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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

06 सितंबर, 2018

कभी-कभार: एक

मित्रों, 
बिजूका पर ' कभी-कभार ' एक नया कॉलम है।
 कॉलम के नाम से ही स्पष्ट है कि यह किसी ख़ास दिन-तारीख़ को प्रकाशित होने की बजाय कभी-कभार ही प्रकाशित होगा।  लेकिन हां, बहरहाल महीने में एक बार अवश्य होगा। 
हम इस कॉलम के अन्तर्गत अनूदित रचनाएं प्रस्तुत करेंगे। रचनाएं किसी भी विधा की हो सकती है। इस कॉलम के अन्तर्गत प्रकाशित होने वाली रचनाओं का चयन और अनुवाद सुश्री विपिन चौधरी जी करेंगी। विपिन चौधरी महत्त्वपूर्ण कवि-कथाकार और अनुवादक है। 
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औपनिवेशिक काल की दो एफ्रो-अमेरिकन कवयित्रियाँ : लूसी टेरी और फिलिस व्हीटली

अनुवाद: विपिन चौधरी



विपिन चौधरी


अफ़्रीकी-अमरीकी कविता का कमल गुलामी के उस दौर में खिला जब गुलामों के पास आज़ादी के नाम पर सिर्फ आती-जाती मुक्त सांसें ही थी मगर इसमें कोई संदेह नहीं  कि इसी घुटन भरी परिस्थितियों में जीते हुए अफ़्रीकी-अमेरिकी लोगों के बीच से ही कुछ ऐसे रचनात्मकता लोग सामने आए जिनसे प्रेरणा लेते हुए आगामी अफ़्रीकी-अमेरिकी पीढ़ियों ने रचनात्मक ऊर्जा ग्रहण की.

पश्चिम अफ्रीका में वर्ष 1724 में लूसी टेरी को बचपन में अफ्रीका से अपहरण कर अमेरिका के राज्य, रोड आइलैंड में एक गुलाम शिशु के रूप में बेच दिया। पांच साल की उम्र तक रोड आइलैंड में रहने के बाद लूसी को मैसाचुसेट्स के डीरफील्ड शहर के एक परिवार को सौंप दिया गया. अमेरिका में धार्मिक पुनरुद्धार की इस अवधि में जब धर्म में लोगों की रुचि का इजाफ़ा हो रहा था, पांच वर्षीय लूसी टेरी का ईसाई धर्म में बपतिस्मा किया गया. लूसी टेरी के मालिक एबेनेजर वेल्स के परिवार में कुछ वर्षों तक घरेलू नौकर के रूप में जीवन-यापन के बाद 1756 में लूसी ने एक अश्वेत आदमी एबीया प्रिंस से विवाह किया. लूसी टेरी की एकमात्र उपलब्ध कविता  का शीर्षक  ‘बार फाइट’ है, जो उन्होंने 1746  में लिखी थी. यह कविता किसी  अफ्रीकी-अमेरिकी गुलाम स्त्री द्वारा लिखी गई पहली कविता है 1. ‘बार फाइट’ कविता के बारे में रोचक तथ्य यह है कि यह  कविता, बार फाइट की घटना के सौ वर्ष बीत जाने के बाद तक मौखिक रूप से  अस्तित्व में रहने के बाद वर्ष 1855  में पहली बार अमरीकी उपन्यासकार और कवि गिल्बर्ट हॉलैंड की पहली पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ़ वेस्टर्न मेसाचुसेट्स’ में प्रकाशित हुई2. अठाईस पंक्तियों की इस कविता ‘बार फाइट’, 25 अगस्त, 1746 को ‘द बार्स’ इलाके में मूल अमेरिकियों के दो श्वेत परिवारों पर किए गए हमले के बारे में है। ’द बार्स’ एक औपनिवेशिक शब्द है जो घास के मैदान के लिए प्रयुक्त किया जाता था.  यह घटना डीरफील्ड (फ्रैंकलिन काउंटी, मैसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका का एक शहर) क्षेत्र में घटी थी. लूसी टेरी की यह कविता कलात्मक मापदंडों के अनुरूप न होते हुए भी एतिहासिक महत्व की कविता है जो अफ़्रीकी अमेरिकी इतिहास के महत्व को रेखांकित करती है.


