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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

17 नवंबर, 2017

अमेरिकी कवि लैग्स्टन ह्यूज की कविताएं 


                     लैंग्स्टन ह्यूज ( 1902 - 1967 )

लैंग्स्टन ह्यूज प्रमुख अफ्रो - अमेरिकन कवि हैं । कविता के अतिरिक्त उन्होंने कहानियां , उपन्यास  और नाटक भी लिखे ।मात्र 19 वर्ष की अवस्था में  " द नीग्रो स्पीक्स ऑफ़ रिवर्स " जैसी चर्चित और बहुपठित कविता लिखकर उन्होंने साहित्य की दुनिया में अपनी आमद की घोषणा कर दी थी । कविता की दुनिया में जैज़ पोएट्री का भी उन्हें जनक माना जाता है । बचपन में ही उनके पिता ने तलाक देकर उन्हें तथा उनकी माँ को भटकने के लिए मजबूर कर दिया था तथा उनकी परवरिश मूलतः नानी के घर पर ही हुई । उनकी नानी ने ही उनके भीतर जातीय अस्मिता तथा स्वाभिमान के बीज बोये थे ।  लैंग्स्टन ह्यूज की कविता में अमेरिका के आम जन और अश्वेत मनुष्य के संघर्ष , वेदना , ख़ुशी , ठहाके और संगीत को महसूस किया जा सकता है । अपनी कविता में उन्होंने अफ्रो अमेरिकन  अस्मिता और इस सभ्यता के वैविध्य को पूरी ईमानदारी और स्वाभिमान के साथ अभिव्यक्त किया है ।लैंग्स्टन ह्यूज ने अश्वेत सौन्दर्यशास्त्र के सिद्धांत को यथार्थ के धरातल पर लाकर पाठक और कवि दोनों को शिक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है ।

कविताएँ


सपने

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जरा तबियत से थामे रहो सपने

कि यदि मर जाते हैं सपने

तो जीवन

टूटे पँखों वाली चिड़िया हो जाती है

जो उड़ नहीं सकती ।


जरा तबियत से थामे रहो सपने

कि जब विदा हो जाते हैं सपने

तो जीवन

एक बन्ध्या खेत बन जाता है

बर्फ से जमा हुआ ।

रमेश आनंद


व्यक्तिगत

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एक लिफाफा

जिस पर लिखा था

व्यक्तिगत

ईश्वर ने मुझे एक पत्र लिखा ।


एक लिफाफा

जिस पर लिखा था

व्यक्तिगत

मैंने भी जवाब भेज दिया ।


अब

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किस कदर

बोरियत है

हमेशा

गरीब बने रहना भी ।


गीत

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मैं वहाँ बैठा रहा

अँधेरे में उसके गीत गुनगुनाते हुए ।


उसने कहा

' मुझे समझ नहीं आते

शब्द ' ।


मैंने कहा :

" यहाँ

शब्द कहाँ हैं " ।


अस्पताल का कमरा

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कितनी ख़ामोशी  है

यहाँ इस बीमार कमरे में

जहां बिस्तर पर

एक ख़ामोश स्त्री लेटी हुई है

दो प्रेमियों के बीच -

जीवन और मृत्यू ,

और तीनों के ऊपर

पड़ी हुई है

दर्द की एक चादर ।

अवधेश वाजपेई


सुसाइड नोट

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शांत ,

शीतल नदी के चेहरे ने

मुझसे एक चुम्बन माँगा ।


ख़ामोशी

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कितना शांत

कितने अजीब तरह से शांत है

आज यह पानी ,

यह ठीक नहीं

पानी के लिए

इस तरह

इतना शांत ....


न्याय

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कि न्याय एक अंधी देवी है

एक ऐसी बात

जिसे हम अश्वेत खूब समझते हैं :

उसकी पट्टियां छुपाती हैं

दो पके हुए घाव

जो पहले कभी आँखें थीं ।


अनुवाद : मणि मोहन

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