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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

16 अप्रैल, 2018


अंबेडकर जयंती के मौके पर आमसभा और सांस्कृति आयोजन संपन्न

प्रस्तुति: खुमेन्द्र कुमार

समतावादी भारत के निर्माण के लिए कसम प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन छेड़ेगा: तुहिन





भोपाल। क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (कसम) एक समतावादी भारत के निर्माण के लिए प्रगतिशील सांस्कृति आंदोलन को छेडे़गा। यह बात कसम के राष्ट्रीय संयोजक तुहिन ने बाबा साहब आंबेडकर की 127वीं जयंती के मौके पर कही। कार्यक्रम का आयोजन क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (कसम) , डाॅ. भीमराव आंबेडकर पुस्तकालय, विकल्प सांस्कृतिक मंच के संयुक्त तत्वाधान नई बस्ती, बागमुगालियां में किया गया। स्वागत भाषण देते हुए तुहिन ने कहा कि आज हमें यह संकल्प लेना होगा कि डाॅ. आंबेडकर द्वारा दिए गए आह्वान ’जाति तोड़ो समाज जोड़ो’ को जाति उन्मूलन करके एवं एक धर्म निरपेक्ष, समतावादी भारत का निर्माण करके सफल बनाएंगे।


आज एक अंधकारमय युग हमारे सामने है। आज विचारों की स्वतंत्रता का हनन सांप्रदायिक फासीवादी, ब्राम्हणवादी ताकतों द्वारा चारों ओर किया जा रहा है। ऐसी ताकतें जो किसी भी प्रकार के विरोध को गवारा नहीं करती है। सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों में विषेशकर प्रगतिशील संस्कृतिकर्मी, तर्कशील, साहित्यकार, पत्रकारों पर कायराना हमले किए जा रहे है। ये ताकतें हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब और बहुलतावादी परपंराओं को ध्वस्त करना चाहती है। इसीलिए आज बाबा साहब आंबेडकर जयंती पर हम गौरी लंकेश, दाभोलकर, कलबुर्गी, पानसारे समेत सांप्रदायिक फासीवाद और काॅर्पोरेट राज के खिलाफ छात्र, नौजवान बुद्धिजीवी जो संघर्ष कर बलिदान दे रहे है, हम उन्हें क्रांतिकारी सलाम करते है, और आपको विश्वास दिलाते है कि एक समतावादी भारत के निर्माण में कसम लगातार प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन तैयार करता रहेगा।



कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कसम के राष्ट्रीय समिति सदस्य आरपी सिंह ने कहा कि देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रयास किया जा रहा है। आरएसएस व भाजपा समर्थित सरकारें देश में फासीवाद, साम्राज्यवाद को स्थापित करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ परिवार देश के इतिहास और संस्कृति के विकृतिकरण तथा सांप्रदायीकरण को बढ़ावा दे रहा है। कार्यक्रम में बंगाल के प्रसिद्ध जनगायक असीम गिरी, छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध जनगायिका चंद्रिका सहित सांस्कृतिक संगठनों ने जनगीतों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर कसम का हिन्दी मुखपत्र विकल्प आवाम का घोषणा पत्र एवं अंग्रेजी मुखपत्र रिवोल्ट का विमोचन भी हुआ। कार्यक्रम में कसम के अंग्रेजी मुखपत्र रिवोल्ट के संपादक प्रो. रमेश चन्द्र दत्त (बैंगलोर), रवि पालूर (केरल), प्रवीण नाडकर (मुंबई) सहित बस्ती के सैंकड़ों महिलाओं और नौजवानों ने भाग लिया।  कार्यक्रम का संचालन लोकेश मालती प्रकाश ने किया।
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आयोजन समिति की ओर से

खुमेन्द्र कुमार

9993705564

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