कभी-कभार दो
फ्रांसिस वाटकिंस हार्पर और उनकी बिसरी हुयी विरासत का पूर्वावलोकन
विपिन चौधरी
अफ़्रीकी-अमेरिकी समाज में व्याप्त गुलामी से मुक्ति के दौर की सबसे प्रसिद्ध लेखिका, फ्रांसिस एलेन वॉटकेंस हार्पर का जन्म, 24 सितंबर 1825 को बाल्टीमोर, मैरिलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ. वर्ष 1828 में तीन वर्ष की उम्र में माँ का निधन के बाद, फ्रांसिस की मामी-मामा ने उनका पालन-पोषण किया। फ्रांसिस के मामा प्रमुख अश्वेत शिक्षाविद थे, फ्रांसिस ने चौदह वर्ष तक उनकी अकादमी 'नेग्रो यूथ' से ही शिक्षा अर्जित की। 1850 में वह 'यूनियन सेमिनरी' में सिलाई सिखाने वाली पहली अश्वेत स्त्री बनी। उन्होंने एक पुस्तक-व्यापारी के घर में भी काम किया वहीँ पर वे किताबों और लेखन के प्रति आकर्षित हुयी जिसके फलस्वरूप बीस साल की उम्र में 'फारेस्ट लीव्स' शीर्षक से उनका पहला कविता- संग्रह प्रकाशित हुआ. कुछ समय तक वे बाल्टिमोर और पेनसिलवेनिया में शिक्षिका भी रही
पुर्नर्निर्माण कार्यकर्ता फ्रांसिस एलेन वाटकिंस हार्पर
शिक्षिका की नौकरी छोड़ने के बाद फ्रांसिस 1853 में 'अमेरिकन एंटी-स्लेवरी सोसाइटी' में शामिल हुयी और उनकी प्रसिद्धि एक राजनीतिक और सामाजिक वक्ता के रूप में होने लगी. सोसाइटी के अंतर्गत, उन्होंने छह हफ्तों के भीतर बीस शहरों की यात्रा कर,इक्कतीस व्याख्यान दिए. उन्नीसवीं शताब्दी में अफ्रीकी-अमेरिकी आजादी और साक्षरता के लिए पूरी निष्ठा व गंभीरता से किये गए अन्वेषण में योगदान देते हुए उन्होंने अश्वेत और श्वेत दोनों लोगों के मताधिकार संगठनों के लिए काम किया. फ्रांसिस ने भूमिगत रेलमार्ग के माध्यम से गुलामों को स्वतंत्र होने में मदद की. गृह-युद्ध में विजय के पश्चात, अमेरिका में चार मिलियन गुलामों को मुक्त किया गया। और फिर पुनर्निर्माण का समय यानी 1865 से 1877 के दौरान, दक्षिण की यात्रा कर वहां कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे मुक्त हुए परिवारों की मदद कर उन्हें नए परिवेश से सामंजस्य स्थापित करवाने का महत्वपूर्ण कार्य किया.
नस्ल-विरोधी स्त्री अधिकारों की पक्षधर
1866 में 'राष्ट्रीय महिला अधिकार सम्मेलन' में दिए गए अपने भाषण में अश्वेत महिलाओं के अधिकारों के लिए पुरज़ोर आवाज़ उठायी।फ्रांसिस हार्पर का अधिक ध्यान, राजनीति, अफ़्रीकी-अमेरिकी गुलामी और पुनर्निर्माण पर था, मगर इन सभी मुद्दों के साथ प्रबल नारीवादी की अपनी पहचान को भी कायम रखा. संयुक्त राज्य अमेरिका में सामाजिक सक्रियता और राजनीतिक सुधार के विकसित होने का वह प्रगतिशील युग, जिसकी अवधि 1890 से 1920 के दशक तक थी के दौरान लगातार लिखते और भाषण देते हुए उन्होंने नस्लवाद विरोधी रुख बनाए रखा और श्वेत नारीवादी राजनीति में नस्लवाद की मौजूदगी की दृढ़ता से आलोचना की. श्वेत स्त्रियों को 1920 में वोट देने का अधिकार मिल गया था, लेकिन अश्वेत समाज को स्वतंत्र रूप से वोट देने का अधिकार 1965 नहीं मिल पाया था. फ्रांसिस 1896 में स्थापित अमेरिकी संगठन 'नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ कलर्ड विमेंस' की सह-संस्थापक भी थी.
कवयित्री फ्रांसिस एलेन हार्पर
उन्नीसवीं शताब्दी की सबसे सफल अफ्रीकन-अमेरिकन रचनाकारों में से एक, फ्रांसिस एलेन वॉटकेस, 18 वीं शताब्दी के सबसे प्रथम अश्वेत अमेरिकी कवयित्री, फिलीस व्हीट्ली और उन्नीसवीं सदी के अंत में लोकप्रिय अश्वेत कवि लॉरेंस डैनबार के बीच की कड़ी बनी. उनके पहले दो संग्रहों की 50,000 प्रतियां बिकी और पहली प्रति के बीस संस्करण प्रकाशित हुए। फ्रांसिस वाटकिंस हार्पर ने कविता की पारंपरिक तकनीक और भाषा के साथ कविता की मौखिक परंपरा और अन्य उपकरणों का प्रयोग कर, गुलामी की कठिनाइयों और अफ़्रीकी-अमेरिकी समाज के भयंकर परिष्कार को अपनी कविताओं का प्रमुख विषय बनाया . आज भी उनकी कविता आध्यात्मिक शक्ति और अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों की सांस्कृतिक दृढ़ता का स्वरुप मानी जाती है. अपने समकालीन रचनाकारों के साथ बीसवीं शताब्दी की लेखिकाओं, ज़ोरा नीले हर्स्टन और टोनी मॉरिसन के साथ भी उनका लेखन एक सामंजस्य स्थापित करता है.
