भास्कर चौधुरी की कविताएं
कविताएँ
बच्चे
सोचता हूँ
जब कभी देखता हूँ
उन बच्चों को
क्या सोचते होंगे वे
मेरे बारे में
मैंने जब भी देखा उन्हें
मुस्कुरा कर
वे भी बस मुस्कुरा दिए
जब कभी भी हाथ हिलाया
हाथ हिलाया बच्चों ने भी
मैंने देखा गुस्से से
आंखें तरेरकर
वे देखने लगे मेमने की तरह ..
सुनो तो
सुनो तो
क्योंकि तुम मेरे हो
क्योंकि तुमने कहा था कभी
प्रेम करते हो तुम मुझसे
अपने प्राणों से अधिक
सुनो तो
क्योंकि तुम मेरे बच्चों के पिता हो
क्योंकि तुमने भी सात फेरे लिए थे मेरे साथ
मेरा हाथ अपने गरम हाथों में लेकर तुमने
बुदबुदाया था
पंडित जी के पीछे-पीछे
कि खयाल रखोगे मेरा
अपने प्राणों से ज़्यादा
सुनोगे मेरी अच्छी बुरी
सुनोगे मेरा चाहा अनचाहा
क्या हुआ तुम्हें
इन दिनों जबकि मुझे तुम्हारी
सबसे ज़्यादा ज़रूरत है
तुमने मुझे सुनना छोड़ दिया है
सुनो तो
लोगों को कहते हुए सुना है मैंने
कि तुम अच्छे कवि हो
और इंसान भी अच्छे हो
कि तुम अच्छा सुनते भी हो
सुनो तो... !!
मनुष्य
तुम्हारे चेहरे में जो
उदासी का रंग है
ऐसा बहुत कम होता है
उन्हें
जब मैं
पढ़ पाता हूँ
हाँ जो रंग
खुशियों के संग हैं
जो रंग ताज़ा हैं
जो अभी फीके नहीं पड़े हैं
अक़्सर मैं उन्हें
ताड़ लेता हूँ ..
ऐसा कब होगा
मैं जब
इन रंगों के भेद को पढ़ पाउंगा
एक साधारण सा कवि से
अच्छा मनुष्य बन पाउंगा ...
कविता
कितनी बड़ी है दुनिया यह
यह समुद्र
यह पहाड़
इतना पानी
इतनी मिट्टी
अथाह और अनंत
जाने क्या क्या
और कितना कुछ
समा जाए इनमें
इस दुनिया में
बाप रे बाप
पर
देखो तो उस कविता को
कितनी जगह है उसमें
समो लेने की
पूरी की पूरी दुनिया !
समुद्र !!
पहाड़ !!!
धुंध
धुंध सामने हो आंखों के तो
दिखाई नहीं देती हैं
गगनचुंबी इमारतें
इमारतों के सामने खड़ी
आधी-पूरी झोपड़ियाँ
दंगों में जले सरकारी दफ़तर
स्कूल और कॉलेज
दंगो के पीछे की राजनीति
राजनीति सरहदों पर और
सरहदों के भीतर
दिखाई नहीं देती हैं
धुंध हो सामने तो
कुछ भी साफ नहीं होता
चाहती हैं सरकारें
छाई रहे धुंध
पड़ी रहे पट्टी हमारी
आँखों पर !!
समाचार
प्रधानमंत्री का भाषण
मंदिर का उद्घाटन
हिंदू
और मुस्लिम
राम मंदिर
बाबरी मस्ज़िद
गड़ा हुआ धन
सेक्स
बाबा
कोहली
प्रेम
ख़ून
बलात्कार
नक्षत्र
तारे
अंगूठियां
कोरिया
किम जोंग-उन
यही है
कुल जमा
आज का समाचार
चलो चाटें
टीवी और अखबार !!
भास्कर चौधुरी
भास्कर चौधुरी |
कविताएँ
बच्चे
सोचता हूँ
जब कभी देखता हूँ
उन बच्चों को
क्या सोचते होंगे वे
मेरे बारे में
मैंने जब भी देखा उन्हें
मुस्कुरा कर
वे भी बस मुस्कुरा दिए
जब कभी भी हाथ हिलाया
हाथ हिलाया बच्चों ने भी
मैंने देखा गुस्से से
आंखें तरेरकर
वे देखने लगे मेमने की तरह ..
सुनो तो
सुनो तो
क्योंकि तुम मेरे हो
क्योंकि तुमने कहा था कभी
प्रेम करते हो तुम मुझसे
अपने प्राणों से अधिक
सुनो तो
क्योंकि तुम मेरे बच्चों के पिता हो
क्योंकि तुमने भी सात फेरे लिए थे मेरे साथ
मेरा हाथ अपने गरम हाथों में लेकर तुमने
बुदबुदाया था
पंडित जी के पीछे-पीछे
कि खयाल रखोगे मेरा
अपने प्राणों से ज़्यादा
सुनोगे मेरी अच्छी बुरी
सुनोगे मेरा चाहा अनचाहा
क्या हुआ तुम्हें
इन दिनों जबकि मुझे तुम्हारी
सबसे ज़्यादा ज़रूरत है
तुमने मुझे सुनना छोड़ दिया है
सुनो तो
लोगों को कहते हुए सुना है मैंने
कि तुम अच्छे कवि हो
और इंसान भी अच्छे हो
कि तुम अच्छा सुनते भी हो
सुनो तो... !!
मनुष्य
तुम्हारे चेहरे में जो
उदासी का रंग है
ऐसा बहुत कम होता है
उन्हें
जब मैं
पढ़ पाता हूँ
हाँ जो रंग
खुशियों के संग हैं
जो रंग ताज़ा हैं
जो अभी फीके नहीं पड़े हैं
अक़्सर मैं उन्हें
ताड़ लेता हूँ ..
ऐसा कब होगा
मैं जब
इन रंगों के भेद को पढ़ पाउंगा
एक साधारण सा कवि से
अच्छा मनुष्य बन पाउंगा ...
कविता
कितनी बड़ी है दुनिया यह
यह समुद्र
यह पहाड़
इतना पानी
इतनी मिट्टी
अथाह और अनंत
जाने क्या क्या
और कितना कुछ
समा जाए इनमें
इस दुनिया में
बाप रे बाप
पर
देखो तो उस कविता को
कितनी जगह है उसमें
समो लेने की
पूरी की पूरी दुनिया !
समुद्र !!
पहाड़ !!!
धुंध
धुंध सामने हो आंखों के तो
दिखाई नहीं देती हैं
गगनचुंबी इमारतें
इमारतों के सामने खड़ी
आधी-पूरी झोपड़ियाँ
दंगों में जले सरकारी दफ़तर
स्कूल और कॉलेज
दंगो के पीछे की राजनीति
राजनीति सरहदों पर और
सरहदों के भीतर
दिखाई नहीं देती हैं
धुंध हो सामने तो
कुछ भी साफ नहीं होता
चाहती हैं सरकारें
छाई रहे धुंध
पड़ी रहे पट्टी हमारी
आँखों पर !!
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प्रधानमंत्री का भाषण
मंदिर का उद्घाटन
हिंदू
और मुस्लिम
राम मंदिर
बाबरी मस्ज़िद
गड़ा हुआ धन
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बाबा
कोहली
प्रेम
ख़ून
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नक्षत्र
तारे
अंगूठियां
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किम जोंग-उन
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