लूसी टेरी


                  घास के मैदान में मार-पीट 
                       
                              लूसी टेरी

पच्चीस अगस्त, सतरह सौ छयालिस की रात थी वह
वहां सैम डिकिंसन की चक्की पर
पांच भारतीयों ने                   
घात लगा हमला कर हत्या कर दी                                      उनके नाम का खुलासा मैं  नहीं कर  सकती

सैमयूल एलन योद्धा नायक
और हालाँकि वह  हैं काफी बहादुर और निर्भीक
उनके चेहरे की तरफ हम ज्यादा नहीं निहारेंगे
इससे पहले की एटाज़ेर हॉक्स भारतियों को देख पाते
उन्हें हमलावरों का सामना करने का थोड़ा समय मिलता
उन्हें तत्काल गोली मार दी गई
ओलिवर अम्सडेन की हत्या कर दी गयी
जिससे उनके दोस्तों का काफी शोकपूर्ण वेदना पहुंची
सीमेन अम्सडेन मृत पाए गए
ऑलिवर के सिर से अधिक दूर छड़ें नहीं लगी
अडोनिजा गिल्लेट हम सुनते हैं,
ने अपना बहुत प्यारा जीवन खो दिया
जॉन सैडलर समुंदर पार कर भाग गए
और इस तरह भयानक नर-संहार से बच निकला
यूनिस एलन ने भारतीयों को आते हुए देखा
उन्हें लगा वह भाग कर अपने जीवन को बचा लेंगी
और उनकी लंबी स्कर्ट भागने में रुकावट नहीं बनेगी
वे खतरनाक लोग उसे नहीं पकड़ पाए
न ही टॉमी ने उसके सिर की तरफ तेज़ी से खांसा
और मरने के लिए उन्हें ज़मीन पर छोड़ दिया
ओह! मातमी दिन
जवान सैमयूल एलन,
को पकड़ कर कनाडा ले जाया गया

*अमेरिका के स्वदेशी लोग
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कवयित्री लूसी टेरी के बाद 1753  में यानी अमेरिका की आजादी से तीन साल पहले, दक्षिण अफ्रीका में जन्मी फिलिस व्हीटली, विश्व  की पहली प्रकशित अश्वेत (अफ़्रो-अमेरिकन)  कवयित्री के रूप में सामने आई. वर्ष 1773 में अपने काव्य-संग्रह ‘पोयम्स ऑफ़ वेरियस सब्जेक्ट्स’ से उन्हें विश्वव्यापी  प्रसिद्धि प्राप्त हुयी। लूसी टेरी की तरह ही फिलिस व्हीटली को भी अमेरिका की धरती पर गुलाम के रूप में लाया गया. सात वर्ष की उम्र में सेनेगल, जाम्बिया, पश्चिम अफ्रीका से एक  ‘शरणार्थी’ की तरह गुलामों  की एक खेप के साथ एक नाव से  बोस्टन लायी गई फिलिस  एक समृद्ध  दर्जी परिवार में घरेलू काम-काज के लिए लायी गईं थी.  फिलिस का नाम उस जहाज के नाम पर पड़ा जिसमें सवार होकर वह बोस्टन पहुंची थी। लिखने-पढने में फिलिस व्हीटली की रूचि को  देखकर उनकी मालकिन सुसान ने 1763 में खरीदी गयी अपनी इस घरेलू नौकरानी को पढ़ना-लिखना सिखाया। कुशाग्र बुद्धि की फिलिस व्हीटली ने अपनी मालकिन की बेटी की मदद से कुछ ही समय में  बाइबिल, खगोल-विज्ञान, भूगोल, इतिहास, ब्रिटिश साहित्य (विशेष रूप से जॉन मिल्टन और अलेक्जेंडर पोप) के साथ-साथ ग्रीक साहित्य, ओविड, टेरेंस, होमर के लेटिन क्लासिक्स को पूरा पढ़ डाला। पढने की रूचि की वजह ने ही उन्हें लेखन की ओर प्रेरित किया. तेरह साल की उम्र में फिलिस की पहली कविता 1767  के ‘न्यूपोर्ट मर्करी’ समाचार-पत्र में प्रकाशित हुयी। कविताओं के पहले संग्रह के प्रकाशित होते ही फिलिस व्हीटली ने बखूबी यह साबित कर दिया था कि एक गुलाम महिला भी अपनी अभिव्यक्ति को दर्ज कर सकती है।
उस समय के प्रसिद्ध कवि जॉर्ज वाशिंगटन ने फिलिस व्हीटली की कविताओं की तारीफ़ भी की. 1772  में अदालत में जाकर अपनी  साहित्यिक क्षमताओं का प्रमाण देने के लिए संघर्ष करना पड़ा। 1773 में  अपने मालिक श्री व्हीटली के साथ  फिलिस लंदन गयी जहाँ अंग्रेज़ पुरुष और कई श्वेत अमेरिकी लेखक को यह समझाने में काफी समय लगा कि कोई अश्वेत गुलाम स्त्री भी कविता लिख सकती है. बीस साल की उम्र में ही फिलिस अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी थी.
उस समय के संकुचित मानसिकता वाले समाज ने अपनी इन्हीं दुर्भावनाओं के चलते  फिलिस व्हीटली के सामने काफी मुश्किलें भी खड़ी कर दी थी. जिसके चलते फिलिस व्हीटली को वर्ष यह प्रखर बुद्धि अश्वेत कवयित्री जल्द ही संसार से चली गयी. प्रसव के दौरान पेश  आयी जटिलताओं के कारण  इक्कतीस साल की उम्र में ही फिलिस व्हीटली का  निधन हो गया.
पिछले एक दशक में  फिलिस व्हीटली के लेखन पर शोध कर रहे शोधकर्ता, उनकी कविताओं और  उनकी दूसरी लेखन-सामग्री के ज़रिये अठारहवीं सदी में दासता-विरोधी वातावरण की पड़ताल कर रहे हैं. ऐसा करते वक़्त  ये शोधकर्ता अभिजात्यवाद और उनके लेखन में समाहित  बाईबल के संकेतों के समाजशास्त्रीय आशयों को भी ध्यान में रखते हैं.
फिलिस व्हीटली की  कविताओं में  गुलामी की व्याख्या और अपनी कला के जरिये इसे कमज़ोर करने की कोशिशें साफ़ तौर पर दिखाई देती हैं. अठारवीं शताब्दी में  अमेरिकी साहित्य के फलक पर उभरी इस अश्वेत कवयित्री ने बाइबिल की स्पष्ट  भाषा में बात की ताकि चर्च के सदस्य किसी निर्णायक और ठोस कार्यवाही के लिए अग्रसर हों । अपने जीवन काल में फिलिस व्हीटली ने तकरीबन 143 कविताएं लिखी जो अफ़्रीकी-अमेरिकी साहित्य का मील का पत्थर साबित हुई.
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फिलिस व्हीटली की कविताएं