फ्रांसिस वाटकिंस हार्पर की बर्खास्त विरासत का पुनरीक्षण
फ्रांसिस हार्पर को पुनर्निर्माण कार्यकर्ता, निग्रह संबंधी आंदोलनों, स्त्री-शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली अग्रणी अश्वेत आवाज के रूप में जाना जाता है और शायद यही कारण है कि अमेरिकी गृहयुद्ध से पहले और उस दौरान किये गए उनके गंभीर प्रयासों के चलते,
फ्रांसिस हार्पर का कवि- व्यक्तित्व खुल कर सामने नहीं आ सका.पीढ़ियों तक संरक्षित उनके काम और उनकी राजनीतिक सूक्षमदृष्टि को हाल ही में पहचाना गया जब अमेरिकी प्रकाशक और अफ्रीकन-अमेरिकन कविता में महत्वपूर्ण नाम, मलबा जॉयस बोयड ने 1994 में प्रकाशित अपनी पुस्तक, डिस्कार्डेड लेगेसी : पॉलिटिक्स & पोएटिक्स इन द लाइफ ऑफ़ फ्रांसिस ई. डब्लू. हार्पर, 1825-1911,1 में फ्रांसिस हार्पर की प्रतिभा पर प्रकाश डालते हुए जाति, लिंग, और वर्ग के मामलों और व्यक्तिगत और सामाजिक अन्याय के मुद्दों पर उनके संघर्षों और उनके रेडिकलइज़म का पता लगाया कुछ दूसरे विद्धवानों जिन्होंने हाल ही में फ्रांसिस हार्पर के काम को रेखांकित किया उनमें, ‘लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज कॉलेज’ में प्रोफेसर मारयेममा ग्रैहम, बीसवीं शताब्दी से पूर्व के अफ्रीकी अमेरिकी समाज की विशेषज्ञ ,फ्रांसिस स्मिथ फॉस्टर, जॉन आर. शेर्मन,3 कार्ला पेटर्सन का नाम लिया जा सकता है. अपने जीवन काल में फ्रांसिस काफी प्रसिद्ध थी, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनके भुला दिया गया था । यह दुखद हैं कि बीसवीं शताब्दी के साहित्यिक आलोचना में फ्रांसिस एलेन वाटकिंस हार्पर का नाम सिरे से नदारद था. फ्रांसिस कई कारणों से याद रखी जानी चाहिए, मशहूर उन्मूलनकार जॉन ब्राउन को गुलामी की पीड़ा पर लिखे पत्र के लिए, उन्होंने वर्ष 1858 में एक श्वेत व्यक्ति के लिए अपनी सीट छोड़ने से इनकार कर दिया. सदियों से फ्रांसिस एलेन के काम को जिस तरह अनदेखा किया गया उसकी भरपाई न केवल अफ़्रीकी-अमेरिकी समाज बल्कि स्त्री-अध्ययन में रूचि रखने वालों को करनी होगी।
1.
एलिज़ा हर्रिस
बाण से निकले हिरण के बच्चे सी,
भौचक्की और जंगली एक स्त्री
अपने बच्चे को थामे
हमारे सामने से निकल गई
उसकी आंखों में थी निराशा की कालिमा
और भौहों पर दुःख और चिंता की छांया
वह नदी के नजदीक थी – किनारे के करीब-करीब पहुंची
उसे कोई जोखिम नहीं लगा, वह सोचने के लिए नहीं रुकी
क्योंकि वह एक मां है- उसका बच्चा एक गुलाम
और वह बच्चे को मुक्ति देगी
या उसके लिए खोजेगी एक कब्र
उसकी यह सोच हमें परेशान करती है, वह निर्दोष चेहरा-
अपने स्वरुप में दुर्बल, अपनी शालीनता में ईमानदार
घोड़े की चाल और खाड़ी के शिकारी कुत्ते सी
पीड़ा व सूजन देने वाली बेड़ियाँ चल रही थी उसके पीछे
नाउम्मीदी से घबराई हुई और दुःख से मजबूत वह
जैसे खाई में लगा दी हो छलांग जैसे वहां से ली हो जम्हाई
मृत्यु की तूफानी चीख और विस्फोट का धमाका
लेकिन खतरा गुज़र जाने तक उसे खतरे का आभास नहीं हुआ
ओह! मैं अपने गौरवशाली देश की शर्मिंदगी का ज़िक्र कैसे करूं?
उसकी महिमा पर लगे कलंक को अपना नाम कैसे दूँ?
उसके ध्वज को उपहास की तरंगों में कैसे कहूं
तारों से भरा उसका ध्वज- लाखों गुलाम?
कैसे कहूं अधिकारविहीन को यातना दी जा सकती है और उसका आखेट किया जा सकता है
एक स्त्री जिसका अपराध उसकी त्वचा का रंग है?
