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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

11 अक्तूबर, 2024

हिमांशु कुमार की इंसाफ़ यात्रा

ख़बर


इंसाफ़ यात्रा  

विरेंद्र क्रांतिकारी

दिल्ली राजघाट से ( इंसाफ का सफर यात्रा गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार जी द्वारा सायकिल से चलकर हरियाणा  के मेवात क्षेत्र के सोना, बडकली ,नूह ,फिरोजपुर झिरका,रामगढ़ होते हुए आज अलवर पहुंची  ।सामाजिक संगठन  भारत परिवार के राष्ट्रीय समन्वयक  विरेंद्र क्रांतिकारी के नेतृत्व में  अलवर के तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा शहीद स्मारक कंपनी बाग में इंसाफ यात्रा के हिमांशु कुमार जी का स्वागत किया!  

गांधीवादी हिमांशु जी ने बताया कि वर्तमान सत्ता देश में जल जंगल जमीन की लूट में शामिल है इस जल, जंगल जमीन की लूट का विरोध करने वाले आदिवासियों के साथ जो भी सामाजिक कार्यकर्ता ,पत्रकार,या वकील मानव अधिकार कार्यकर्ता हो उसे अर्बन नक्सल या आतंकवादी कह कर जेल में डाल दिया जाता है !छः छ साल तक उनके विरुद्ध कोई चार्जशीट भी फाइल नही होती है !सीए, एनआरसी जैसे गैरकानूनी कानून के खिलाफ आंदोलन करने वाले नौजवानों को 4 साल से भी ज्यादा समय से जेल में डाला हुआ है !

संजीव भट्ट को गुजरात में रूपेश सिंह को झारखंड में ,और छत्तीसगढ़ में सुनीता कोटाम, सुरजू टीकम ,सहित अनेको आदिवासी नौजवानों को जेल में डाल दिया गया है !

आज सरकार का विरोध करना ही आपको जेल में पहुंचा सकता है।                                        

यह वह आजादी नहीं है जिसका सपना हमारे देश के शहीदों गांधी, भगत सिंह या अंबेडकर ने देखा था !

हम सब मिलकर अन्याय को समाप्त करें ।न्याय प्रिय समाज की स्थापना करनी है। युवाओं से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मैं साइकिल से इंसाफ की यात्रा राजघाट से तलोजा जेल, महाराष्ट्र तक जाने का निर्णय लिया है जहां भीमा कोरेगांव मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेलो में डाला   गया है।

विरेंद्र क्रांतिकारी राज,हरिकिशन,भरोसे लाल,राहुल,संजय, राजगुप्ता ,

ललिता,मक्खन लाल गुर्जर, यश शर्मा,हरिशंकर गोयल जी,  प्रदीप माथुर,सर्वेश जैन,पंकज सांवरिया,लेख राज,किशन लाल,विनोद बौद्ध, खेरलिया ,आशा काचरू,संकल्प देवकी , महेश वर्मा जी, मो रफीक खान ,सरिता प्रकाश मीनू बौद्ध आदि कार्यकर्ताओं ने स्वागत आयोजन में भाग लिया और इंसाफ़ यात्रा का समर्थन किया।

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