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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

16 अगस्त, 2016

लेख : पवन शेखावत

आज की पोस्ट पर कुछ न बोलते हुए सीधे से आपका रुख पोस्ट की ओर ले चलते हैं।

आइए चलें

‘हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी’

हिमाचल को एक छत के नीचे निहारने

यदि आप घुमक्कड़ी का शौक रखते हैं और हिमाचल को 
हरेक पहलू से जानने की इच्छा भी पाले हुए हैं। तो फिर देर किसबात की है! आइए, हिमाचल की दुर्गम 
घाटियों की रोमांचकऔर जोखिमपूर्ण यात्रा के साथ-साथ इसके सांस्कृतिक और सामाजिक दायरे को समझने के लिए अपने कदम हिमाचलकी तरफ बढ़ायें। लेकिन जरा रुकिए! क्योंकि हिमाचल कोपूर्ण रुप से जानने के लिए महीनो नहीं सालों लग जाएंगे। परंतुयदि आपके पास समय कम है और आप पूरे हिमाचल कोदेखना चाहते हैं तो इसका भी हमारे पास समाधान है। इसकेलिए आपको हिमाचल के मण्डी जिला में स्थित 
‘हिमाचलदर्शन फोटो गैलरी’ की 
तरफ रुख करना होगा। यहां आप एकही छत के नीचे बड़े-बड़े छायाचित्रों के जरिए पूरे 
हिमाचल का भ्रमण कुछ ही समय में कर 
लेंगें।

खास बात

जिला मण्डी के मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर चण्डीगढ़-मनाली राश्ट्रीय उच्च मार्ग-21 पर बिंदरावणी नामक स्थान परस्थित यह गैलरी देश के कुल 569 संग्रहालयों और गैलरी में
यह अपनी तरह की एकमात्र 
ऐसी फोटो गैलरी है जहां पर 
पूरेप्रदेश को आप एक छत के 
नीचे निहार सकते हैं। इस गैलरीका यह सफर 
अत्यंत ही जोखिमपूर्ण, 
रोमांचक, हर पलबाधाओं से 
जूझता हुआ, खुशियों भरा और जीवन की हरसच्चाई से रुबरु होता 
हुआ रहा है।

गैलरी के रचनाकार

इस फोटो गैलरी को साकार 
रुप प्रदान किया है चर्चित,मेहनतकश और मशहूर छायाचित्रकार बीरबल शर्मा ने जो पेशेसे पत्रकार हैं। बीरबल शर्मा के अनुसार 
‘हिमाचल प्रदेश मेंचारों तरफ बिखरा प्राकृतिक सौंदर्य, साल भर लगने वाले मेलेऔर त्यौहार, यहां के अनूठे रीति-रिवाज, परंपराएं, ऐतिहासिक मंदिर, उनमें की गई सुंदर  काश्ठ कला, मूर्ति कला, यहां केपहाड़, झरने, कल-कल बहती नदियां, हिमाच्छादितपर्वतमालाएं, दुर्गम रास्ते,  बहुमूल्य वनस्पति, गुणकारी  जड़ी-बूटियां, फलों से लदे बगीचे,  पहाड़ों को चीर कर निकाले  गएरास्ते, सड़कें, यहां की  धार्मिक झीलें और न जाने क्या-क्या...............यहां पर ऐसा।  बहुत कुछ है जिसे देखने, समझने और उसमें खोकर  मिटने की तमन्ना होती है।’  इनकेअनुसार, ‘यह गैलरी मेरे लिए मेरी पूजा का स्थान है। गैलरी केमाध्यम से लोगों को मैं एक बात साफ करना चाहता हूं किहिमाचल सिर्फ शिमला, डलहौजी या फिर कुल्लू-मनाली में हीनहीं बसता, बल्कि यह कंही और बसता है।