जंगल की गहराई
निराशा की झटके और खाड़ी के शिकारी कुत्ते चारों तरफ प्रतिध्वनि कैसे दे सकते हैं
बर्फ पर उसके कदम और उसके बाँहों में उसका शिशु
खतरा भयभीत था, मार्ग जंगली
मगर स्वर्ग से मिली मदद से वह एक खुले तट पर पहुंची
जहां इंसानियत के दोस्त ने अपना दरवाजा खोल दिया
तो नाजुक और प्यारा, बहुत डरा हुआ पीला,
लिली के फूल की तरह जो हवा के झोंके से झुक जाता है,
उसके हृदय की आहों और उसके बालों को बिखरने से बचाओं
तुमने उसे डर और निराशा की प्रतिमूर्ति समझा होगा
अपने हृदय के नज़दीक जो व्यथा उसने दबाई हुयी है
उसके हृदय का जीवन, अपनी गोद का वह बच्चा
ओह! उस सिमटी हुयी कोमलता से प्रेम हो सकता है
भगदड़ के खतरों से उसकी आत्मा को मजबूत करता हुआ
लेकिन वह स्वतंत्र है! -हाँ, उस देश से स्वतंत्र जहां
उत्पीड़न के हाथों गुलाम को
कब्र में आराम करना चाहिए;
जहां बंधन और यातना, जहां चाबुक और जंजीरें
हमारे ध्वज़ पर अविश्वसनीय दाग टंके हुए हैं
खोजीकुत्तों उसकी गंध को सूंघने में विफल रहे हैं
शिकारी ने खोजकर लूट लिया है अपने शिकार को परास्त कर दिया है
जंजीरों की झनझनाहट की भयंकर आवाज़और अपशब्द बोलते हुए
स्वतंत्रता के मैदानों पर अजीब तरह से विरोध करते हुए
प्रेम और आनंद की पूर्णता के उत्साह के साथ,
उसने एक माँ का प्यारा सा चुंबन उसके माथे पर अंकित कर दिया
ओह! गरीबी, खतरा और मृत्यु
वह उस बच्चे के लिए बहादुर बन सकती है,
उसका प्यारा शिशु अब नहीं रहा
एक गुलाम
2.
गुलाम मां
क्या तुमने
हवा में उठती हुयी अधीर चीख सुनी है
ऐसा प्रतीत होता है जैसे एक भारी दिल
निराशा में टूट रहा है
तुमने उन हाथों को संताप से आपस में गुंथे हुए देखा
झुका हुआ और निर्बल सिर
उस झुके हुए कमज़ोर रूप को देखकर सिहरन होती है
दुख और भय की वह आकृति ?
तुमने उस उदास, झुकी हुई आंखों को देखा ?
उसकी हर उचटती निगाह में दर्द था,
तीखी पीड़ा का तूफान से जैसे
मस्तिष्क के ज़रिये झाड़-पौंछ हो रही हो
वह डर के साथ पीली पड़ी हुयी एक मां है
उसका लड़का उसकी ओर लिपटा हुआ है
और वह उसका नहीं है, हालाँकि उसका लहू
उसकी धमनियों के जरिए दौड़ लगा रहा है
वह उसका बेटा नहीं, क्रूर हाथों के लिए है
अभद्रता से उसे अलग किया जा सकता है
कुटुंब के प्रेम का एकमात्र सेहरा
जो अपनी माँ के टूटे हुए ह्रदय को जोड़ सकता है
बच्चे का प्रेम एक सुखद रोशनी जैसा है
जो उसके रास्तों पर मुस्कराहट बिछा देता है
एक फव्वारा जिसकी बौछारे
जीवन के जंगली रेगिस्तान के बीच
हमेशा नयी रहती हैं
बच्चे के सबसे हौले शब्द का एक सुर होता है
जो माँ के ह्रदय के चारों ओर संगीत रचता है
उनके जीवन की छोटी सी नदी आपस में मिली हुयी है
ओह, ईश्वर! क्या माँ और बेटा अलग हो जायेंगे?
वे माँ की बाहों के घेरों से बच्चे को छीनते हैं
उसका आखिरी और स्नेह से भरा हुआ आलिंगन
ओह! माँ की उदास आंखें अब बच्चे के शोकपूर्ण चेहरे पर अधिक देर तक नहीं टिकी रह सकती
कोई आश्चर्य नहीं, जब, ये तीखी चीख
हवा को परेशान कर रही है
वह एक मां है और उसका ह्रदय
निराशा में चूरचूर हो रहा है
3.
दासों की नीलामी
नीलामी शुरू हो गई है
जवान लड़कियां,
अपनी दुर्दशा से हताश
खड़ी हैं इधर
भीतर गहरी दबी निराशा से
उनके दुःख और संकट का पता मिलता है
माताएं बहती आँखों से खड़ी देख रही हैं
अपने प्रिय बच्चों की नीलामी हो
उनके करुण रुदन से सूनापन टपक रहा है
शोषक स्वर्ण के लिए लगा रहे है उनका दांव
और स्त्रियां
प्रेम और सच्चाई के साथ
अपने युवावस्था के पति को इस पीड़ा से गुज़रते हुए देख रही हैं
देर तक ठहरा हुआ उनके स्याह रंग को
चित्रित या वर्णित नहीं किया जा सकता
और पुरुष, जिनका एकमात्र अपराध
ईश्वर के हाथों की छाप के रूप में
उनकी त्वचा का कालापन है
कमजोर और सिकुड़े हुए बच्चे भी
शामिल हैं शोक से डूबे इस दल में
अरे सुनो, जिसने तुम्हारे प्रेम को सुन्न कर दिया है
और जिसकी बेजान मिट्टी के ऊपर रो रहा है
उसके हृदय की पीड़ा को नहीं समझता
जिसने प्रेम को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है
नहीं जानते वे
कैसी वीरानी आ जाती है
जब अपके हृदय के टुकड़े को निर्दयतापूर्वक
अलग करने पर मजबूर होना पड़ता है,
और कैसे कुंठित और भारी हृदय,
जीवन की बूंदों को सोख डालता है
4.
