image

सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

14 अक्तूबर, 2024

ब्रज श्रीवास्तव की कविताएँ

 

सुन्दर स्त्री का बयान


( एक )


जिनमें  आकर्षित करने की क्षमता है

कहाँ साझा करूँ तस्वीरों को

अकामुक दृष्टि कहीं नहीं

जो देखे चेहरे के नेपथ्य को भी  

निरपेक्ष ऊर्जा किसे  दे सकेगा

यह कथित सौंदर्य













निर्दोष नज़र  से निहारना कौन चाहेगा

अपलक सदैव

०००

( दो )


पुरूष को 

हासिल हो गई वह

आधिपत्य कर 

जीतने ही नहीं दिया

स्त्री की इच्छाओं को


किसी चूक पर

चिल्ला कर.

दिखा दिया पौरूष


क्या यही नियति हुई

सुंदर चेहरे को.

०००


( तीन )


तस्वीरों में 

स्वयं को देखती है तो

उसे संतोष प्रद आह्लाद होता है


जीवन में देखती है तो 

शिकवे होते हैं


चेहरे पर रीझने के लिए

अभी भी बैठे हैं मनचले

इस विडंबना पर कभी हंँसती है

फिर क्षोभ से भर जाती है.

०००


( चार )


सुंदर स्त्री

अब नहीं सुनना चाहती

स्तुति वाक्य

गुजर  वह अंतराल


अब एक कोफ्त है

बिना प्यार के व्यतीत हुए क्षण

०००


( पॉंच )


तस्वीर में 

उपस्थित यह चेहरा

चकित करने 

वाली सुंदरता से भरा है

पता नहीं उसके जीवन

में भी होगी कि नहीं

सुखानुभूति की मौजूदगी.

०००


परिचय

विदिशा में 5 सितंबर 1966 को जन्म।

समकालीन हिंदी कविता का चर्चित नाम

तमाम गुमी हुई चीज़ें,घर के भीतर घर,ऐसे दिन का इंतज़ार ,आशाघोष, समय ही ऐसा है, हम गवाह हैं सहित,अब तक  छः कविता संग्रह प्रकाशित।एक कविता संग्रह ‘कहानी रे तुमे’ उड़िया में भी प्रकाशित।

अनुवाद और समीक्षा सहित कथेतर गद्य में अन्य प्रकाशन।माँ पर केंद्रित कविताओं का संचयन‘धरती होती है मांँ’,पिता पर केंद्रित कविताओं का संचयन ‘पिता के साये में जीवन’ बहन पर केंद्रित *बहन के होने से* एवं *त्रिपथ* सीरीज के अब तक चार संग्रहों का संपादन। साहित्य की बात समूह का संचालन। कुछ काम कैलीग्राफी और चित्रकला में भी। संगीत में दिलचस्पी।

विदिशा में शासकीय हाईस्कूल में प्राचार्य की पद पर कार्यरत।

फोन -7024134312 

वाट्स एप -9425034312

ईमेल -brajshrivastava7@gmail.com

47 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी कविताएं।शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. आज के समय के आप महत्वपूर्ण कवि है सभी कविताएं अपना अलग रंग व महत्व रखती हैं

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही भावपूर्ण कविताएं

    जवाब देंहटाएं
  4. स्त्री सौंदर्य को नए सिरे से परिभाषित करती कविताएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. एक ही कबिता , एक ही सुन्दर स्त्री के अलग अलग समय पर दिए गए वक्तव्य , समय के साथ किस प्रकार वदलाव होता है सोच में , बहुत अच्छा विश्लेषण कविता के माध्यम से , अच्छी कबिता . कहीं न कहीं अपनाप को जोड़ लेती है अपने साथ.

    जवाब देंहटाएं
  6. अत्यंत सुन्दर तथा सटीक विश्लेषण 👌👌 एक स्त्री के ह्रदय का सही और सुन्दर ढंग से लेखन. आपकी लेखनी को प्रणाम. जय हो 💐💐🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  7. स्त्री का सुंदर चित्रण

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर ,भाव पूर्ण कविताएँ, स्त्री के मनोभावों को दिखाती,कहीं वह सुरक्षित नही,कितने घेरों से घिरी ,असुरक्षित सी

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  11. स्त्री के सौंदर्य एवम समाज की सोच का बड़ा ही सुन्दर चित्रण उकेर दिया आपने । लगता है आपने कविता की रचना ऐसी की कि वह सजीव चित्रित सी लगती है। कौन टटोलता है उसका मन बस अंग टटोलने की होड़ है। कभी कभी उसके अंदर भी झांका होता। बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनेक आभार सर. आप कविता के मर्म तक पहुंचे और उस पर इतना अच्छा लिखा..

      हटाएं
  12. बहुत सुंदर कविताएं। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रिय बन्धू, स्त्री और पुरुष दोनों को ही कुछ सीमित कोणों में बांधना ,न्याय संगत नहीं होगा,हां कुछ नजरिए,कुछ भाव दशाओं के संम्प्रेष्ण के लिए बहुत बधाई,शुभकामना।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर भावनात्मक चित्रांकन प्रायः पुरुषों की मानसिकता और महिलाओं की स्थिति का शानदार चित्रण

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  16. आदरणीय ब्रज भैय्या का अलग ही अंदाज़ है अद्भुत नायाब कलमकारी

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुंदर रचनाएं। बधाई

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत ही सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत सुंदर रचनाएं शुभकामनाएं एवं बधाई अभी कैसेजाएगी

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत ही सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  22. स्त्री की सुंदरता का बखान बहुत ही निराले अंदाज में .....आपकी लेखनी से

    जवाब देंहटाएं
  23. स्त्री-पुरुष के भिन्न भिन्न रूपो को एक धागे में पिरोती भावपूर्ण रचनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  24. अति सुंदर रचना स्त्री और पुरुष दोनो की छबि को प्रकट करते हुऐ मनमोहक रचना की है आपने । हर शब्द का चयन आपकी रचना की कसोटी पर खरा उतर रहा है। एक सारगर्भित लेखक की संपूर्ण विशेषताये है आपमें।

    जवाब देंहटाएं
  25. स्त्री और पुरुष की प्रशंसा का एक निराला और रचनात्मक तरीका बहुत सुंदर है

    जवाब देंहटाएं
  26. Hamre Vidisha ki shan hai bhai sahab

    जवाब देंहटाएं
  27. शानदार रचना, आदरणीय भाई साहब हमारे विदिशा की शान है

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत ही बढ़िया,

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत ही बढ़िया,

    जवाब देंहटाएं
  30. स्त्री सौन्दर्य और सोच का सुन्दर समन्वय...
    बहुत-बहुत बधाई, भाई

    जवाब देंहटाएं
  31. बेहतरीन कविताएं नारी मन और पुरुष की भावना को अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया है।

    जवाब देंहटाएं
  32. आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं कभी होने के साथ-साथ एक अच्छे है।
    धन्यवाद!आपकी सराहना मेरे लिए बहुत मायने रखती है। आपसे संवाद करके मुझे भी हमेशा प्रेरणा मिलती है।

    जवाब देंहटाएं