गैलरी की हर मंजिल है खास

तीन मंजिला इस गैलरी में सबसे निचले भाग में आप बड़ी-बड़ीतस्वीरों के जरिए हिमाचल के हर कोने-कोने से वाकिफ होपाएंगे। यहां पर आप हिमाचल की  लोककला, परंपराओं,संस्कृति, यहां के कठिन जनजीवन,  प्राकृतिक सौंदर्य सेलबरेज  घाटियों व अन्य भूभागों के  अलावा हिमाचल को हरपहलु से देख व समझ पाएंगे। दूसरी मंजिल पर एक  म्यूजियम स्थापित किया गया है जहां  आप उन चीजों के दर्शन कर पाएंगेजो किसी वक्त हमारी  दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण  हिस्सा थी।जिन्हे आज की वर्तमान पीढ़ी तिलांजली दे चुकी है। गैलरी कीतीसरी मंजिल एक  बड़े से हाल के रुप में है जो 
एक लाइबरेरीके साथ हमें किसी भी प्रकार की गोश्ठी को 
संपन्न करने केलिए एक बहुत ही बढ़िया स्थान उपलब्ध करवाती है।

और भी है बहुत कुछ

रिशेप्शन पर ही आपको बहुत सारी सांस्कृतिक और 
पारंपरिकपहलुओं को दर्शाती ऐसी किताबंे मिल जाएंगी जो अवश्य हीहिमाचल को और करीब से जानने की आपकी 
इच्छा को औरप्रबल करेंगीं। इन्ही किताबों में से बीरबल जी की एक किताबजो ‘वाह...... हिमाचल’ नाम से है में आपको तस्वीरों के साथ-साथ हिमाचल के हर कोने की विस्तृत जानकारी उपलब्ध होपाएगी।

गैलरी परिसर में ही 100 ये अधिक बरसेलों { मृत्यु स्मारक}को भी विधिवत रुप से स्थान दिया गया है जो पुरातात्विक
संरक्षण में एक मील का पत्थर साबित हुआ है।

गैलरी है एक शोध संस्थान

गैलरी की सबसे अच्छी बात 
यह है कि यहां किसी चीज कोनिहारने का कोई रुपया नहीं 
वसूला जाता। गैलरी को निहारनेके उपरांत आप रिशेप्शन पर रखे कमैंट 
रजिस्टर पर गैलरी केबारे में 
अपने अनुभवों को लिखना न भूलें। ये रजिस्टर हमेंबताते हैं कि 
आज तक देश-विदेश के तीन लाख से ज्यादाव्यक्ति इस फोटो गैलरी को 
निहार चुके हैं। इस गैलरी को केंद्रसरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित संस्थामोनूमेंट एंड 
एंटीक द्वारा बर्श 2010 में एक शोध संस्थान केरुप में मान्यता दी है। आप इस गैलरी को डव्लयू 
डव्लयूडव्लयू डाट हिमाचल 
दर्शन फोटो गैलरी डाट इन (www.himachaldarshanphotogallery.in) पर भी देख
सकते हैं। डायरेक्टरी आफ म्यूजियम में भी हिमाचल दर्शनफोटो गैलरी का नाम दर्ज हो चुका है।

मुंबई वालों को भी खींच लाई गैलरी

जब मशहूर निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा अपनी फिल्म ‘करीब’की शूटिंग के लिए मण्डी आए तो गैलरी को देखकर ही उन्होनेअपनी फिल्म के कुछ शाट 
रिवालसर और पराशर आदि
जगहों पर शूट किए। यह गैलरी के लिए खास बात थी। बाद मेंविधु विनोद ने ‘1942 ए लव स्टोरी’ फिल्म गिफ्ट 
बतौरबीरबल जी को भेजी थी।

गैलरी एक दस्तावेज

गैलरी अब एक दस्तावेज का 
रुप धारण कर चुकी है जो 
आनेवाली पीढ़ियों के लिए 
हमारी पिछली/पुरानी पीढ़ी केजनजीवन, रहन-सहन, लोक-संस्कृति व परंपराओं को 
महफूज किए हुए हैं। हिमाचलियों के लिए यह एक धरोहर व सच्चीगाइड बन चुकी है।

कब आएं

आप गैलरी में पूरे बर्श भर 
कभी भी दस्तक दे सकते हैं। यहचण्डीगढ़-मनाली राश्ट्रीय राजमार्ग-21 के साथ स्थित है जोपूरे बर्श भर खुला रहता है।

