अनुवाद: सरिता शर्मा
स्वीडन के प्रसिद्ध कवि उपन्यासकार और नाटककार पेर लागरकविस्त का जन्म 1891 में हुआ था। उनके उपन्यास दि डार्फ, बराब्बस और हैंगमैन हैं। उनके नाटक लैट मैन लिव और
सीक्रेट ऑफ़ हैवन हैं। कविता संग्रह ए सॉंग ऑफ़ दि हार्ट और मैन्स वे हैं। उनकी कवितायें और गद्य उत्कृष्ट हैं। उनके अधिकांश लेखन में दुख और तृष्णा है। उन्होंने अक्सर अपरोक्ष, कच्ची भावनाओं को अभिव्यक्त किया है। उनकी कुछ कविताओं में समान पंक्तियां देखने को मिलती हैं। उन्हें 1951 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी मृत्यु 1974 में हुई थी।
कविताऍं
गोधूलि की यह हवा सबसे खूबसूरत है
गोधूलि की हवा में यह सबसे खूबसूरत है।
स्वर्ग जो सारा प्यार लुटाते हैं
एक धुँधले प्रकाश में एकत्र हो जाता है।
पृथ्वी के ऊपर,
शहर के प्रकाश से ऊपर।
सब प्यार है, हाथों से सहलाया गया।
प्रभु खुद दूर किनारों पर गायब हो जायेगा।
सब कुछ पास है, सब बहुत दूर है।
सब कुछ दिया जाता है
आदमी को आज के लिए।
सब मेरा है, और सब मुझसे ले लिया,
क्षण भर में सब कुछ मुझसे छीन लिया ।
पेड़, बादल, पृथ्वी जिन्हें मैं देखता हूँ।
मैं भटकता फिरूँगा
अकेला, नामोनिशान के बिना।
०००
पृथ्वी सबसे सुंदर होती है ...
पृथ्वी सबसे सुंदर होती है जब रोशनी बुझने लगती है।
आकाश में जितना भी प्रेम है,
धुंधली रोशनी में समाहित है।
खेतों और
नजर आने वाले घरों के ऊपर।
सब शुद्ध स्नेह है, सब सुखदायक है।
दूर किनारे पर खुद प्रभु आसान बना रहे हैं,
सब करीब है, फिर भी सब दूर है अज्ञात,
सब कुछ दिया जाता है
मानव जाति को उधार पर।
सब मेरा है, और मुझसे ले लिया जायेगा,
सब कुछ जल्दी ही मुझसे छीन लिया जायेगा।
पेड़ और बादल, खेत जिनमें मैं टहलता हूँ।
मैं यात्रा करूंगा -
अकेला, नामो- निशान के बिना।
०००
मेरी छाया को तुममें खो जाने दो
मेरी छाया को तुममें खो जाने दो
मुझे खुद को खोने दो
ऊंचे पेड़ों के तले,
जो गोधूलि में अपनी पूर्णता खो देते हैं,
आकाश और रात के सामने आत्मसमर्पण कर लेते हैं।
०००
मेरा दोस्त अजनबी है जिसे मैं नहीं जानता हूँ
मेरा दोस्त अजनबी है जिसे मैं नहीं जानता हूँ।
दूर बहुत दूर एक अजनबी,
उसके लिए मेरा दिल बेचैनी से भरा है
क्योंकि वह मेरे साथ नहीं है।
क्योंकि शायद, उसका अस्तित्व ही नहीं है ।
तुम कौन हो जो अपनी अनुपस्थिति से मेरा दिल भर देते हो?
जो पूरी दुनिया को अपनी अनुपस्थिति से भर देते हो?
तुम जो मौजूद थे, पहाड़ों और बादलों से पहले,
समुद्र और हवाओं से पहले।
तुम जिसकी शुरुआत सब चीजों की शुरुआत से पहले है,
और जिसकी खुशी और गम सितारों से ज्यादा पुराने हैं।
तुम जो अनंत काल से सितारों की आकाशगंगा
और उनके बीच के घोर अंधेरे से होते हुए
घूमे हो।
तुम जो अकेलेपन से पहले अकेले थे,
और कोई मानव हृदय मुझे भुलाये,
उससे पहले से जिसका दिल बेचैनी से भरा था।
पर तुम मुझे कैसे याद कर सकते हो?
भला समुद्र भी सीप को याद करता है?
एक बार उमड़ जाने के बाद।
०००
अनूवादिका का परिचय
सरिता शर्मा (जन्म- 1964) ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर तथा अनुवाद, पत्रकारिता, फ्रेंच, क्रिएटिव राइटिंग और फिक्शन राइटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। पांच वर्ष तक
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया में सम्पादकीय सहायक के पद पर कार्य किया। बीस वर्ष तक राज्य सभा सचिवालय में कार्य करने के बाद नवम्बर 2014 में सहायक निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति। कविता संकलन ‘सूनेपन से संघर्ष, कहानी संकलन ‘वैक्यूम’, आत्मकथात्मक उपन्यास ‘जीने के लिए’ और पिताजी की जीवनी 'जीवन जो जिया' प्रकाशित। रस्किन बांड की दो पुस्तकों ‘स्ट्रेंज पीपल, स्ट्रेंज प्लेसिज’ और ‘क्राइम स्टोरीज’, 'लिटल प्रिंस', 'विश्व की श्रेष्ठ कविताएं', ‘महान लेखकों के दुर्लभ विचार’ और ‘विश्वविख्यात लेखकों की 11 कहानियां’ का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, समीक्षाएं, यात्रा वृत्तान्त और विश्व साहित्य से कहानियों, कविताओं और साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित। कहानी ‘वैक्यूम’ पर रेडियो नाटक प्रसारित किया गया और एफ. एम. गोल्ड के ‘तस्वीर’ कार्यक्रम के लिए दस स्क्रिप्ट्स तैयार की।
संपर्क: मकान नंबर 137, सेक्टर- 1, आई एम टी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा- 122051. मोबाइल-9871948430.
ईमेल: sarita12aug@hotmail.com
बिजूका की वजह से इनको जान पाया. बहुत शुक्रिया. इनकी कविताओं में उदात्तता है. हमारे कवींद्र रवींद्र की तरह एक आध्यात्मिक मानस नज़र आता है. इन कविताओं में भारतीयता की अनुगुंज सुनाई देती है. सरिता जी का आभार. बिजूका को भी आभार
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