फिलिस व्हीटली



अफ्रीका से अमेरिका लाये जाने पर
                           
                             
 सहानुभूति
मुझे अपनी नास्तिक भूमि से लेकर आयी
मेरी अनाड़ी आत्मा को यह सिखलाते हुए
कि जहाँ ईश्वर  है मुक्तिदाता भी है वहीं
कभी मुक्त मैं

न ही उसे तलाशा न उसे जानती थी
हमारी प्रजाति को कुछ लोग नफरत की नज़रों से देखते हैं
" इनकी त्वचा पर राक्षसी छाप है"
न भूलो ईसाई, नीग्रो केन* की तरह स्याह रंग के  हैं
संभव है वे हो शुद्ध कभी और कभी शामिल हों देवदूतों के कारवां में


* केन: आदम और हव्वा का बेटा

                                                   
दोस्ती के लिए
                         

आओ उनके विशाल शासन में खूब दोस्ती  करें
उसके सुरों को दिव्य खिंचाव की तरह दूर तक ले जाएं
भलाई करनेवाला बहुत दूर तक  दैवीय रोशनी फैलाता है
अमोर (यूनानी देवता) की  आँखों में मेरी तरह ही
ख़ुशी झलक रही  है
मेरे विचारों में  कृतज्ञता  का आगमन होते ही
मानसिक कल्पनायें मुझे खुशियाँ देने लगती  हैं
न्याय के उच्चतम शिखरों के नक्शेकदमों  पर चलते हुए
अब मैं अपने ख्यालों को  चिंतन के रास्ते पर लाया जाऊँगी

                         
साँझ का  भजन
                                                               

                                 
सूरज के पूर्व के मुख्य हिस्से को त्यागते ही
छीलने वाली गरज
 बैकुंठी मैदान को हिलाकर रख देती है
शानदार भव्यता! हलकी हवा  के पंखो से,
खिला हुआ  वसंत
सुगन्धित सांसें छोड़ रहा है
नदी की कल-कल
 पक्षी गुनगुना रहे हैं नए सुर
और हवा के ज़रिये उनका संयुक्त संगीत हवा में तैर रहा  है
समस्त आकाश से कैसी बांकी मृत्यु फैल रही  है
मगर पश्चिम का आकर्षण है गहरा लाल रंग
नीचे हमारे ईश्वर  के जीवित मंदिर
हमारे सीने
 चमकते थे दिव्य चमक से
रोशनी देने वाले की प्रशंसा से भरे
और खींच देते  रात के स्याह पर्दे
करते सभी थके हुए मस्तिक्षों को शांत
सुबह अधिक दिव्यता
अधिक निर्मलता
से  जागने के लिए
ऐसे शुरू हो दिन का व्यापार
पाप के जाल से अधिक संरक्षित, अधिक खरा
रात का नेतृत्व करने वाला राजदंड मेरी उनींदी आंखों पर मुहर लगता है
फिर रुक जाता है, मेरा गीत, जब तक की सुंदर अरुणोदय न हो जाए



                                                       
अमेरिका को  विदाई

1.

