अमेरिकी कवि लैग्स्टन ह्यूज की कविताएं
लैंग्स्टन ह्यूज ( 1902 - 1967 )
लैंग्स्टन ह्यूज प्रमुख अफ्रो - अमेरिकन कवि हैं । कविता के अतिरिक्त उन्होंने कहानियां , उपन्यास और नाटक भी लिखे ।मात्र 19 वर्ष की अवस्था में " द नीग्रो स्पीक्स ऑफ़ रिवर्स " जैसी चर्चित और बहुपठित कविता लिखकर उन्होंने साहित्य की दुनिया में अपनी आमद की घोषणा कर दी थी । कविता की दुनिया में जैज़ पोएट्री का भी उन्हें जनक माना जाता है । बचपन में ही उनके पिता ने तलाक देकर उन्हें तथा उनकी माँ को भटकने के लिए मजबूर कर दिया था तथा उनकी परवरिश मूलतः नानी के घर पर ही हुई । उनकी नानी ने ही उनके भीतर जातीय अस्मिता तथा स्वाभिमान के बीज बोये थे । लैंग्स्टन ह्यूज की कविता में अमेरिका के आम जन और अश्वेत मनुष्य के संघर्ष , वेदना , ख़ुशी , ठहाके और संगीत को महसूस किया जा सकता है । अपनी कविता में उन्होंने अफ्रो अमेरिकन अस्मिता और इस सभ्यता के वैविध्य को पूरी ईमानदारी और स्वाभिमान के साथ अभिव्यक्त किया है ।लैंग्स्टन ह्यूज ने अश्वेत सौन्दर्यशास्त्र के सिद्धांत को यथार्थ के धरातल पर लाकर पाठक और कवि दोनों को शिक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है ।
कविताएँ
सपने
-------
जरा तबियत से थामे रहो सपने
कि यदि मर जाते हैं सपने
तो जीवन
टूटे पँखों वाली चिड़िया हो जाती है
जो उड़ नहीं सकती ।
जरा तबियत से थामे रहो सपने
कि जब विदा हो जाते हैं सपने
तो जीवन
एक बन्ध्या खेत बन जाता है
बर्फ से जमा हुआ ।
व्यक्तिगत
------------
एक लिफाफा
जिस पर लिखा था
व्यक्तिगत
ईश्वर ने मुझे एक पत्र लिखा ।
एक लिफाफा
जिस पर लिखा था
व्यक्तिगत
मैंने भी जवाब भेज दिया ।
अब
-----
किस कदर
बोरियत है
हमेशा
गरीब बने रहना भी ।
गीत
------
मैं वहाँ बैठा रहा
अँधेरे में उसके गीत गुनगुनाते हुए ।
उसने कहा
' मुझे समझ नहीं आते
शब्द ' ।
मैंने कहा :
" यहाँ
शब्द कहाँ हैं " ।
अस्पताल का कमरा
---------------
कितनी ख़ामोशी है
यहाँ इस बीमार कमरे में
जहां बिस्तर पर
एक ख़ामोश स्त्री लेटी हुई है
दो प्रेमियों के बीच -
जीवन और मृत्यू ,
और तीनों के ऊपर
पड़ी हुई है
दर्द की एक चादर ।
सुसाइड नोट
---------
शांत ,
शीतल नदी के चेहरे ने
मुझसे एक चुम्बन माँगा ।
ख़ामोशी
-----------
कितना शांत
कितने अजीब तरह से शांत है
आज यह पानी ,
यह ठीक नहीं
पानी के लिए
इस तरह
इतना शांत ....
न्याय
-------
कि न्याय एक अंधी देवी है
एक ऐसी बात
जिसे हम अश्वेत खूब समझते हैं :
उसकी पट्टियां छुपाती हैं
दो पके हुए घाव
जो पहले कभी आँखें थीं ।
अनुवाद : मणि मोहन
लैंग्स्टन ह्यूज ( 1902 - 1967 )
लैंग्स्टन ह्यूज प्रमुख अफ्रो - अमेरिकन कवि हैं । कविता के अतिरिक्त उन्होंने कहानियां , उपन्यास और नाटक भी लिखे ।मात्र 19 वर्ष की अवस्था में " द नीग्रो स्पीक्स ऑफ़ रिवर्स " जैसी चर्चित और बहुपठित कविता लिखकर उन्होंने साहित्य की दुनिया में अपनी आमद की घोषणा कर दी थी । कविता की दुनिया में जैज़ पोएट्री का भी उन्हें जनक माना जाता है । बचपन में ही उनके पिता ने तलाक देकर उन्हें तथा उनकी माँ को भटकने के लिए मजबूर कर दिया था तथा उनकी परवरिश मूलतः नानी के घर पर ही हुई । उनकी नानी ने ही उनके भीतर जातीय अस्मिता तथा स्वाभिमान के बीज बोये थे । लैंग्स्टन ह्यूज की कविता में अमेरिका के आम जन और अश्वेत मनुष्य के संघर्ष , वेदना , ख़ुशी , ठहाके और संगीत को महसूस किया जा सकता है । अपनी कविता में उन्होंने अफ्रो अमेरिकन अस्मिता और इस सभ्यता के वैविध्य को पूरी ईमानदारी और स्वाभिमान के साथ अभिव्यक्त किया है ।लैंग्स्टन ह्यूज ने अश्वेत सौन्दर्यशास्त्र के सिद्धांत को यथार्थ के धरातल पर लाकर पाठक और कवि दोनों को शिक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है ।
कविताएँ
सपने
-------
जरा तबियत से थामे रहो सपने
कि यदि मर जाते हैं सपने
तो जीवन
टूटे पँखों वाली चिड़िया हो जाती है
जो उड़ नहीं सकती ।
जरा तबियत से थामे रहो सपने
कि जब विदा हो जाते हैं सपने
तो जीवन
एक बन्ध्या खेत बन जाता है
बर्फ से जमा हुआ ।
रमेश आनंद |
व्यक्तिगत
------------
एक लिफाफा
जिस पर लिखा था
व्यक्तिगत
ईश्वर ने मुझे एक पत्र लिखा ।
एक लिफाफा
जिस पर लिखा था
व्यक्तिगत
मैंने भी जवाब भेज दिया ।
अब
-----
किस कदर
बोरियत है
हमेशा
गरीब बने रहना भी ।
गीत
------
मैं वहाँ बैठा रहा
अँधेरे में उसके गीत गुनगुनाते हुए ।
उसने कहा
' मुझे समझ नहीं आते
शब्द ' ।
मैंने कहा :
" यहाँ
शब्द कहाँ हैं " ।
अस्पताल का कमरा
---------------
कितनी ख़ामोशी है
यहाँ इस बीमार कमरे में
जहां बिस्तर पर
एक ख़ामोश स्त्री लेटी हुई है
दो प्रेमियों के बीच -
जीवन और मृत्यू ,
और तीनों के ऊपर
पड़ी हुई है
दर्द की एक चादर ।
अवधेश वाजपेई |
सुसाइड नोट
---------
शांत ,
शीतल नदी के चेहरे ने
मुझसे एक चुम्बन माँगा ।
ख़ामोशी
-----------
कितना शांत
कितने अजीब तरह से शांत है
आज यह पानी ,
यह ठीक नहीं
पानी के लिए
इस तरह
इतना शांत ....
न्याय
-------
कि न्याय एक अंधी देवी है
एक ऐसी बात
जिसे हम अश्वेत खूब समझते हैं :
उसकी पट्टियां छुपाती हैं
दो पके हुए घाव
जो पहले कभी आँखें थीं ।
अनुवाद : मणि मोहन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें