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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

14 मार्च, 2018



RTI कार्यकर्ता को जान का ख़तरा

उदय चे

हरियाणा पुलिस की तानशाही और दमन के खिलाफ व दलित एक्टिविस्ट संजीव बालू के समर्थन में आवाज बुलंद करो।

गांव बालू में दलित RTI कार्यकर्ता संजीव को हरियाणा पुलिस इनकाउंटर करना चाहती हैं या झूठे मुकद्दमों में जेल में डालना चाहती है। कल हुई बालू की घटना से ये साफ जाहिर प्रतीत होता दिख रहा है। इससे पहले भी बालू गांव के ही दलित RTI कार्यकर्ता शिव कुमार बाबड़ को हरियाणा पुलिस राम रहीम के कारण हुए दंगो में आरोपी बना कर देश द्रोह में जेल में डाल चुकी हैं। जबकी शिव कुमार बाबड़ राम रहीम के खिलाफ  ही रहा है।


पोलिस की क्या दुश्मनी है जो बालू गांव के दलितों का दमन कर रही है।
संजीव और उसके साथी सामाजिक कार्यक्रता है। जो पिछले लंबे समय से दलितों, मजदूरों, किसानों, महिलाओ के लिए आवाज बुलंद करते रहे है। इन्होंने समय-समय पर सरकार और प्रशाशन के खिलाफ आवाज उठाई है।
अबकी बार जब पंचायत चुनाव हुए तो हरियाणा सरकार ने सरपंच पद के लिए 10 वीं पास होने की योग्यता अनिवार्य कर दी। गांव में जो सरपंच निर्वाचित हुआ उसने जो 10वीं पास का सर्टिफिकेट चुनाव आयोग को सबमिट करवाया वो सर्टिफिकेट जिस शिक्षा बोर्ड से बनवाया गया था। वो शिक्षा बोर्ड चुनाव आयोग द्वारा वैध शिक्षा बोर्ड की लिस्ट में नही था। सरपंच ने सर्टिफिकेट अवैध शिक्षा बोर्ड से बनवाया जो कानूनी जुर्म है। संजीव और उसके साथियों ने इस जुर्म के खिलाफ आवाज उठाई। सरपँच जिसने चुनाव आयोग को ग़ुमराह किया और झूठे कागजो के दम पर गांव का मुखिया बन बैठा। इस फर्जीवाड़े के खिलाफ आवाज उठाकर संजीव ओर उसके साथियों ने भारत सरकार की मद्दत की, सविधान कि मद्दत की
इस मद्दत के लिए होना तो ये चाहिए था कि हरियाणा सरकार संजीव ओर उसके साथियों को सम्मानित करती और पुरस्कार देती व सरपंच को बर्खास्त करके जेल में डाल देती।
लेकिन हरियाणा सरकार ने इसके विपरीत कार्य किया हरियाणा सरकार सरपंच के पक्ष में खड़ी है और संजीव की जान लेने पर तुली है।
वही दूसरी तरफ सरपंच जो जाट जाति से आता है। गांव में जाट जाति बहुमत में है। सरपंच ने सैंकड़ो लोगो नेतृत्व 1 मई 2017 को संजीव व उसके साथियों पर उनके घर मे घुस कर जानलेवा हमला किया, पूरी दलित बस्ती में तोड़फोड़ की, महिलाओं, बुजर्गो से मारपीट की गई और जातिसूचक गालियां दी गयी। इस हमले में संजीव की जान तो बच गयी लेकिन संजीव का हाथ तोड़ दिया गया।
जब इस मामले की पुलिस में शिकायत की गई तो पुलिस जिसका चरित्र दलित, मजदूर, महियाल विरोधी रहा है अपने चरित्र के अनुसार पुलिस सरपंच को गिरफ्तार करने की बजाए उसके पक्ष में खड़ी मिली। सरपंच और सरकार की इस मिलिभक्त के खिलाफ लड़ाई जारी रही। इसी दौरान गुरमीत राम रहीम को जेल के बाद पूरे हरियाणा में देर समर्थकों द्वारा विरोध की घटनाएं हुई। जिसमें हिंसा की भी घटनाएं हुई। हरियाणा पुलिस ने इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में शिव कुमार बाबड़ जो संजीव का ही साथी और दलित RTI एक्टिविस्ट है को देश द्रोह का आरोप लगाते हुए जेल में डाल दिया। शिव कुमार बाबड़ जिसका इन विरोध प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नही था। जो गुरमीत राम रहीम के खिलाफ आवाज उठाने वालों में रहा था। लेकिन पुलिस जो "रस्सी को सांप बना दे और साबित कर दे" के लिए मशहूर रही है। इस मामले में भी ये ही हुआ।
शिव कुमार जिसने भारत का सविधान को तोड़ने वाले सरपंच के खिलाफ आवाज उठाई। आज जेल में है। इस दौरान कितनी ही बार पुलिस द्वारा इन साथियो को भैस चोरी के मुक़दम्मे लगाने के नाम पर परेशान किया गया।
इतना दमन होने के बावजूद भी बालू गांव के साथी लड़ाई को जारी रखे हुए है।