जनता के लिए गीत
मुझे लोगों के लिए गीत रचने दो
बुजुर्गो और युवाओं के लिए गीत
जहां कहीं भी वे गाए जायें
मचायें युद्ध-घोष की तरह हलचल
घुड़सवार-फौज के संघर्षों के लिए नहीं
न नरसंहार के लिए और न ही युद्ध के लिए
शक्ति से परिपूर्ण गीत जो
पुरुषों के हृदयों को रोमांचित कर दें
मुझे कलांत लोगों के लिए गीत बनाने दो
जीवन के ताप और उसकी झल्लाहट के गीत
जब तक हृदय की तकलीफ को आराम नहीं मिले
और देखभाल करने वाले की भौहें भूल जाये
छोटे बच्चों के क़दमों के भटक जाने से पहले
गीत गाने बनाने दो
जीवन के राजमार्ग पर तैरने के लिए
प्यार और कर्तव्य के मीठे गीत
गरीब और वृद्धों के लिए मैं गाऊँगी
जहां रात नहीं,
उजले और आरामदायक मकानों के साये जब
उनकी नज़रों को मंद कर देते हैं
हमारी दुनिया, बहुत थकी और ऊबी हुई है
उसे शुद्ध और दृढ करने के लिए संगीत की जरूरत है
दुख, दर्द और गलत का
शोर और उनकी विसंगतियों को धकेलने के लिए
सभी दुखों को शांत करने के लिए संगीत
जब तक युद्ध और अपराध समाप्त नहीं हों
और पुरुषों के हृदय मुलायम हो
आगे बढ़ शांति के साथ दुनिया को गले लगा लें
5.
दफनाना मुझे स्वतंत्र भूमि में
तुम जहाँ कहीं भी मेरे लिए एक कब्र बनाओ
समतल मैदान में या एक ऊंची पहाड़ी पर
इसे पृथ्वी की सबसे नम्र कब्रों में से एक बनाओ,
लेकिन ऐसी भूमि पर जहाँ एक भी गुलाम इंसान न हो
मैं आराम नहीं कर सकूंगी अगर मेरी कब्र के आसपास
सिहरते हुए गुलाम की पदचाप सुनाई देगी
मेरे शांत मकबरे के ऊपर उसकी छाया
इस जगह को एक भयभीत उदास जगह बना देगी
मैं आराम नहीं कर पाऊँगी
ताबूत से खँडहर तक
और
एक अभिशाप की तरह कांपती हुयी हवा में
जंगली निराशा भरी मां की चीख अगर सुनाई पड़ेगी
भयभीत गहरे घाव से
गुलाम का खून पीते हुए चाबुक दिखती है तो
मैं सो नहीं पाती
और मैंने देखा
अपने माता-पिता के घोंसले में सिहरते कबूतरों की मानिंद
एक माँ की छाती से उसके बच्चे छीन लिए हैं
खाड़ी के खोजी कुत्तों को इंसान के शिकार पर टूट पड़ते हुए देख
मैं सिहरने लगती हूँ
और बंदी की व्यर्थ प्रार्थना को सुनती हूँ
जैसे ही उन्हें बंधी बनाया जाता है
पीड़ादायक जंजीरों की याद फिर से ताज़ा हो जाती है
यदि में माताओं की बाँहों में जवान लड़कियों को देखती हूँ
जिनके युवा आकर्षण के लिए अदली-बदली की जाती है और बेचा जाता है
मेरी आंख चमकती है शोक की ज्वाला के साथ,
मृत्यु से जर्द मेरे गाल शर्म से लाल हो जाते हैं
मैं सो जाऊंगी, प्यारे दोस्तों, जहां सूजा हुआ
अपने प्रिय अधिकारों का कोई आदमी बलपूर्वक छीन सकता है
किसी भी कब्र में मुझे शांति मिलेगी
जहां कोई भी अपने भाई को गुलाम नहीं कहेगा
गुजरने वालों की निगाहों को बांधने के लिए
मैं किसी स्मारक, गर्व और महानता की प्रार्थना नहीं करती
मेरी सारी उदास भावनाएं चाहती हैं कि
मुझे गुलामों की पृथ्वी पर न दफनाया जाए
1. डिस्कार्डेड लेगसी : पॉलिटिक्स एंड पोएटिक्स इन द लाइफ ऑफ़ फ्रांसिस एलेन वाटकिंस हार्पर, 1825-1911
2. पेंगुइन पोर्टेबल नाइनटेंथ सेन्टुअरी अफ्रीकन अमेरिकन वीमेन राइटरस, संपादक : होलिस रोब्बिंस
एंड हेनरी लुइस गेट्स, 2017. पेज. 283
3. अमेरिकन पोएट्री : एन एंथोलॉजी 1773-1927
००
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फ्रांसिस वाटकिंस हार्पर और उनकी बिसरी हुयी विरासत का पूर्वावलोकन
विपिन चौधरी
विपिन चौधरी |
