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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

22 नवंबर, 2017

तथ्यान्वेषी रिपोर्ट:  गाँव श्रीनगर में दलित बस्ती पर हमले का सच

बलिया (उ.प्र.) से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर बैरिया थाना क्षेत्र में श्रीनगर गाँव है| श्रीनगर गाँव में दलित बस्ती के पास एक छोटा सा अद्भुत बाबा का मंदिर है, मंदिर के बगल में एक पुराने बंद पड़े स्कूल का कमरा है| जांच टीम पहले दलित बस्ती में गयी, जहाँ के फूलनाथ ने बताया कि इस कमरे की छत पर 9 नवम्बर 2017 को दोपहर 2 बजे पांच दलित लड़के फूलनाथ उम्र 27 वर्ष, सूरी उम्र 19 वर्ष, लालबाबू उम्र 21 वर्ष, राहुल उम्र 17 वर्ष और शैलेन्द्र उम्र 21 वर्ष मौजूद थे| इसी समय तीन राजपूत लड़के रवि सिंह उम्र 25 वर्ष, सोनू सिंह उम्र 22 वर्ष और विशाल सिंह उम्र 24 वर्ष आये और दलितों को बोले कि उस जगह से चले जाएँ|
दलित लड़के कुछ देर बैठे रहे| फिर रवि सिंह ने गाली गलौच करते हुए कहा कि “भोसड़ी के चमार, यह मंदिर तुम्हारे बाप का नहीं है, चले जाओ यहाँ से”| दलित लड़के मंदिर की छत से नीचे उतर गए| रवि सिंह और उनके दोस्तों ने कमरे की छत पर कुछ देर गांजा पीने के बाद नीचे उतर कर कहा कि “तुम सब को आज हम उठवा लेंगे, जाकर अपनी माँ की साड़ी में छुप जाओ”| फिर वे चले गए| दलित लड़कों ने इसे सामान्य तौर पर लिया और किसी को कुछ बताया नहीं|
जांच टीम से दलित बस्ती के लोगों से बातचीत के दौरान बस्ती के कई लोग मौजूद थे| वहां बसपा के स्थानीय नेता लल्लन राम ने बताया की एक घंटे बाद गाँव की पश्चिम दिशा से 25-30 की संख्या में राजपूत आये| इनके सिर पर भगवा गमछे बंधे थे| राजपूत तलवार, गुप्ती, रिवाल्वर, छूड़ा, डंडे, हॉकी जैसे हथियार लिए हुए थे| वे अदभूत बाबा के मंदिर पर आये, और वहाँ पूजा किया| माथे और तलवारों पर टीका किया, जय दुर्गा और जय श्री राम के नारे लगाये| भद्दी और जातिसूचक गाली गलौच करते हुए दलित बस्ती पर हमला कर दिया| इस समय बस्ती के ज्यादातर लोग मजदूरी करने गए हुए थे| जो लोग मिले उन्हें मारा पीटा गया|
फूलनाथ ने बताया कि सबसे पहले लालबाबू पर लाठी और हॉकी से हमला किया गया है| फिर लल्लन राम जो बसपा के स्थानीय नेता है बातचीत के उद्देश्य उनकी तरफ गए| लल्लन राम के सिर पर तलवार से हमला किया गया, गिर जाने पर डंडे, हॉकी से मारा गया, जिससे पेट आर गहरी चोट लगी और दोनों हाथ टूट गए| फिर हमलावर रेलवे लाइन के पास गए, जहाँ से पत्थर बाजी करने लगे| लल्लन राम को उठाने आये लोगो को पत्थरों से चोट लगी|