कल जो घटना बालू गांव में घटित हुई ये भी इसी सत्ता के दमन का हिस्सा है। संजीव की दलित बस्ती में एक गाड़ी आकर रुकती है। जो सीधा संजीव के घर पर जाकर संजीव से मारपीट करती है उसके बाद उसको घसीटते हुए गाड़ी में डाल देती है। ये नजारा देख कर बस्ती के आदमी और महिलाएं भाग कर गाड़ी के पास आते है। संजीव का अपरहण करने वालो से वो पूछते हैं कि आप कौन हो। इस प्रकार से संजीव को उठा कर कहाँ ले जा रहे हो। लेकिन अपरहण करने वाले जो जींद CIA-2 से 3 ASI ओर 1 कांस्टेबल थे। जो वर्दी भी नही पहने हुए थे। न उनके साथ गांव का चौकीदार था, न गांव की पंचायत का सदस्य था और न ही उनके पास संजीव के खिलाफ कोई गिरफ्तारी वारंट था। बस्ती के ल9गो द्वारा उनसे सवाल पूछने पर वो भड़क गए और लोगो को गालियां देने लग गए। जब इस  व्यवहार का गांव के लोगो ने विरोध किया तो इन्होंने मारपीट शुरू कर दी व हवाई फायर भी किया। गांव के लोगो को अब भी मालूम नही था कि ये पुलिस कर्मचारी है। इनकी इस गुंडागर्दी के खिलाफ गांव वालों ने भी जवाब में इनके साथ मारपीट की, हमको पूरी आंशका है कि ये अवैध तरीके से संजीव को उठाकर मारने की साजिश थी। जो गांव वालों की जागरूकता से पुलिस की ये योजना फैल हो गयी। हरियाणा पुलिस अब निर्दोष गांव वालों पर झूठे मुकद्दमे दर्ज कर रही है। वैसे हरियाणा पुलिस का चरित्र रहा है रुपये लेकर या राजनीति के दबाव में काम करने का, रेहान internationl स्कूल, गुड़गांव के मामला तो सबके सामने है। किस प्रकार पुलिस ने एक परिचालक को मर्डर के झूठे केस में फंसाया था। सबूतों को मिटाया। ये ही पुलिस का चरित्र है।
हरियाणा जो दलित उत्पीड़न के लिए मशहूर रहा है। यहाँ हर दिन दलित उत्पीड़न और महिला उत्पीड़न की घटनाएं सामने आती रहती है। इन घटनाओं के खिलाफ जब हरियाणा के दलित और प्रगतिशील आवाम आवाज उठाता है तो हरियाणा सरकार उत्पीड़न करने वालो पर कार्यवाही करने की बजाए। उत्पीड़न करने वालो के पक्ष में और उत्पीड़ित हुए लोगो के खिलाफ खड़ी मिलती है। इससे पहले भी दलित एक्टिविस्ट और वकील रजत कल्सन पर भी पुलिस झूठे मुकद्दमे दर्ज कर चुकी है। भाटला दलित उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वाले अजय भाटला को भी अपरहण के झूठे मुकद्दमे में फंस चुकी है। देश व हरियाणा की सत्ता और पुलिस के इस दलित, महिला विरोधी रैवये के खिलाफ व रजत कल्सन व सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर सयुंक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेम्बली चिन्ता जाहिर कर चुकी है।
हम भी प्रगतिशल आवाम होने के नाते हरियाणा व देश के आवाम से अपील करते है कि सत्ता और पुलिस के इस दलित विरोधी रुख का विरोध करो। बालू गांव के लोगो के पक्ष में आवाज बुलन्ध करो।


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