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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

28 अगस्त, 2024

शेफ़ाली शर्मा की कविताएं

  


कहानी








चित्र 

पिकासो 



कहानियाँ सूक्ष्म जीवों की मानिंद

हमारे आसपास

हमारी देह के ऊपर

और भीतर रहीं

कमजोर पड़ते ही याद दिलाया

कि अब सुधारो अपना खान पान

या कोई दवा करो


लगभग हर जीव ने 

अपनी संतानों की कोशिकाओं में

सुरक्षित किया 

रंग, बनावट और चाल-ढाल में

एक जैसा बने रहने का राज़

केवल इंसानों ने सुरक्षित किए

अपने अनुभव

कहानियों की शक्ल में


कहानियों ने ही बनाया हमें

सबसे समझदार

सबसे होशियार।

०००

 सच और कहानी 


उसकी कहानी में मेरा

मेरी कहानी में उसका

गलत होना लाज़मी है


लेकिन

कहानी सुनना एक बात है

मान लेना दूसरी

तीसरी और सबसे ज्यादा ज़रूरी बात है

कहानी में सच को खोजना।

०००

एकमात्र 


कई ग्रह मिल कर

एक सौरमंडल

सात तारे मिल कर

एक सप्त ऋषि

और सात रंग मिल कर

एक इंद्रधनुष


एक होना कितना सुखद होता है

जब सभी मिलकर एक होना चाहते हों


पर कितना दुखदाई

जब कोई सबको हटा कर होना चाहता हो

एक

एकमात्र....

०००

इंद्रधनुष 


अपने स्वतंत्र अस्तित्व को बचाते हुए

एक रहने की

आख़िरी और पुरजोर कोशिश है

इंद्रधनुष


कोशिशें हमेशा खूबसूरत होती हैं

अनेक होते हुए एक रहना

काले या सफेद हो जाने से कहीं ज़्यादा

बेहतर है।

०००

चलते रहना होगा बेखौफ़ 


क्या तुम ये मान बैठे हो

कि सूरज रोज करता है सफर

पूरब से पश्चिम का

या तुम्हें विश्वास है उस पर जिसने

पहली बार 

पृथ्वी के घूमने की बात की थी ।


तर्क के साथ खड़े रहने वाले जानते हैं 

कि अंधेरे के समय में रौशनी तक

चलकर जाना होगा

जाना होगा वहाँ तक

जहाँ रौशनी पहुँचती हो ।


तर्क करते ये लोग निकल आते हैं 

सड़कों पर अंधेरे समय में 

ऐसे अंधेरे समय में जब 

साफ-साफ दिखाई दे भविष्य के रास्ते में उगी गाजर घास

जो न उखाड़ी तो

बोझिल हो जाएंगी साँसें 

अपने नाखूनों में अपनी ही चमड़ी भरी होगी ।


ये लोग सड़कों पर निकलकर चलते हैं 

चलते हैं कि 

न दब जाए कोई आवाज़ ,

सुरक्षित रहे अभिव्यक्ति 

इल्ज़ाम लगे भी तो 

सड़कों पर न हों फैसले ।


चलते हैं कि न सो जाए कोई भूखा

न लटके हों किसी पेड़ पर लाशों के फल

न मार दिया जाए कोई इंसान 

इंसान होने के लिए 

व्यवस्थापिकाएं संदेहों, शंकाओं से मुक्त हों ।


चलते हैं कि न भूल जाए कोई वादे

सवालों का डर बना रहे

डर बना रहे जनादेश का

चलते हैं कि आने वाली नस्लों को भी

बेखौफ़ चलना है सड़कों पर।

०००


नाम


मैं अपना नाम बदलकर फरहा रख लूं

तो कितनी मुसलमान हो जाउंगी 

कितनी हिंदू हो जाउंगी 

अगर राधा रख लूं

मारिया में कितनी ईसाइयत झलकती है

कितनी सिक्ख हो सकती हूं 

अगर दिलशाद हो जाऊं 


अब तक तो समझ चुके होगे कि

नाम बदलकर मैं नहीं

लोगों का नज़रिया बदलेगा


तो अगर किसी नाम को पढ़कर 

उस से कुछ खरीदने में दिक्कत महसूस करो

अपने नज़रिए से घृणा करना

कोशिश करना उसे बदलने की

०००

शुभ और अशुभ के बीच देवता


देवता सो रहे हैं 

सारे शुभ कार्य बंद हैं 

लेकिन बच्चे.....

बच्चे जन्म ले रहे हैं 


उसी दर से 

जिस दर से साल के किसी और वक्त 

जन्म लेते हैं 


इस से ज्यादा शुभ

इस पृथ्वी पर और क्या घटता होगा


सभ्यताओं का फलना-फूलना

कभी देवताओं के आधीन नहीं रहा

सभ्यताओं ने जन्म दिया देवताओं को 

सभ्यताओं के साथ फलते-फूलते रहे देवता


कभी सोचना

देवताओं के नाम पर की गई 

केवल एक हत्या

कितना बड़ा ख़तरा है 

और किसके लिए ख़तरा है।

०००

 बुलडोजर 


गलत करने वाले के पूरे परिवार को

गाँव से बाहर निकाल देते थे


हम

बड़ी देर में समझें

कि सज़ा केवल उसे देनी चाहिए 

जिसने गलती की हो


समझे तो देर में 

लेकिन भूले बहुत जल्दी


याद दिलाते ही

हमें याद आ गया

घृणा एक से नहीं 

उस के जैसे सभी से की जानी चाहिए 


उसके

पूरे परिवार 

पूरे समाज 

पूरी कौम से


और अब हमारे पास बुलडोजर है.......

०००



परिचय

नाम- शेफ़ाली शर्मा

जन्म- 28 अगस्त 1987

शिक्षा- एम.एस.सी. ,एम.ए.।

पुरस्कार - हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा वर्ष 2020 के श्रीमती माधुरी देवी अग्रवाल स्मृति पुनर्नवा नवलेखन पुरस्कार से पुरस्कृत।

कविता पाठ- आकाशवाणी छिंदवाड़ा, मुकुट बिहारी सरोज सम्मान, एकता परिषद के मंच से, मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन की संभावना श्रंखला, कलमप्रिया,   गिरिजा माथुर जन्म शताब्दी समारोह, पुनर्नवा पुरस्कार एवं सप्तपर्णी सम्मान समारोह, युवा प्रतिभा प्रोत्साहन मंच, छिंदवाड़ा द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरा,  याद-ए-अक्षत 2020। 

कविता संग्रह- साॅरी आर्यभट्ट सर, बोधि प्रकाशन 

साझा संग्रह- धरती होती है माँ- बोधि प्रकाशन। 

प्रकाशन- वागर्थ, समावर्तन, छत्तीसगढ़ मित्र, पाठ पत्रिका, साँझी बात, अट्टआहस, आर्यकल्प, आंचलिका, सुख़नवर, कलमकार, काव्य स्पंदन, साहित्यायन, मध्य प्रदेश विवरणिका, पहले-पहल, सुबह सवेरे दैनिक समाचार पत्र, लोकजतन, सत्यास्त्र समाचार पत्र, पत्रिका एवं दिव्य एक्सप्रेस में रचनाएँ प्रकाशित।

वर्तमान निवास- शहीद मेजर अमित ठेंगे वार्ड, जैन मंदिर के पास, शक्ति नगर रोड गुलाबरा छिंदवाड़ा

480001

9907762973

shefali_2887@yahoo.com

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