कैसे पहुंचे

यहां आप साल भर किसी भी मौसम में पहंुच सकते हैं। यहगैलरी चण्डीगढ़-मनाली राश्ट्रीय उच्च मार्ग-21के साथ मण्डीसे 4 कि0 मी0 की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से मण्डी की दूरी
लगभग 475 कि0मी0, चण्डीगढ़ से 200 कि0मी0 तथा शिमला से 143 कि0मी0 की दूरी पर बसा है। यहां के लिएदिन-रात बस सुविधा है। मण्डी से नजदीक का रेलवे  स्टेशन जोगिन्द्रनगर है जिसकी यहां से दूरी 50 कि0मी0 है। कुल्लूजिले का भुंतर हवाई  अड्डा यहां का सबसे नजदीक  का हवाईअड्डा है जो गैलरी से लगभग 55 कि0मी0 की दूरी पर स्थितहै।

 

परिचय-

नाम- पवन चैहान

तहसील-सुन्दरनगर, जिला-मण्डी

हिमाचल प्रदेश- 175018

मो0ः 098054 02242, 094185 82242

E mail- chauhanpawan78@gmail.com

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टिप्पणियां:-

पवन शेखावत:-
तितिक्षा जी बात तब होगी न जब लेखनी में दम होगा... हम जैसे नए लोगों पर कोई बात क्यों करना चाहेगा... कहानी पर भी यही हुआ और आज इस पर... बूरा ही लिखते... सुझाव ही दे देते तो शायद कुछ बेहतर लिखते... लिखने की कोशिश करते... लेकिन नहीं... कृपया हमारी पोस्ट न लगाया करें... सभी आदरणीय साथियों का तहे दिल से आभार...

आशीष मेहता:-
पवनजी का लेख नहीं पढ़ पाया हूँ। बल्कि पाठ्यक्रम में काफी पिछड़ चुका हूँ ....(..... काफी शिक्षक हैं, प्यारे समूह पर)....... हालांकि पाठक बतौर ही समूह पर हूँ .... पर किशोर दा के साक्षात्कार के पहले की दो 'तथाकथित' लघु-कथा भी पढ़ना बाकी है अभी .... (साथी कयास लगाएँ कि बिना पढ़े, 'तथाकथित' क्यों।)

पवनजी के यात्रा संस्मरण, केवल बिजूका पर ही पढ़े और हिमाचल का सुन्दर चित्रण, गहरे उतरा था। उस बिनाह पर 'आज के लेख ' पर बिसरे मौन से 'लेखनी में दम' के सवाल तक पहुँचना, कुछ परेशान सा कर गया।

आज के आलेख पर टिप्पणी करने में असमर्थता के लिए माफी, पर बेफिक्रे पाठक के मन की बात, पवनजी के मन तक पहुंचे, ऐसी आशा है।

'लेखनी में दम' समूह पर टिप्पणियों / मौन पर आधारित नहीं हो सकता, सो पवनजी से ससम्मान असहमति (उनकी शाम की पोस्ट पर) दर्ज करें।

इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया का आह्वान (एडमिन द्वारा) भी कुछ हद तक असंवेदनशील/अपरिपक्व रहा।

प्रदीप मिश्रा:-
पवन जी आपकी लेखनी में दम है। आपने बहुत सुंदर और प्रभावशाली तरीके से जगह को जीवंत किया है। सुबह मैंने देखलिया था। सोचा था ऑफिस से लौटकर लिखूंगा लेकिन घरेलु कार्यों में उलझ गया। आपकी लेखनी में इतना दम है। कि इस जगह को नोट कर लिया हूँ

राजवंती मान:-
पवन चौहान जी  का यह प्रयास  भावी पिढीयों के लिए अमूल्य धरोहर है ।उनकी इस समृद्ध कोशिश के लिए बहुत बधाई  और थनयवाद ।

राजवंती मान:-
बिजूका आजकल चुप है ।कल भी एक भी टिप्पणी नहीं  पढ़ने को नहीं मिली ।तितिक्षा जी इस समूह को चुप  तोड़ने का आग्रह करती रही

विनोद राही:-
वाह! बहुत खूब| हिमाचल में रहते इस गैलरी को देखने का मौका नहीं मिला| पवन जी और बिजूका का आभार

मनोज चौहान:-
हिमाचल दर्शन गैलरी पर सुन्दर आलेख के लिए पवन चौहान जी को बधाई और इस प्रस्तुति के लिए बिजूका समूह को साधुवाद...

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