अफ़्रीकी-अमेरिकी समाज में व्याप्त गुलामी से मुक्ति के दौर की सबसे प्रसिद्ध लेखिका, फ्रांसिस एलेन वॉटकेंस हार्पर का जन्म, 24 सितंबर 1825 को बाल्टीमोर, मैरिलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ. वर्ष 1828 में तीन वर्ष की उम्र में माँ का निधन के बाद, फ्रांसिस की मामी-मामा ने उनका पालन-पोषण किया। फ्रांसिस के मामा प्रमुख अश्वेत शिक्षाविद थे, फ्रांसिस ने चौदह वर्ष तक उनकी अकादमी 'नेग्रो यूथ' से ही शिक्षा अर्जित की। 1850 में वह 'यूनियन सेमिनरी' में सिलाई सिखाने वाली पहली अश्वेत स्त्री बनी। उन्होंने एक पुस्तक-व्यापारी के घर में भी काम किया वहीँ पर वे किताबों और लेखन के प्रति आकर्षित हुयी जिसके फलस्वरूप बीस साल की उम्र में 'फारेस्ट लीव्स' शीर्षक से उनका पहला कविता- संग्रह प्रकाशित हुआ. कुछ समय तक वे बाल्टिमोर और पेनसिलवेनिया में शिक्षिका भी रही
पुर्नर्निर्माण कार्यकर्ता फ्रांसिस एलेन वाटकिंस हार्पर
शिक्षिका की नौकरी छोड़ने के बाद फ्रांसिस 1853 में 'अमेरिकन एंटी-स्लेवरी सोसाइटी' में शामिल हुयी और उनकी प्रसिद्धि एक राजनीतिक और सामाजिक वक्ता के रूप में होने लगी. सोसाइटी के अंतर्गत, उन्होंने छह हफ्तों के भीतर बीस शहरों की यात्रा कर,इक्कतीस व्याख्यान दिए. उन्नीसवीं शताब्दी में अफ्रीकी-अमेरिकी आजादी और साक्षरता के लिए पूरी निष्ठा व गंभीरता से किये गए अन्वेषण में योगदान देते हुए उन्होंने अश्वेत और श्वेत दोनों लोगों के मताधिकार संगठनों के लिए काम किया. फ्रांसिस ने भूमिगत रेलमार्ग के माध्यम से गुलामों को स्वतंत्र होने में मदद की. गृह-युद्ध में विजय के पश्चात, अमेरिका में चार मिलियन गुलामों को मुक्त किया गया। और फिर पुनर्निर्माण का समय यानी 1865 से 1877 के दौरान, दक्षिण की यात्रा कर वहां कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे मुक्त हुए परिवारों की मदद कर उन्हें नए परिवेश से सामंजस्य स्थापित करवाने का महत्वपूर्ण कार्य किया.
नस्ल-विरोधी स्त्री अधिकारों की पक्षधर
1866 में 'राष्ट्रीय महिला अधिकार सम्मेलन' में दिए गए अपने भाषण में अश्वेत महिलाओं के अधिकारों के लिए पुरज़ोर आवाज़ उठायी।फ्रांसिस हार्पर का अधिक ध्यान, राजनीति, अफ़्रीकी-अमेरिकी गुलामी और पुनर्निर्माण पर था, मगर इन सभी मुद्दों के साथ प्रबल नारीवादी की अपनी पहचान को भी कायम रखा. संयुक्त राज्य अमेरिका में सामाजिक सक्रियता और राजनीतिक सुधार के विकसित होने का वह प्रगतिशील युग, जिसकी अवधि 1890 से 1920 के दशक तक थी के दौरान लगातार लिखते और भाषण देते हुए उन्होंने नस्लवाद विरोधी रुख बनाए रखा और श्वेत नारीवादी राजनीति में नस्लवाद की मौजूदगी की दृढ़ता से आलोचना की. श्वेत स्त्रियों को 1920 में वोट देने का अधिकार मिल गया था, लेकिन अश्वेत समाज को स्वतंत्र रूप से वोट देने का अधिकार 1965 नहीं मिल पाया था. फ्रांसिस 1896 में स्थापित अमेरिकी संगठन 'नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ कलर्ड विमेंस' की सह-संस्थापक भी थी.
कवयित्री फ्रांसिस एलेन हार्पर
उन्नीसवीं शताब्दी की सबसे सफल अफ्रीकन-अमेरिकन रचनाकारों में से एक, फ्रांसिस एलेन वॉटकेस, 18 वीं शताब्दी के सबसे प्रथम अश्वेत अमेरिकी कवयित्री, फिलीस व्हीट्ली और उन्नीसवीं सदी के अंत में लोकप्रिय अश्वेत कवि लॉरेंस डैनबार के बीच की कड़ी बनी. उनके पहले दो संग्रहों की 50,000 प्रतियां बिकी और पहली प्रति के बीस संस्करण प्रकाशित हुए। फ्रांसिस वाटकिंस हार्पर ने कविता की पारंपरिक तकनीक और भाषा के साथ कविता की मौखिक परंपरा और अन्य उपकरणों का प्रयोग कर, गुलामी की कठिनाइयों और अफ़्रीकी-अमेरिकी समाज के भयंकर परिष्कार को अपनी कविताओं का प्रमुख विषय बनाया . आज भी उनकी कविता आध्यात्मिक शक्ति और अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों की सांस्कृतिक दृढ़ता का स्वरुप मानी जाती है. अपने समकालीन रचनाकारों के साथ बीसवीं शताब्दी की लेखिकाओं, ज़ोरा नीले हर्स्टन और टोनी मॉरिसन के साथ भी उनका लेखन एक सामंजस्य स्थापित करता है.