अलविदा,
न्यू इंग्लैंड के मुस्कुराते हुए घास के मैदान
विदा, फूलों के मैदान
वसंत, मैंने तुम्हारे चेहरे
और  गरज़ते महासागर  के लुभावने  आकर्षण को त्याग दिया है

2.

नन्हें फूल का खिलना
और उनके भड़कीले गर्व की शेख़ी मेरे लिए  व्यर्थ है
जबकि यहाँ  आसमान के उत्तरी किनारे के नीचे
मैं अपने मिज़ाज़ के अस्वीकार का  शोक मना रही हूँ

3.

आकाश की गुलाबी रंग की सेविका
ओह मुझे तुम्हारा आधिपत्य  महसूस करने दो
जिस समय देखती हूँ तुम्हारा  चेहरा
तुम्हारी गायब खुशी लौट आती है वापस

4.

सुज़ाना  शोक मना रही है
मणियों की इस  बरसात को मैं नहीं सहन कर सकती
या प्रस्थान की दुखद घड़ी में कोमलता से गिरते हुए
आंसुओं को लिख सकती हूँ

5.

दुख से दमनीय उसकी आत्मा को
क्या मैं  नहीं देख सकती
लेकिन कोई उच्छ्वास नहीं,
उसके  परेशान हृदय  से चुरा ली गयी
कोई कराह नहीं

6.

पंखों वाले वारब्लर्स* का गीत निरर्थक  है
खिला हुआ बगीचा बेकार  है
और वसंत की छाती
अपनी मीठी सुगंध की श्वास बाहर निकालती  है

7.

जिस समय ब्रिटानिया के दूर तट पर
हम तरल मैदान में रोते हैं,
और आश्चर्यचकित नेत्रों से खोजते हैं
बहुत दूर तक फैला हुआ महासागर

8.

हेबे के आवरण  और चेहरे का आत्म प्रसन्न भाव
के साथ  तैयार
तबियत  ने अपना रूप निकाला ! दिव्य  प्रेमिका
प्रसन्न  और शांत,

9.

घुंधली भांप के  ताज के साथ  लंदन जहाँ टिका है
वहां घाटी को चिन्हित करने के लिए
जो  घटाटोप कर देता है अरुणोदय के हज़ारों रंग से
और उसके आकर्षण पर आवरण बना देता है

10.

क्यों, फ़ोबस, तुम्हारी कार इतनी धीमी क्यों चलती है ?
उसकी ऊपर वाली बत्ती  धीमी है ?
हमें  देखने दो  तुम  प्रसिद्ध शहर
दिन के गौरवशाली राजा!

11.

तुम्हारे  लिए, ब्रिटानिया, मैं इस्तीफा देता हूँ
न्यू इंग्लैंड के मुस्कुराते हुए खेतों;
दुबारा  तुम्हारा दिव्य आकर्षण को देखने के लिए
कौनसी संभावनाएं  पैदा होगी

12.

लेकिन तुम !
तुम्हारे सभी घातक  रेलगाड़ियां
अभी निरंतर  है प्रलोभन
अपने मोहक खिंचाव  से
एक बार भी  दूर  नहीं हुआ मेरी आत्मा से

13.

खुश हैं वे जिनकी बैकुंठी  ढाल
उनकी आत्माओं को नुकसान से बचाती हैं
और  प्रलोभन गिर जाता है
वश में कर लेता है अपने सभी हथियारों को
००

(फिलिस व्हीटली ने 7 मई, 1773 को "अमेरिका से विदाई" शीर्षक से लिखी इस कविता में अपनी मालिकन श्रीमती सुसान व्हीटली को संबोधित किया था।)

1. संपादक, मार्ग्रेट बुस्ब्य : डॉटरस ऑफ़ अफ्रीका 1992 पृष्ठ ,16-17
2. जोशीया गिल्बर्ट हॉलैंड ‘हिस्ट्री ऑफ़ वेस्टर्न मेसाचुसेट्स’ वॉल्यूम 1 हार्डकवर – 2012
००

विपिन चौधरी की कविताएं नीचे लिंक पर पढ़िए
https://bizooka2009.blogspot.com/2017/11/2.html?m=1


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