फूलनाथ ने बताया कि गाँव के पूरब में लक्ष्मण मठ पर करीब 100 की संख्या में चार उच्च जातियां भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत और गोस्वामी का एक दूसरा गुट जमा था, जिसने दलित बस्ती पर दूसरी तरफ से हमला किया| दलितों को घर में घुस कर मारा पीटा गया| कुछ झोपडिया उजाड़ी गयी और आग लगाने का प्रयास किया गया| आग को सवर्णों द्वारा खुद ही बुझा दिया गया| झगडा समाप्त होने पर रवि सिंह, विशाल सिंह और अन्य यह धमकी देकर गए कि “दो लोग अभी बाकी हैं, हम दोबारा आयेंगे”| यह सब होने के एक घंटे बाद पुलिस और विधायक सुरेन्द्र सिंह गाँव में आये|
FIR और पुलिस का रवैय्या: 9 नवम्बर की शाम को ही SC/ST अट्रोसिटी  एक्ट के तहत 19 लोगों पर मुक़दमा दर्ज किया गया| दलितों का आरोप है कि FIR कमजोर बनाया गया है| इसमें हमलों के दौरान तलवार और बंदूकों के इस्तेमाल को शामिल नहीं किया गया है| पुलिस द्वारा बताई गयी कहानी मानने के लिए मजबूर किया गया है| FIR को देखकर जांच टीम ने यह पाया कि हमले को पैर पर बताया गया है और तलवार से हमले का जिक्र नहीं किया गया है| धारा 307 और 308 लगाये जाने के बजाये मुकदमे में कमजोर धाराएँ जैसे 147, 148, 149, 452, 323, 504   लगायी गयी हैं|
SC/ST अट्रोसिटी एक्ट लगने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारियां नहीं हुईं है| एक व्यक्ति रवि सिंह ने खुद गिरफ़्तारी दी है| लल्लन राम का कहना है कि भाजपा सांसद भरत सिंह और भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह ने थाने में दबिश बनायीं है कि कोई गिरफ़्तारी नहीं होनी चाहिए| इसीलिए गिरफ्तारियां नहीं हो रही है|
मेडिकल रिपोर्ट: नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, रेवती में हमले के दिन एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था| लल्लन राम का आरोप है कि उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था| BSP नेता ओमकार चौधरी के आने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सोनबरसा में मेडिकल जांच हुई| गंभीर रूप से घायल लल्लन राम को जिला अस्पताल भेजा गया|
17 नवम्बर को जांच टीम वर्मा बस्ती में गयी जहाँ किसी ने बात नहीं की| सवर्ण जातियों से तनावपूर्ण और खौफजदा माहौल होने की वजह से बातचीत नहीं हो पाई| पुलिस से भी जांच टीम बात नहीं कर पाई| लेकिन पुलिस द्वारा लिखित FIR गाँव के लोगों द्वारा जांच टीम ने प्राप्त किया|

चोटों का विवरण:
इस जातीय हिंसा में कुल 13 लोगों को छोटी बड़ी चोटें आई है| पीड़ितों द्वारा बताया गया विवरण इस प्रकार है-
लल्लन राम- लल्लन राम सिर पर चोट है, तलवार से हमला किया गया है| दोनों हाथ टूटे हैं| पेट में गहरी चोटे हैं| पैर में कटने के निशान है|
लालबाबू- हॉकी और डंडे से मारा गया, तलवार से हमला किया गया|
गीता देवी – तीन बार तलवार से हमला किया गया, पत्थर से चोट लगी है|
फूलनाथ- लाठी और डंडे से मारा गया|
अस्पति देवी- पेट और कमर पर पत्थर से चोट|
कलावती देवी- पत्थर से चोट|
बैजनाथ- पत्थर से चोट|
लगनी देवी- पत्थर से चोट|
कंचन देवी- पत्थर से चोट|
लक्ष्मण राम- छाती पर चोट, धक्का देकर गिराया गया|
विद्यावती देवी- पैर पर पत्थर से चोट|
रूदल राम- कमर पर चोट|
अशोक राम- हॉकी और पत्थर से पेट और पैर में चोट|

निष्कर्ष-
सहारनपुर, खगडिया और देश के अन्य हिस्सों में हो रहे दलित उत्पीडन की ही कड़ी में ही, दलितों पर हुए इस हमले को देखा जाना चाहिए| यह हमला सिर्फ इसीलिए हुआ कि वे दलित हैं, और सवर्ण जाति के लोग ग्रामीण इलाकों में अपना वर्चस्व बनाये रखना चाहते हैं|
पुलिस का देर से आना, FIR को कमजोर किया जाना, मेडिकल जांच सही ढंग से ना होना, मीडिया द्वारा आधी अधूरी खबरें देना और FIR के बाद भी पुलिस द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं किया जाना यह दर्शाता है की इस घटना में दलितों के साथ सम्पूर्ण राज्यतंत्र ने शत्रु जैसा व्यव्हार किया है|
दलित उत्पीडन की अन्य सभी घटनाओं की तरह बलिया की यह घटना भी बताती है कि सवर्ण जातियां हथियार बंद हैं और मनुवादी हिंदु फासीवाद का उभार इसको और भी हिंसक बना रहा है|
गाँव में अभी भी खौफ का माहौल है और दोबारा ऐसा हमला होने की आशंका बनी हुई है|
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नोट:
यह रिपोर्ट ग्राम विकास मंच से विनोद मित्रा और मनोज, जाति उन्मूलन मोर्चा (CAF) से हेमंत कुमार और जनमुक्ति मोर्चा से राजेश द्वारा 16-17 नवम्बर 2017 को किये गए श्रीनगर गाँव के दौरे के आधार पर बनाई गयी है|

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