फ्रांसिस वाटकिंस हार्पर की बर्खास्त विरासत का पुनरीक्षण
फ्रांसिस हार्पर को पुनर्निर्माण कार्यकर्ता, निग्रह संबंधी आंदोलनों, स्त्री-शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली अग्रणी अश्वेत आवाज के रूप में जाना जाता है और शायद यही कारण है कि अमेरिकी गृहयुद्ध से पहले और उस दौरान किये गए उनके गंभीर प्रयासों के चलते,
फ्रांसिस हार्पर का कवि- व्यक्तित्व खुल कर सामने नहीं आ सका.पीढ़ियों तक संरक्षित उनके काम और उनकी राजनीतिक सूक्षमदृष्टि को हाल ही में पहचाना गया जब अमेरिकी प्रकाशक और अफ्रीकन-अमेरिकन कविता में महत्वपूर्ण नाम, मलबा जॉयस बोयड ने 1994 में प्रकाशित अपनी पुस्तक, डिस्कार्डेड लेगेसी : पॉलिटिक्स & पोएटिक्स इन द लाइफ ऑफ़ फ्रांसिस ई. डब्लू. हार्पर, 1825-1911,1 में फ्रांसिस हार्पर की प्रतिभा पर प्रकाश डालते हुए जाति, लिंग, और वर्ग के मामलों और व्यक्तिगत और सामाजिक अन्याय के मुद्दों पर उनके संघर्षों और उनके रेडिकलइज़म का पता लगाया कुछ दूसरे विद्धवानों जिन्होंने हाल ही में फ्रांसिस हार्पर के काम को रेखांकित किया उनमें, ‘लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज कॉलेज’ में प्रोफेसर मारयेममा ग्रैहम, बीसवीं शताब्दी से पूर्व के अफ्रीकी अमेरिकी समाज की विशेषज्ञ ,फ्रांसिस स्मिथ फॉस्टर, जॉन आर. शेर्मन,3 कार्ला पेटर्सन का नाम लिया जा सकता है. अपने जीवन काल में फ्रांसिस काफी प्रसिद्ध थी, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनके भुला दिया गया था । यह दुखद हैं कि बीसवीं शताब्दी के साहित्यिक आलोचना में फ्रांसिस एलेन वाटकिंस हार्पर का नाम सिरे से नदारद था. फ्रांसिस कई कारणों से याद रखी जानी चाहिए, मशहूर उन्मूलनकार जॉन ब्राउन को गुलामी की पीड़ा पर लिखे पत्र के लिए, उन्होंने वर्ष 1858 में एक श्वेत व्यक्ति के लिए अपनी सीट छोड़ने से इनकार कर दिया. सदियों से फ्रांसिस एलेन के काम को जिस तरह अनदेखा किया गया उसकी भरपाई न केवल अफ़्रीकी-अमेरिकी समाज बल्कि स्त्री-अध्ययन में रूचि रखने वालों को करनी होगी।
फ्रांसिस वाटकिंस हार्पर |
1.
एलिज़ा हर्रिस
बाण से निकले हिरण के बच्चे सी,
भौचक्की और जंगली एक स्त्री
अपने बच्चे को थामे
हमारे सामने से निकल गई
उसकी आंखों में थी निराशा की कालिमा
और भौहों पर दुःख और चिंता की छांया
वह नदी के नजदीक थी – किनारे के करीब-करीब पहुंची
उसे कोई जोखिम नहीं लगा, वह सोचने के लिए नहीं रुकी
क्योंकि वह एक मां है- उसका बच्चा एक गुलाम
और वह बच्चे को मुक्ति देगी
या उसके लिए खोजेगी एक कब्र
उसकी यह सोच हमें परेशान करती है, वह निर्दोष चेहरा-
अपने स्वरुप में दुर्बल, अपनी शालीनता में ईमानदार
घोड़े की चाल और खाड़ी के शिकारी कुत्ते सी
पीड़ा व सूजन देने वाली बेड़ियाँ चल रही थी उसके पीछे
नाउम्मीदी से घबराई हुई और दुःख से मजबूत वह
जैसे खाई में लगा दी हो छलांग जैसे वहां से ली हो जम्हाई
मृत्यु की तूफानी चीख और विस्फोट का धमाका
लेकिन खतरा गुज़र जाने तक उसे खतरे का आभास नहीं हुआ
ओह! मैं अपने गौरवशाली देश की शर्मिंदगी का ज़िक्र कैसे करूं?
उसकी महिमा पर लगे कलंक को अपना नाम कैसे दूँ?
उसके ध्वज को उपहास की तरंगों में कैसे कहूं
तारों से भरा उसका ध्वज- लाखों गुलाम?
कैसे कहूं अधिकारविहीन को यातना दी जा सकती है और उसका आखेट किया जा सकता है
एक स्त्री जिसका अपराध उसकी त्वचा का रंग है?
