भी इस देश के नौजवान सबसे आगे थे। नौजवानों मेहनतकशों की अकूत कुर्बानियों के दम पर ही हमें बर्तानवी गुलामी से निजात मिली। लेकिन आज आज़ादी के 70 सालों के बाद भी नौजवानों, मेहनतकशों की क्या स्थित है? 30 करोड़ नौजवान बेरोजगारी में दर-दर की ठोकरें खाने को मज़बूर हैं। स्थाई नौकरियों की जगह संविदा और ठेके पर नियुक्तियाँ की जा रही हैं। शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकारों का निजीकरण किया जा रहा है। आज बढ़ती फीसों और घटती सीटों के साथ पूरे देश में शिक्षण संस्थानों की कमी की वजह से केवल 14 प्रतिशत छात्र आबादी ही स्नातक में दाखिला ले पा रही है। करोड़ों की आबादी आज भविष्य की अनिश्चितता में जी रही है। ऐसे दौर में हमें भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों की याददिहानी ज़रूरी है जब भगतसिंह ने विद्यार्थियों के नाम अपने संदेश में कहा था कि ‘‘विद्यार्थियों को ज़रूर पढ़ना चाहिए। अपने देश के इतिहास के साथ ही दुनिया के इतिहास का भी अध्ययन करना चाहिए। लेकिन साथ ही साथ उन्हें पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करना चाहिए और ज़रूरत हो तो मैदान में कूद पड़ना चाहिए।‘’
आज देश के हालात इस देश के नौजवानों से क्रांतिकारी सक्रियता की माँग कर रहे हैं। ऐसे में इस देश के नौजवानों को फिर से आगे आना होगा और बेहतर भविष्य और बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए भगतसिंह के बताये रास्ते पर चलना होगा।
अपनी फांसी से तीन दिन पहले भगतसिंह ने कहा था कि, ‘’हम नौजवानों से यह नहीं कहेंगे कि वे बम, बन्दूक और पिस्तौल उठायें। बल्कि नौजवानों को उससे भी अधिक कठिन काम करना है। उन्हें क्रांति का संदेश लेकर गांव-गांव, बस्ती-बस्ती, झुग्गियों-फैक्ट्री-कल-कारखानों, खेतों-खदानों तक जाना होगा और इस देश के करोड़ों मेहनतकशों तक क्रांति का संदेश पहुँचाना होगा।‘’
ऋषिकेश में इस अभियान के साथ ही इस यात्रा के पहले चरण का अंतिम पड़ाव पूरा हुआ। कल 10 मार्च से 13 मार्च तक यह यात्रा श्रीनगर और उसके आस-पास के इलाकों से अपने अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत करेगी।
विद्यार्थियों को ज़रूर पढ़ना चाहिए
कविता कृष्णपल्लवी
नौजवान भारत सभा, स्त्री मुक्ति लीग और बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा चलाये जा रहे ‘स्मृति संकल्प यात्रा, उत्तराखण्ड’ अभियान आज 9 मार्च को ऋषिकेश पहुँचा। ऋषिकेश में काले की ढाल बस्ती में नुक्कड़ सभा करने के साथ ही यहाँ के डिग्री कॉलेज में क्लास-क्लास जाकर छात्रों को सम्बोधित किया गया और व्यापक पर्चा वितरण किया गया।
कविता कृष्णपल्लवी |
छात्रों के बीच अपनी बात रखते हुए नौजवान भारत सभा के अपूर्व ने कहा कि, किसी भी देश का इतिहास उस देश के बहादुर नौजवान बेटे-बेटियों की कुर्बानियों के दम पर बनता है। हमारे देश की आज़ादी की लड़ाई में भी इस देश के नौजवान सबसे आगे थे। नौजवानों मेहनतकशों की अकूत कुर्बानियों के दम पर ही हमें बर्तानवी गुलामी से निजात मिली। लेकिन आज आज़ादी के 70 सालों के बाद भी नौजवानों, मेहनतकशों की क्या स्थित है? 30 करोड़ नौजवान बेरोजगारी में दर-दर की ठोकरें खाने को मज़बूर हैं। स्थाई नौकरियों की जगह संविदा और ठेके पर नियुक्तियाँ की जा रही हैं। शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकारों का निजीकरण किया जा रहा है। आज बढ़ती फीसों और घटती सीटों के साथ पूरे देश में शिक्षण संस्थानों की कमी की वजह से केवल 14 प्रतिशत छात्र आबादी ही स्नातक में दाखिला ले पा रही है। करोड़ों की आबादी आज भविष्य की अनिश्चितता में जी रही है। ऐसे दौर में हमें भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों की याददिहानी ज़रूरी है जब भगतसिंह ने विद्यार्थियों के नाम अपने संदेश में कहा था कि ‘‘विद्यार्थियों को ज़रूर पढ़ना चाहिए। अपने देश के इतिहास के साथ ही दुनिया के इतिहास का भी अध्ययन करना चाहिए। लेकिन साथ ही साथ उन्हें पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करना चाहिए और ज़रूरत हो तो मैदान में कूद पड़ना चाहिए।‘’
आज देश के हालात इस देश के नौजवानों से क्रांतिकारी सक्रियता की माँग कर रहे हैं। ऐसे में इस देश के नौजवानों को फिर से आगे आना होगा और बेहतर भविष्य और बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए भगतसिंह के बताये रास्ते पर चलना होगा।
अपनी फांसी से तीन दिन पहले भगतसिंह ने कहा था कि, ‘’हम नौजवानों से यह नहीं कहेंगे कि वे बम, बन्दूक और पिस्तौल उठायें। बल्कि नौजवानों को उससे भी अधिक कठिन काम करना है। उन्हें क्रांति का संदेश लेकर गांव-गांव, बस्ती-बस्ती, झुग्गियों-फैक्ट्री-कल-कारखानों, खेतों-खदानों तक जाना होगा और इस देश के करोड़ों मेहनतकशों तक क्रांति का संदेश पहुँचाना होगा।‘’
ऋषिकेश में इस अभियान के साथ ही इस यात्रा के पहले चरण का अंतिम पड़ाव पूरा हुआ। कल 10 मार्च से 13 मार्च तक यह यात्रा श्रीनगर और उसके आस-पास के इलाकों से अपने अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत करेगी।
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