जंगल की गहराई
निराशा की झटके और खाड़ी के शिकारी कुत्ते चारों तरफ प्रतिध्वनि कैसे दे सकते हैं
बर्फ पर उसके कदम और उसके बाँहों में उसका शिशु
खतरा भयभीत था, मार्ग जंगली
मगर स्वर्ग से मिली मदद से वह एक खुले तट पर पहुंची
जहां इंसानियत के दोस्त ने अपना दरवाजा खोल दिया
तो नाजुक और प्यारा, बहुत डरा हुआ पीला,
लिली के फूल की तरह जो हवा के झोंके से झुक जाता है,
उसके हृदय की आहों और उसके बालों को बिखरने से बचाओं
तुमने उसे डर और निराशा की प्रतिमूर्ति समझा होगा
अपने हृदय के नज़दीक जो व्यथा उसने दबाई हुयी है
उसके हृदय का जीवन, अपनी गोद का वह बच्चा
ओह! उस सिमटी हुयी कोमलता से प्रेम हो सकता है
भगदड़ के खतरों से उसकी आत्मा को मजबूत करता हुआ
लेकिन वह स्वतंत्र है! -हाँ, उस देश से स्वतंत्र जहां
उत्पीड़न के हाथों गुलाम को
कब्र में आराम करना चाहिए;
जहां बंधन और यातना, जहां चाबुक और जंजीरें
हमारे ध्वज़ पर अविश्वसनीय दाग टंके हुए हैं
खोजीकुत्तों उसकी गंध को सूंघने में विफल रहे हैं
शिकारी ने खोजकर लूट लिया है अपने शिकार को परास्त कर दिया है
जंजीरों की झनझनाहट की भयंकर आवाज़और अपशब्द बोलते हुए
स्वतंत्रता के मैदानों पर अजीब तरह से विरोध करते हुए
प्रेम और आनंद की पूर्णता के उत्साह के साथ,
उसने एक माँ का प्यारा सा चुंबन उसके माथे पर अंकित कर दिया
ओह! गरीबी, खतरा और मृत्यु
वह उस बच्चे के लिए बहादुर बन सकती है,
उसका प्यारा शिशु अब नहीं रहा
एक गुलाम
2.
गुलाम मां
क्या तुमने
हवा में उठती हुयी अधीर चीख सुनी है
ऐसा प्रतीत होता है जैसे एक भारी दिल
निराशा में टूट रहा है
तुमने उन हाथों को संताप से आपस में गुंथे हुए देखा
झुका हुआ और निर्बल सिर
उस झुके हुए कमज़ोर रूप को देखकर सिहरन होती है
दुख और भय की वह आकृति ?
तुमने उस उदास, झुकी हुई आंखों को देखा ?
उसकी हर उचटती निगाह में दर्द था,
तीखी पीड़ा का तूफान से जैसे
मस्तिष्क के ज़रिये झाड़-पौंछ हो रही हो
वह डर के साथ पीली पड़ी हुयी एक मां है
उसका लड़का उसकी ओर लिपटा हुआ है
और वह उसका नहीं है, हालाँकि उसका लहू
उसकी धमनियों के जरिए दौड़ लगा रहा है
वह उसका बेटा नहीं, क्रूर हाथों के लिए है
अभद्रता से उसे अलग किया जा सकता है
कुटुंब के प्रेम का एकमात्र सेहरा
जो अपनी माँ के टूटे हुए ह्रदय को जोड़ सकता है
बच्चे का प्रेम एक सुखद रोशनी जैसा है
जो उसके रास्तों पर मुस्कराहट बिछा देता है
एक फव्वारा जिसकी बौछारे
जीवन के जंगली रेगिस्तान के बीच
हमेशा नयी रहती हैं
बच्चे के सबसे हौले शब्द का एक सुर होता है
जो माँ के ह्रदय के चारों ओर संगीत रचता है
उनके जीवन की छोटी सी नदी आपस में मिली हुयी है
ओह, ईश्वर! क्या माँ और बेटा अलग हो जायेंगे?
वे माँ की बाहों के घेरों से बच्चे को छीनते हैं
उसका आखिरी और स्नेह से भरा हुआ आलिंगन
ओह! माँ की उदास आंखें अब बच्चे के शोकपूर्ण चेहरे पर अधिक देर तक नहीं टिकी रह सकती
कोई आश्चर्य नहीं, जब, ये तीखी चीख
हवा को परेशान कर रही है
वह एक मां है और उसका ह्रदय
निराशा में चूरचूर हो रहा है
3.
दासों की नीलामी
नीलामी शुरू हो गई है
जवान लड़कियां,
अपनी दुर्दशा से हताश
खड़ी हैं इधर
भीतर गहरी दबी निराशा से
उनके दुःख और संकट का पता मिलता है
माताएं बहती आँखों से खड़ी देख रही हैं
अपने प्रिय बच्चों की नीलामी हो
उनके करुण रुदन से सूनापन टपक रहा है
शोषक स्वर्ण के लिए लगा रहे है उनका दांव
और स्त्रियां
प्रेम और सच्चाई के साथ
अपने युवावस्था के पति को इस पीड़ा से गुज़रते हुए देख रही हैं
देर तक ठहरा हुआ उनके स्याह रंग को
चित्रित या वर्णित नहीं किया जा सकता
और पुरुष, जिनका एकमात्र अपराध
ईश्वर के हाथों की छाप के रूप में
उनकी त्वचा का कालापन है
कमजोर और सिकुड़े हुए बच्चे भी
शामिल हैं शोक से डूबे इस दल में
अरे सुनो, जिसने तुम्हारे प्रेम को सुन्न कर दिया है
और जिसकी बेजान मिट्टी के ऊपर रो रहा है
उसके हृदय की पीड़ा को नहीं समझता
जिसने प्रेम को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है
नहीं जानते वे
कैसी वीरानी आ जाती है
जब अपके हृदय के टुकड़े को निर्दयतापूर्वक
अलग करने पर मजबूर होना पड़ता है,
और कैसे कुंठित और भारी हृदय,
जीवन की बूंदों को सोख डालता है
4.
जनता के लिए गीत
मुझे लोगों के लिए गीत रचने दो
बुजुर्गो और युवाओं के लिए गीत
जहां कहीं भी वे गाए जायें
मचायें युद्ध-घोष की तरह हलचल
घुड़सवार-फौज के संघर्षों के लिए नहीं
न नरसंहार के लिए और न ही युद्ध के लिए
शक्ति से परिपूर्ण गीत जो
पुरुषों के हृदयों को रोमांचित कर दें
मुझे कलांत लोगों के लिए गीत बनाने दो
जीवन के ताप और उसकी झल्लाहट के गीत
जब तक हृदय की तकलीफ को आराम नहीं मिले
और देखभाल करने वाले की भौहें भूल जाये
छोटे बच्चों के क़दमों के भटक जाने से पहले
गीत गाने बनाने दो
जीवन के राजमार्ग पर तैरने के लिए
प्यार और कर्तव्य के मीठे गीत
गरीब और वृद्धों के लिए मैं गाऊँगी
जहां रात नहीं,
उजले और आरामदायक मकानों के साये जब
उनकी नज़रों को मंद कर देते हैं
हमारी दुनिया, बहुत थकी और ऊबी हुई है
उसे शुद्ध और दृढ करने के लिए संगीत की जरूरत है
दुख, दर्द और गलत का
शोर और उनकी विसंगतियों को धकेलने के लिए
सभी दुखों को शांत करने के लिए संगीत
जब तक युद्ध और अपराध समाप्त नहीं हों
और पुरुषों के हृदय मुलायम हो
आगे बढ़ शांति के साथ दुनिया को गले लगा लें
5.
दफनाना मुझे स्वतंत्र भूमि में
तुम जहाँ कहीं भी मेरे लिए एक कब्र बनाओ
समतल मैदान में या एक ऊंची पहाड़ी पर
इसे पृथ्वी की सबसे नम्र कब्रों में से एक बनाओ,
लेकिन ऐसी भूमि पर जहाँ एक भी गुलाम इंसान न हो
मैं आराम नहीं कर सकूंगी अगर मेरी कब्र के आसपास
सिहरते हुए गुलाम की पदचाप सुनाई देगी
मेरे शांत मकबरे के ऊपर उसकी छाया
इस जगह को एक भयभीत उदास जगह बना देगी
मैं आराम नहीं कर पाऊँगी
ताबूत से खँडहर तक
और
एक अभिशाप की तरह कांपती हुयी हवा में
जंगली निराशा भरी मां की चीख अगर सुनाई पड़ेगी
भयभीत गहरे घाव से
गुलाम का खून पीते हुए चाबुक दिखती है तो
मैं सो नहीं पाती
और मैंने देखा
अपने माता-पिता के घोंसले में सिहरते कबूतरों की मानिंद
एक माँ की छाती से उसके बच्चे छीन लिए हैं
खाड़ी के खोजी कुत्तों को इंसान के शिकार पर टूट पड़ते हुए देख
मैं सिहरने लगती हूँ
और बंदी की व्यर्थ प्रार्थना को सुनती हूँ
जैसे ही उन्हें बंधी बनाया जाता है
पीड़ादायक जंजीरों की याद फिर से ताज़ा हो जाती है
यदि में माताओं की बाँहों में जवान लड़कियों को देखती हूँ
जिनके युवा आकर्षण के लिए अदली-बदली की जाती है और बेचा जाता है
मेरी आंख चमकती है शोक की ज्वाला के साथ,
मृत्यु से जर्द मेरे गाल शर्म से लाल हो जाते हैं
मैं सो जाऊंगी, प्यारे दोस्तों, जहां सूजा हुआ
अपने प्रिय अधिकारों का कोई आदमी बलपूर्वक छीन सकता है
किसी भी कब्र में मुझे शांति मिलेगी
जहां कोई भी अपने भाई को गुलाम नहीं कहेगा
गुजरने वालों की निगाहों को बांधने के लिए
मैं किसी स्मारक, गर्व और महानता की प्रार्थना नहीं करती
मेरी सारी उदास भावनाएं चाहती हैं कि
मुझे गुलामों की पृथ्वी पर न दफनाया जाए
1. डिस्कार्डेड लेगसी : पॉलिटिक्स एंड पोएटिक्स इन द लाइफ ऑफ़ फ्रांसिस एलेन वाटकिंस हार्पर, 1825-1911
2. पेंगुइन पोर्टेबल नाइनटेंथ सेन्टुअरी अफ्रीकन अमेरिकन वीमेन राइटरस, संपादक : होलिस रोब्बिंस
एंड हेनरी लुइस गेट्स, 2017. पेज. 283
3. अमेरिकन पोएट्री : एन एंथोलॉजी 1773-1927
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